दरभंगा:बहेड़ी प्रखंड के हथौड़ी दक्षिणी पंचायत के धोबोपुर गांव की तूनकी देवी का जीवन कभी तंगी और संघर्ष से भरा था। पति कन्हैया दास कोई काम नहीं करते थे। घर की सारी जिम्मेदारी तूनकी देवी पर थी। रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल था। इसी बीच सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत उन्हें 82,400 रुपए की मदद मिली। यही उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बना।
इस राशि से उन्होंने दो बकरियों के साथ पशुपालन की शुरुआत की। मेहनत और लगन से धीरे-धीरे बकरियों की संख्या बढ़ाई। आज उनके पास करीब 20 बकरियां हैं। यही उनकी आमदनी का मुख्य जरिया बन चुकी हैं।
एल.आई.एफ. से उन्हें बकरी पालन और छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए आर्थिक मदद मिली। एल.जी.एफ. के जरिए महिला समूह को सामूहिक रूप से काम करने का मौका मिला। एस.आई.एफ. से समुदाय में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला।
तूनकी देवी ने बकरियों की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके पोषण और स्वास्थ्य पर खास ध्यान दिया। दूध, बकरी और बकरा बिक्री से उनकी आमदनी बढ़ी। अब उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो चुका है। बच्चों की पढ़ाई में भी सुधार आया है।
सतत जीविकोपार्जन योजना ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने का आत्मविश्वास दिया। अब वह गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। तूनकी देवी अब अपने व्यवसाय को और बढ़ाने की योजना बना रही हैं। बकरियों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ अन्य छोटे व्यापार शुरू करने की भी तैयारी कर रही हैं।
उनकी कहानी बताती है कि अगर सही दिशा में मेहनत हो और मौका मिले, तो कोई भी महिला अपनी जिंदगी बदल सकती है।
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