सारण:बिहार शिक्षा मंच के संयोजक, स्नातकोत्तर शिक्षक संघ,जे पी यू,छपरा, के सचिव तथा सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लोकप्रिय प्रत्याशी प्रो रणजीत कुमार ने बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर के महाजन को स्मारपत्र भेजकर माँग किया है कि कोरोना महामारी जैसी वैश्विक आपदा को देखते हुए बिहार के लाखों नियोजित एवम वित्तरहित शिक्षकों की समस्याओं का तत्काल निदान निकालना वक्त का तकाजा है।प्रो कुमार ने पत्र में उल्लेख किया है कि बिहार के 4 लाख नियोजित शिक्षक अपनी न्यायोचित चिरलम्बित मांगों की पूर्ति हेतु अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं और सरकार के निर्देश पर हजारों शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार करने की वजह से निलंबित कर उनके वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया गया है।गौरतलब है कि लॉक डाउन की वजह से हड़ताल का स्वरूप भी बदल गया है।बदले हालात में शिक्षक अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करना चाहते हैं लेकिन सरकार की बेरूखी एवम हठधर्मिता की वजह से शिक्षक संगठनों एवम सरकार के बीच संवादहीनता की स्थिति बनी हुई है जो लोकतांत्रिक मूल्यों एवम परम्पराओं के अनुरूप नहीं है।विदित हो कि केंद्र सरकार ने भी आपदा को देखते हुए किसी भी कार्मिक का वेतन नहीं रोकने संबंधी निर्देश जारी किया है।शिक्षकों ने हमेशा मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं जैसे नशाबंदी, जल जीवन हरियाली, दहेज उन्मूलन आदि कार्यक्रम को सफल बनाने में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है।अपने वाजिब हक हकूक के लिए आंदोलन करना लोकतंत्र में गुनाह नहीं है।खुद मुख्यमंत्री जे पी आंदोलन की उपज हैं।इसलिए आंदोलन करने वाले शिक्षकों एवम शिक्षक संगठनों के प्रति बेरूखी एवम सबक सिखाने जैसा तेवर कहीं से भी उचित नहीं है।सत्ता सेवा के लिए मिला है, किसी को सबक सिखाने के लिए नहीं।वार्ता के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना वक्त का तकाजा है।प्रो कुमार ने आगे अपने पत्र में तत्काल ग़ैरनीतिगत मगर महत्वपूर्ण मसलो पर शिक्षक हित में निर्णय लेने का आग्रह किया है यथा–
(1)अधिकांश उत्क्रमित उच्च विद्यालयों का अपना भवन निर्मित हो चुका है।अतः इन माध्यमिक विद्यालयों को तत्काल मध्य विद्यालय से अलग स्वतंत्र रूप से संचालित करने संबंधी निर्देश जारी किया जाए ताकि माध्यमिक शिक्षकों का मान सम्मान कायम रहे।
(2)उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत वैसे शिक्षक, जिनका वेतन भुगतान राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत होता है, उनके वेतन भुगतान की प्रक्रिया विलंबकारी है।प्रक्रिया गत एवम लालफीताशाही रवैये में बदलाव लाते हुए प्रत्येक माह नियमित रूप से वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाए।स्थापना वाले उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का सातवां वेतन के बकाया वेतन अंतर का भुगतान हो चुका है लेकिन राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत वेतन पाने वाले उत्क्रमित माध्यमिक शिक्षकों का सप्तम वेतन का बकाया अंतर वेतन, जो प्रति शिक्षक लगभग 70 हजार रुपये होता है, का आज तक भुगतान नहीं किया गया है।इस सबंध में तुरंत निर्देश जारी करने की जरूरत है।शिक्षक ऐसे भी आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे हैं।
(3)पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में सरकार ने घोषित किया था कि अप्रैल2020 से शिक्षकों के वेतन से भविष्य निधि कटौती उनकी नियुक्ति तिथि से ही किया जाएगा।इस संबंध में दिशा निर्देश जारी करने का समय आ गया है।
(4)पुस्तकालय अध्यक्ष भी किसी खास विषय में स्नातक ,परास्नातक होते हैं।इसलिए उसे भी शैक्षणिक पद मानने संबंधी निर्देश जारी किया जाए।
(5)शिक्षकों द्वारा अपनी योग्यता विस्तार हेतु लिए जाने वाले अध्ययन अवकाश को सवैतनिक करते हुए सात साल की सेवा अवधि की सीमा को तत्काल निरस्त किया जाए।
(6)सारण जिला अवस्थित नगर निकायों में कार्यरत उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों को आवंटन के अभाव में दिसंबर 2019 से ही वेतन भुगतान बाधित है जिससे शिक्षकों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पर रहा है।जिला शिक्षा कार्यालय को प्राथमिकता के आधार पर आबंटन उपलब्ध करवाया जाए ताकि जल्द से जल्द वेतन भुगतान हो सके।
(7)शिक्षा विभाग ने एक माह पहले ही संबद्ध उच्च विद्यालय एवम इंटर कॉलेजों के लिए दो शैक्षणिक सत्र के लिए अनुदान राशि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को उपलब्ध करा दिया है लेकिन अब तक इन शिक्षण संस्थानों को अनुदान राशि विमुक्त नहीं किया गया है।अनुदान राशि को बेवजह रोकने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है।इसलिए समिति के अध्यक्ष को तुरंत अनुदान राशि विमुक्त करने का निर्देश दिया जाए।
(8)जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के 11 सम्बद्ध महाविद्यालय के सैकड़ों शिक्षकों का आज तक सेवा नियमितीकरण नहीं हो पाया है।अगर उच्च शिक्षा विभाग इन महाविद्यालय के शिक्षकों के लिए अनुदान राशि विमुक्त भी करती है तो सेवा नियमितीकरण के अभाव में अनुदान राशि का वितरण तकनीकी कारणों से संभव नहीं हो पाएगा।सरकार और विश्वविद्यालय गेंद एक दूसरे के पाले में डालकर मामले को लंबा खींच रहे हैं जिससे शिक्षकों का अहित हो रहा है।अतः इन शिक्षकों की सेवा का जल्द से जल्द नियमितीकरण करने हेतु ठोस पहल किया जाए।
(9)शिक्षक संघ से वार्ता आयोजित कर शिक्षकों की न्यायोचित माँगो पर सकारात्मक निर्णय लेकर हड़ताल को समाप्त कराने की दिशा में निर्णायक कदम उठाया जाए।इस विषम परिस्थिति में शिक्षक सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करना चाहते हैं।
सरकार की सदाशयता एवम हमदर्दी शिक्षकों के लिए संबल साबित होगी।
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