छपरा(बिहार)लोकनायक जयप्रकाश नारायण और डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों से जनमानस को अवगत कराने के लिए आज से तीन दिवसीय जेपी-लोहिया शिक्षण कार्यशाला रामजयपाल महाविद्यालय, छपरा परिसर स्थित लक्ष्मी नारायण यादव अध्ययन केंद्र में प्रारंभ किया गया। शिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति प्रो. फारूक अली ने किया। उद्घाटन वक्तव्य में कुलपति ने कहा कि जेपी और लोहिया के विचार भारतीय सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था में सर्वकालिक रूप से प्रासंगिक बने रहेंगे। जेपी जीवन भर समता, बन्धुता, स्वतंत्रता एवं मानवीय मूल्यों की प्रस्थापना के लिए राजसत्ता से दूर रहकर संघर्ष करते रहे और देश में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं रचनात्मक परिवर्तन के अगुआ के रूप में कार्य करते रहे।
उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधी जी के साथ सहयोग करके आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा दी, परन्तु जेपी को इस बात का अफ़सोस रहा कि स्वंतत्रता के बाद उनके सपनों का भारत नहीं बन सका। कुलपति ने आगे कहा कि डॉ. राममनोहर लोहिया का जीवन आदर्श भी युवकों के लिए प्रेरणादायी है और उन्होंने अपने अंतिम सांस तक भारत के गरीबों, शोषितों, मजलूमों तथा समाज के विशाल पिछड़े वर्ग को राजनीति के मुख्य धारा में लाने का प्रयास करते रहे। उन्होंने कहा कि वे अपने छात्र जीवन में यह नारा लगाते थे कि ‘ भारत के तीन प्रकाश, गाँधी, लोहिया – जयप्रकाश’। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव ने कहा कि लोहिया के जीवन की संघर्ष गाथा आज के युवाओं के लिए प्रेरणादायी तब बन सकती है जब वे उनके संघर्ष और विचारों को अपने जीवन में उतारें।
उन्होंने महादेवी वर्मा को उद्धृत करते हुए कहा कि लोहिया देश के एक मात्र ऐसे हिन्दी साहित्य के विद्वान हैं जिन्होंने संवाद शैली में देश के जनमानस को मातृभाषा हिन्दी में उद्वेलित किया। दादा धर्माधिकारी ने भी कहा था कि लोहिया और जेपी के बगैर भारत के सुंदर भविष्य की परिकल्पना नहीं की जा सकती। इसके पूर्व अध्ययन केंद्र में कुलपति का पुष्पगुच्छ तथा पुस्तक (नेपथ्य के नायक) देकर स्वागत किया गया। कार्यशाला के संयोजक डॉ. लालबाबू यादव ने उपर्युक्त तीन दिवसीय कार्यशाला के औचित्य पर प्रकाश डाला तथा तकनीकी सत्र में जेपी के जीवनवृत्त, दर्शन एवं विचारों के ऊपर व्याख्यान प्रस्तुत किया। जेपी स्मारक ट्रस्ट, सिताबदियारा के प्रो. ब्रजेश कुमार सिंह ने जेपी के जीवन से लेकर देहावसान तक उनके जीवन के प्रमुख घटनाओं को संक्षिप्त व्यौरा प्रस्तुत किया। शिक्षण कार्यशाला में उपर्युक्त लोगों के अलावा डॉ. अमित रंजन, ईश्वर राम, संजय चौधरी, प्रो. अरुण कुमार, विद्यासागर विद्यार्थी, रंजीत कुमार, डॉ. ललन प्रसाद यादव, सुषमा रानी, पूनम कुमारी, सुधा रानी, प्रो. अत्रिनन्दन अत्रेय, छात्र नेता शैलेंद्र यादव, रूपेश, देवेन्द्र, डॉ. राजीव, डॉ. प्रियरंजन, डॉ. संजीव आदि भी उपस्थित रहे। आगत अतिथियों का स्वागत एवं कार्यशाला का संचालन डॉ. दिनेश पाल ने किया।
संगोष्ठी के तृतीय सत्र की शुरुआत कल दिनांक 8 अक्टूबर को 11:30 बजे से होगी, जिसमें देश के प्रख्यात पत्रकार उर्मिलेश तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. नवल किशोर का वर्चुअल माध्यम से व्याख्यान होगा।
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