घंटी बजाने के दौरान संक्रमण के डर से निजात दिलाई भाई-बहन की जोड़ी ने
जिले के प्रसिद्ध काली मंदिर में लगायी गयी पहली स्वचालित स्पर्शरहित घंटी
देश के प्रसिद्ध मंदिरों में स्वचालित घंटी लगाने की है योजना
अरिरया(बिहार)पूरा विश्व वर्तमान समय मे कोरोना महामारी से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारत सहित दुनिया भर के वैज्ञानिक इस महामारी का इलाज ढूंढने व इससे बचाव के तरीकों को लेकर लगातार प्रयास में जुटे हैं। लॉकडाउन के दौरान सभी मंदिर,मस्जिद व गुरुद्वारा पर लंबे समय तक ताला लगा रहा। निर्धारित शर्तों पर पूजा अर्चना की छूट तो दी गयी है, लेकिन संक्रमण के प्रसार को देखते हुए मंदिरों में घंटी बजाने पर प्रतिबंध जारी है। ऐसे में बीएचयू के छात्र विद्याभूषण का प्रयास सराहनीय माना जा रहा है। उसने एक ऐसी घंटी बनायी है जिसे बजाने के लिये उसे छूने की जरूरत नहीं पड़ती। घंटी बजाने के लिये हाथ खड़े करने पर ही घंटी बजने लगती है। घंटी बजाने के दौरान संक्रमण की संभावनाओं को नकारने के लिये ही यह विशेष यंत्र तैयार किया गया है।
महज एक सप्ताह में बना डाली स्पर्श रहित स्वचालित घंटी:
शहर के खरैयाबस्ती निवासी मनोज गुप्ता के पुत्र विद्याभूषण अपनी बड़ी बहन प्रियंका भारती के साथ नवरात्र के दौरान प्रतिमा दर्शन के लिये एक मंदिर पहुंचे और उन्हें मंदिर की घंटी बजाने का मन हुआ। संक्रमण का ख्याल आते ही घंटी की तरफ बढ़ते हाथ अचानक रूक गये लेकिन यह घटना दोनों भाई- बहन के लिये प्रेरक साबित हुई। इसके बाद से भाई-बहन की यह जोड़ी बिना छूये मंदिर की घंटी बजाने की तकनीक के इजाद करने में जुट गए। महज एक सप्ताह के दौरान भाई बहन की जोड़ी ने स्पर्श रहित स्वचालित घंटी का निर्माण कर सबको चौंका दिया। इस तरह की पहली घंटी जिले के प्रसिद्ध मां खड़गेश्वरी काली मंदिर में लगाई गयी है।
सेंसर के नार्मल सिग्नल में अवरोध होते ही बजने लगती है घंटी:
स्वचालित घंटी बनाने वाले छात्र विद्याभूषण फिलहाल आईआईटी बीएचयू में द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। वर्ष 2019 में नवोदय विद्यालय अररिया से बारहवीं की परीक्षा पास की थी। उनकी बहन प्रियंका फिलहाल सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है।विद्याभूषण ने बताया कि मंदिरों में घंटी बजाने के दौरान संक्रमण के किसी खतरे को खत्म करने के लिये खासतौर पर इस घंटी का निर्माण किया गया है। यह एक सेंसर आधारित यंत्र है। जैसे ही सेंसर के नार्मल सिग्नल में अवरोध होता है, इसमें लगी चिप के कारण यंत्र में लगा मोटर घूमने लगता है। इस तरह घंटी स्वत: बजने लगती है। इसके लिये इसे छूने की जरूरत नहीं होती। यह पूरी तरह स्वचालित है। घंटी बजाने के लिये महज यंत्र के सामने अपने हाथ खड़े करने होते हैं। मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालु संक्रमण की चिंता किये बगैर घंटी बजा सकते हैं। इस तरह की पहली घंटी अररिया के मां खड़गेश्वरी काली मंदिर में लगाई गयी है। आगे पटना स्थित महावीर मंदिर व हरिद्वार सहित अन्य मंदिरों में स्वचालित घंटी लगाने की दोनों भाई-बहन की योजना है।
स्वचालित घंटी पर्यावरण व स्वास्थ्य दोनों लिहाज से महत्वपूर्ण:
जिले के प्रसिद्ध पर्यावरणविद सूदन सहाय ने दोनों छात्रों के अभिनव प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि स्पर्शरहित स्वचालित घंटी पर्यावरण व स्वास्थ्य दोनों लिहाज से महत्वपूर्ण है। सबसे बड़ी बात है कि यह संक्रमण की किसी तरह की संभावना को सिरे से नाकारता है। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिये। जिले के सभी मंदिरों के साथ-साथ अन्य मंदिरों में इसके प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। जिले के प्रसिद्ध मां खड़गेश्वरी काली मंदिर के साधक नानू बाबा ने कहा कि मंदिर में घंटी लगाये जाने के बाद श्रद्धालु बिना किसी संकोच के घंटी बजाने में रूचि ले रहे हैं। भाई-बहन की इस जोड़ी का प्रयास बेहद सराहनीय है। भविष्य में ये दोनों ओर बेहतर करें व देश दुनिया में जिले का नाम रोशन करें, मां काली से मेरी यही कामना है।
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