हकेवि में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए इंदिरा गाँधी विश्वविद्यालय मीरपुर, रेवाड़ी के कुलपति
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. रमेश प्रसाद पाठक ने किया संबोधित
महेंद्रगढ़:हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में सतत विकास के लिए शिक्षा पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का मंगलवार को सफल समापन हो गया। संगोष्ठी के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में इंदिरा गाँधी विश्वविद्यालय, मीरपुर, रेवाड़ी के कुलपति प्रो. जे.पी. यादव ने शिरकत की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. रमेश प्रसाद पाठक उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की। विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इस अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि का आभार व्यक्त करते हुए आयोजकों की सराहना की और कहा कि इस तरह के आयोजन सदैव कुछ नया सीखने का अवसर प्रदान करते हैं।
विश्वविद्यालय की शिक्षा पीठ द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएसएसआर) द्वारा प्रायोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन सत्र की शुरूआत शैक्षणिक खंड चार स्थित सम्मेलन कक्ष में विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि विभिन्न कार्यशालाओं, संगोष्ठियों व सम्मेलनों के माध्यम से सदैव कुछ नया सीखने का अवसर प्राप्त होता है। शैक्षणिक संस्थानों में इस आयोजनों की महत्ता सतत विकास के लिए जारी प्रयासों को बल प्रदान करती है। कुलपति ने इस अवसर पर प्रतिभागियों को लक्ष्य निर्धारित कर समय का सदुपायोग शिक्षा के साथ-साथ समाज सेवा व प्रकृति की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई द्वारा विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर शपथ ग्रहण कराई गई। कुलपति ने सभागार में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को मानवन जाति की रक्षा के लिए रक्तदान करने का संकल्प दिलाया।
समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. जे.पी. यादव ने सतत विकास का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके लिए संतुलित ढ़ंग से विस्तृत कार्ययोजना के साथ आगे बढ़ना होगा और सामाजिक, आर्थिक व पर्यावारणीय स्तर पर विशेष प्रयास करने होंगे। उन्होंने इस मौके पर जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों पर भी प्रकाश डाला। प्रो. यादव ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सर्वांगीण विकास व बहुविकल्पीय अवसर उपलब्ध कराती है। इस मौके पर उन्होंने सतत विकास में शिक्षा की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं में शिक्षा के प्रचार-प्रसार, कौशल विकास और भारतीय ज्ञान परम्परा को संरक्षित करने के प्रयासों को महत्त्वपूर्ण बताया और कहा कि इसके माध्यम से सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। संगोष्ठी के समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि प्रो. रमेश प्रसाद पाठक ने अपने संबोधन में भारतीय ज्ञान परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका अध्ययन करने पर ही हमें सतत विकास का मार्ग प्राप्त होता है। आज जरूरत है कि इंडिया को भारत बनाया जाए। इसके लिए शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है और मनन-चिंतन प्रक्रिया को परिष्कृत करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे।
समापन सत्र की शुरुआत में शिक्षा पीठ की अधिष्ठाता प्रो. सारिका शर्मा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया जबकि दो दिवसीय संगोष्ठी की रिपोर्ट डॉ. आरती यादव ने दिया। उन्होंने बताया कि इस आयोजन में करीब 70 फुल पेपर प्राप्त हुए और 67 से अधिक प्रतिभागियों ने अपने पेपर्स प्रस्तुत भी किए। इस अवसर पर संगोष्ठी का प्रतिवेदन भी जारी किया गया। शिक्षक शिक्षा विभाग के प्रो. प्रमोद कुमार ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय कुलपति का परिचय प्रस्तुत किया जबकि प्रो.जे.पी यादव का परिचय डॉ.दिनेश चहल ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. खेराज ने किया। संगोष्ठी के आयोजन में डॉ. जितेंद्र कुमार, डॉ. दिनेश चहल, डॉ. रेनु यादव, डॉ. किरण रानी सहित शिक्षा पीठ के सभी शिक्षकों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
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