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2013 में कुवैत पैसा कमाने गया युवक के नहीं लौटने पर पत्नी एवं बच्चों सरकार से लगाई गुहार

युवक को जेल जाने की खबर सुन मां का हुआ था निधन
परिवार का हाल दयनीय पत्नी व बच्चे आज भी पथराई आंखों से देख रहे है रास्ते

बक्सर(बिहार)बेहतर पैसा कमाने लालच व अपने परिवार को अच्छी परवरिश का सपना संजोए अधिकांस युवा विदेश का रुख करना अच्छा समझते है। जैसे ही कहीं मौका मिलता है वो युवा विदेश का रुख भी कर लेते है।

रहमान दर्जी का परिवार

जिसमें तो कुछ युवक कामयाब भी होते हैं मगर कुछ ऐसे भी मामले सामने आते रहते है जो कि उन्हें गर्त में फंसा देते हैं। जिससे उनका परिवार अनेकों मुसीबतों में घिरते हुए दयनीय जिंदगी जीने को मजबूर हो जाता है। ऐसा ही एक मामला जिले के केसठ प्रखंड अंतर्गत केसठ गांव से सामने आया है।जिसमे गांव के रहमान दर्जी अपना और अपने परिवार का भरण- पोषण करने के लिए विदेश जाने से पहले अपने जिले में ही कपड़े लेकर फेरी का काम किया करता था।

मगर परिवार में 4 बच्चों एवं पत्नी तथा मां की जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा रहमान अपने परिवार की अच्छी परवरिश का शौक पाले 2013 में विदेश जाने का मन बनाया। इसके लिए पैसे इकट्ठा कर विदेश भेजने वाले एक दलाल से रहमान ने संपर्क किया। जहां पर दलाल के माध्यम से इस व्यक्ति को कुवैत के लिए वीजा बनाकर भेज दिया गया। रहमान दर्जी कुवैत पहुंचते ही अपनी पत्नी को फोन किया और बोला कि हम ठीक-ठाक हैं। यह दौर लगभग 6 महीने तक चलता रहा। उसके बाद अचानक बात होना बंद हो गया।

रहमान दर्जी का फाइल फोटो

हम बात कर रहे है 2013 की जब रहमान दर्जी नौकरी करने के लिए कुवैत गया था। कुवैत जाते समय इसके पीछे तीन लड़के और एक विकलांग लड़की का भरण पोषण का जिम्मा रहमान दर्जी के ऊपर था। इसके अलावा रहमान की मां एवं एक छोटा भाई भी था। लेकिन अचानक क्या हुआ कि लगभग 6 महीने से बातचीत होने के बाद सिलसिला टूट गया।

जैसे ही बातचीत का सिलसिला टूटा इसकी पत्नी परेशान हो गई और उसने दलाल से संपर्क बनाना शुरू किया। लेकिन 2014 में ही इसकी पत्नी के पास एक फोन आया जिसमें बताया गया कि रहमान दर्जी कुवैत के जेल में बंद है।

ऐसा सुनते ही पैरो तले जमीन खिसक गई।और इसने अपने एक रिश्तेदार अभिषेक को फोन लगाया और पता करने का प्रयास किया अभिषेक ने प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय से मेल के माध्यम से संपर्क किया, लेकिन 2015 तक इसे कुछ सूचना नही मिली। लेकिन काफी मसक्कत करने के बाद सूचना मिली कि हत्या के प्रयास के मामले में कुवैत के जेल में बंद है।

जिसमें इस को 7 वर्ष की सजा हुई है। जो कि दिसंबर 2014 में यह जेल के अंदर गया था, अगर इसके अनुसार 7 साल की अवधि दिसंबर महीने में ही खत्म हो गई। लेकिन अभी तक रहमान दर्जी का कोई सूचना नहीं मिल रहा है।जिससे पत्नी इस आस में बैठी है कि उसका पति अब आएगा तब आएगा। अंततोगत्वा जब 1 महीने बीत गए तो इसने पुनः कई लोगों से संपर्क किया, जिसमें एनजीओ के संचालक रविंदर सिंह ने प्रयास करना शुरू किया अब यह प्रधानमंत्री और सीएमओ कार्यालय से संपर्क करने का प्रयास कर रही है, तथा मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जाकर अपनी फरियाद लगाने को लेकर ऑन लाइन आवेदन किया है। ताकि मौका मिले और अपने पति को वापस बुलाने को लेकर नीतीश कुमार से फरियाद लगा सके। ताकि इसके 4 बच्चों का भरण पोषण हो जाए।
वहीं सभी मासूमो की जिंदगी दिन पर दिन बदत्तर होती जा रही है । और वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री से रो रो कर अपनी फरियाद लगा रहे है की मेरे पापा को वापस बुला दीजिए।
वहीं अगर रहमान की चरित्र की बात की जाय तो गांव वालों ने बताया कि वह एक धनवान लड़का है आखिरकार क्या हो गया जो कुवैत की जेल में सजा काट रहा है। अगर वहाँ के ग्रामीणों की माने तो निश्चित तौर पर रहमान या तो किसी गलतफहमी का शिकार हो गया हैं। या तो फिर उसे साजिस कथत फसाया गया है।
बहरहाल अभी तक तो रहमान के परिजनों की जिंदगी तो गांव वालों की मदद से किसी तरह चल जा रही हैं। मगर अब उनके परिजनों की आँखे पथरीली रास्ते को देखते हुए थकती जा रही है।
अब देखना ये होगा कि आखिर कौन रहमान और उसके परिवार जिसमें एक दिव्यांग बच्ची भी है, उनकी बदहाली को देखकर उनकी मदद को आगे आता है। मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री या फिर सामाजिक लोग? ताकि रहमान को वतन व परिवार में वापस लाने में मदद कर उसके बच्चों को उनका हक दिला उन्हें भी इस बदहाली भरी जिंदगी से निजात दिलाया जा सके।

Mani Brothers

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