हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर ने रखी स्वास्थ्य की बेहतर बुनियाद, 1.72 करोड़ महिलाओं से अधिक की हुई निःशुल्क कैंसर जाँच
8 वर्षों में संस्थागत प्रसव में लगभग 40% की हुई वृद्धि
देश के 2419 स्वास्थ्य केंद्रों के लेबर रूम एवं ऑपेरशन थिएटर का हुआ कायाकल्प
अनीमिया मुक्त अभियान के तहत देश में 3.5 करोड़ से महिलाओं को प्रदान की गई आयरन की गोली
पूर्णिया(बिहार) भारत के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में एक वर्ष में 8 अंकों की कमी आई है। यह आंकड़ा एमएमआर पर भारत के रजिस्ट्रार जनरल के नवीनतम विशेष बुलेटिन का है। यह कमी इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि इसका अर्थ सालाना लगभग 2000 अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं की जान बचना है। 2014-16 में 130 / लाख जीवित जन्म से घटकर 2015-17 में 122 / लाख जीवित जन्म एमएमआर हो गया है (6.2 प्रतिशत की कमी)। इसका अर्थ है कि भारत ने 2025 तक एमएमआर कम करने का सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने में प्रगति की है। इस तरह 2030 से पांच साल पहले यह लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत 2020 तक 100 / जीवित जन्म के एमएमआर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य 11 राज्यों ने हासिल कर लिया है। ये राज्य हैं केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, गुजरात, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और हरियाणा। नवीनतम एमएमआर बुलेटिन की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के लिए पहली बार एमएमआर स्वतंत्र रूप से प्रकाशित किए गए हैं। कुल सात राज्यों – कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना ने एमएमआर में कमी दर्ज की है जो राष्ट्रीय औसत 6.2 प्रतिशत से अधिक या बराबर है।
इस सफलता का मार्ग प्रशस्त करने वाले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के विभिन्न प्रोग्रामों/ पहलों की सूची नीचे दी गई है:
-पीएमएसएमए के तहत प्रसव पूर्व देखभाल प्राप्त गर्भवती महिलाओं की कुल संख्या – 2.39 करोड़ से अधिक
-पीएमएसएमए स्वास्थ्य केंद्र में पहचान की गई ज्यादा जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की कुल संख्या – 12.5 लाख से अधिक
जेएसएसके प्रोग्राम के साथ इस प्रोग्राम को जोड़ देने से देश में अस्पताल में होने वाले प्रसव की दर में बहुत सुधार हुआ है। भारत में अस्पताल में प्रसव (एनएफएचएस 4) 2007-08 के 47 प्रतिशत से बढ़कर 2015-16 में 78.9 प्रतिशत से अधिक हो गया है। साथ ही, इस अवधि में सुरक्षित प्रसव 52.7 प्रतिशत से बढ़कर 81.4 प्रतिशत हो गया है।
पिछले कुछ वित्तीय वर्षों में जेएसवाई लाभार्थियों की संख्या बढ़ कर औसत एक करोड़ हो गई है जो 2005-06 में 7.39 लाख थी।
राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 (दिसंबर, 2019 तक) के लिए जेएसवाई लाभार्थियों की कुल संख्या कुल 75.7 लाख दर्ज की है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटरों में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए दिसंबर 2017 में लक्ष्य प्रोग्राम की शुरुआत की। इससे गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान और प्रसव के तत्काल बाद सम्मानजनक और उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित होगी। इस उद्देश्य से 193 मेडिकल कॉलेजों के साथ कुल 2444 स्वास्थ्य केंद्र चुने गए। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार इस दिशा में उन्मुख हो गई हैं। 2419 स्वास्थ्य केंद्रों (99 प्रतिशत) में आधारभूत आकलन का काम पूरा हो गया है।
अब तक 506 लेबर रूम और 449 मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर संबद्ध राज्य से प्रमाणित हो गए हैं। राष्ट्र स्तर पर भी 188 लेबर रूम और 160 मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर ‘लक्ष्य’ प्रमाणित कर दिए हैं।
‘मिडवाइफरी सर्विसेज इनिशिएटिव’ का लक्ष्य मिडवाइफरी का काम करने में दक्ष नर्सों का कैडर तैयार करना है जिन्हें इंटरनेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ मिडवाइव्स (आईसीएम) के निर्धारित दक्षता मानकों पर कार्य कुशल बनाया जाएगा। उन्हें लाभार्थी महिलाओं को केंद्र में रखते हुए सहानुभूति के साथ प्रजनन, मातृ और नवजात शिशु स्वास्थ्य सेवा देने का ज्ञान दिया जाता है।
तेलंगाना के फर्नांडीज अस्पताल स्थित राष्ट्रीय मिडवाइफरी प्रशिक्षण संस्थान में 6 नवंबर 2019 को मिडवाइफरी शिक्षक प्रशिक्षण के पहले बैच (पांच राज्यों से 30 प्रतिभागियों) की शुरुआत की गई।
अब तक की प्रगति (अप्रैल-दिसंबर, 2019-एचएमआईएस आंकड़े 21 फरवरी 2020 तक)
( आयु 10-19 वर्ष (स्कूल से बाहर लड़कियों) के 4.70 करोड़ बच्चों को आईएफए नीली गोलियां दी गईं। (हर महीने औसत 52.32 लाख स्कूल से बाहर लड़कियों को आईएफए नीली गोलियां दी गईं)
( 1.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 95.18 लाख( स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 180 आईएफए लाल गोलियां दी गईं। (हर महीने औसत 22.10 लाख गर्भवती महिलाओं और 10.57 लाख स्तनपान कराने वाली महिलाओं को आईएफए लाल गोलियां दी गईं)
( 6-59 माह के आयु वर्ग के 14.26 करोड़ बच्चों को आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) सीरप प्रदान किया गया (हर महीने औसत 1.58 करोड़ बच्चों को आईएफ सीरप दिया गया)
( आयुवर्ग 5-9 वर्ष (स्कूल( में) के 21.29 करोड़ बच्चों को गुलाबी गोली प्रदान की गई। (हर महीने औसत 2.36 करोड़ स्कूल के अंदर बच्चों को गुलाबी गोली दी गई)
( 5-9 वर्ष (स्कूल से बाहर) के 1.98 करोड़ बच्चों को गुलाबी गोलियां प्रदान की गईं। (हर महीने औसत 22.06 लाख स्कूली बच्चों को गुलाबी गोलियां दी गईं)
( आयु वर्ग 10-19 वर्ष के 36.06 करोड़ बच्चों (स्कूल में) को आईएफए नीली गोलियां दी गईं। (हर महीने स्कूल में औसत 4 करोड़ बच्चों को नीली गोलियां दी जाती हैं)
प्रसव के बाद आईयूसीडी (पीपीआईयूसीडी): वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी, 2020 तक) कुल 19,44,495 पीपीआईयूसीडी लगाने की रिपोर्ट दर्ज की गई। पीपीआईयूसीडी स्वीकृति दर 16.5 प्रतिशत रही है।
गर्भनिरोधक सुई एमपीए (अंतरा प्रोग्राम): वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी, 2020 तक) पूरे देश में कुल 15,58,503 डोज़ दिए गए हैं।
गैर-हार्मोनल गोली सेंटक्रोमैन (छाया) – वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी, 2020 तक) में सेंट्रोक्रोमन की कुल 14,05,607 स्ट्रिप्स देने की रिपोर्ट दर्ज की गई हैं।
मिशन परिवार विकास (एमपीवी) – 3 और उससे अधिक कुल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) वाले 7 अधिक ध्यान देने वाले राज्यों के उच्च फर्टिलीटी रेट वाले 146 जिलों में गर्भ निरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए नवंबर 2016 में एमपीवी शुरू किया गया था। ये जिले उत्तर प्रदेश (57), बिहार (37), राजस्थान (14), मध्य प्रदेश (25), छत्तीसगढ़ (2), झारखंड (9) और असम (2) के हैं, जो देश का 44 प्रतिशत हिस्सा है। वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल से दिसंबर 2019 की अवधि) में एमपीवी के अंतर्गत प्रदर्शन इस प्रकार रहा:
व पीपीआईयूसीडी लगाने की संख्या – 4.66 लाख
व सास-बहू समेलनों की संख्या – 1.3 लाख
व आशा द्वारा वितरित नई पहल किट की संख्या – 2.5 लाख
( पीसी एवं पीएनडीटी एक्ट, 1994 के तहत केंद्रीय पर्यवेक्षक बोर्ड (सीएसबी) का पुनर्गठन किया गया है। 11 अक्टूबर, 2019 को 27 वीं सीएसबी बैठक की गई।
( राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट (क्यूपीआर) सितंबर 2019 के अनुसार पीसी एवं पीएनडीटी एक्ट के तहत 67,084 निदान केंद्र के नाम दर्ज किए गए। इस कानून के उल्लंघन के लिए अब तक कुल 2,220 मशीनें सील और जब्त की गई हैं। कानून के तहत जिला के उपयुक्त अधिकारियों ने अदालतों में कुल 3,057 मामले दायर किए गए हैं और अब तक 607 दोषियों पर आरोप तय किए जा चुके हैं। आरोप तय होने के बाद 142 डॉक्टरों के मेडिकल लाइसेंस निलंबित / रद्द कर दिए गए हैं।
( वित्त वर्ष 2019-20 (नवंबर 2019 तक) में तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली और झारखंड सहित विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय निरीक्षण एवं निगरानी समिति (एनआईएमसी) के 9 दौरे हुए हैं।
( वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 9 राज्यों – बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में जिला के उपयुक्त अधिकारियों और पीएनडीटी नोडल अधिकारियों के लिए क्षमता विकास कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
( राष्ट्रीय न्यायिक अकादेमी के माध्यम से न्यायपालिका को इस दिशा में उन्मुख और संवेदनशील बनाने का प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी ने इस वर्ष 11 राज्यों को शामिल कर 35 जिला न्यायाधीशों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।
( पीसी एवं पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन करते हुए इंटरनेट पर लिंग-चयन के विज्ञापन पर रोकथाम और निगरानी के उद्देश्य से मंत्रालय नोडल एजेंसी के माध्यम से सक्रियता से कार्यवाही कर रहा है। मंत्रालय ने जनवरी से जून 2019 तक इंटरनेट से ऐसे विज्ञापन हटाने के लिए सर्च इंजनों को कुल 577 शिकायतें भेजीं।
( वित्त वर्ष 2019-20 (नवंबर 2019 तक) में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम सहित 22 राज्यों के लिए कार्यक्रम की समीक्षा बैठकें आयोजित की गईं।
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