कोरोनकाल में दुनिया को नवीन प्रवृत्तियों और विचारो की जरूरत: प्रो. मैट मेयर
मोतिहारी(बिहार)अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के उपलक्ष्य पर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग द्वारा
‘शांति अध्ययन में उभरती नवीन प्रवृत्तियां’ विषयक एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में लंदन विश्वविद्यालय के शांति एवं वैश्विक दर्शन संस्थान के निदेशक थाॅमस डेफरन एवं अन्य वक्ता के रूप में दक्षिण अफ्रीका के वाटरलू विश्वविद्यालय के शांति शोधार्थी प्रोफेसर डेजो, यूरोप के शांति शोध की अध्यक्ष एवं इटली पॉलिटिकल साइंस एसोसिएशन की महासचिव प्रोफेसर डेनीला अरेरा, यूनाइटेड नेशंस के प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान स्विट्जरलैंड की योग व ध्यान की विशेषज्ञ हेलेना एवं ऑस्ट्रिया की एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से डॉक्टर पौला ने ई माध्यम से शिरकत की। कार्यक्रम की शुरुआत महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति एवं वेबीनार के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर संजीव कुमार शर्मा ने की। अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार के समन्वयक डॉक्टर असलम खान ने स्वागत वक्तव्य देते हुए अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस वेबीनार का विषय प्रवर्तन प्रस्तुत किया एवं कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में सहभागी रहे विद्वानों का परिचय कराया।
कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय शोध एसोसिएशन के को-सेक्रेटरी जनरल प्रोफेसर मैट मेयर ने कहाँ कि हमें इस कोरोना महामारी के दौरान एक दुसरे से प्रेम करने तथा नये विकास के बारे में सोचना चाहिए। इस समय दुनिया को नवीन प्रवृत्तियों और विचारो की जरूरत है। हमें इस समय शांतिपूर्वक नव संरचना करनी चाहिए। कार्यक्रम की प्रथम वक्ता के रूप में प्रोफेसर अरेरा ने कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान होने वाले समस्याओं की तरफ ध्यान आकर्षण किया एवं रिफ्यूजी की समस्या को विस्तार से बताया तथा सरकार के गैर-लोकहितीय नीतियों की आलोचना की। जिसमें बेलारूस में होने वाले चुनाव का महिलाओं द्वारा किए गए बहिष्कार का भी उल्लेख किया।प्रोफेसर थाॅमस ने भाषा की भूमिका को महत्वपूर्ण बताने से पहले तुलनात्मक वैश्विक दर्शन से शुरुआत की जिसमें शांति के समक्ष उत्पन्न हो रहे चुनौतियां को विस्तार से बताया। प्रोफेसर थाॅमस ने जैन संप्रदाय को अहिंसा का प्रतीक भी बताया। प्रोफेसर ओलोहू ने कोरोना महामारी में अंतरराष्ट्रीय स्तर की समस्याओं को देखा तथा डब्ल्यूएचओ की नीतियों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कैसे लोग अपने हितों के अनुसार विरोध व समर्थन करते रहते हैं तथा डब्ल्यूएचओ की नीतियों पर भी सवाल उठाया।
डा.पौला फैसी ने अपने वक्तव्य में ‘शांति कार्य की चुनौतियों व संभावनाओं’ विषय पर अपने विचार रखें एवं अपने विचारों को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से शांति के समक्ष उभरती चुनौतियों को रखा । उन्होंने कहाँ कि शांति के व्यवस्थापक कार्यों में जैविक, पर्यावरणदृष्टि, समानता, प्रतिनिधित्व, अनुभव,सतत् ,जटिलता का ज्ञान तथा सामाजिक जागरूकता महत्वपूर्ण है । कार्यक्रम में अनेक संकाय सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर भी संदर्भ व्यक्तियों द्वारा दिया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार की अध्यक्षता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी शांति के अंतरराष्ट्रीय अग्रदूत है। यह सौभाग्य की बात है कि वह हमारे राष्ट्रपिता है।
इस अवसर पर अंतराष्ट्रीय शांति शोध एशोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल प्रोफेसर मैट मायर,अंतर्राष्ट्रीय शांति शोध एसोसिएशन काॅ सेक्रेटरी जनरल प्रोफेसर क्रिस्टीना एटन, एशिया स्पेसिफिक पीस रिसर्च एसोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल श्री नूरंयती ,लेटिन अमेरिकन पीस रिसर्च एसोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल प्रोफ़ेसर मारिया मनोज,सामाजिक अध्ययन संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर राजीव कुमार, डॉ.जुगल किशोर दाधीच ,डॉ.अंबिकेश त्रिपाठी, समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार शर्मा एवं महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुनील महावर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ .अभय विक्रम सिंह चौहान ने किया। एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार में देश विदेश से हजारों प्रतिभागियों ने अपना पंजीयन कराया जिसमें लगभग 42 देशों के संकाय सदस्यों शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया ।
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