Home

गाँधी को भला बुरा कहना आसान है लेकिन गाँधी को जीवन में उतारना बहुत ही मुश्किल है

लेखक:अनिल कुमार
(महर्षि दयानंद विश्विद्यालय हरियाणा)

आज हम एक ऐसे दौर में आ गये हैं जहाँ पर देश के लिए अपना पूरा जीवन लगा देने वाले लोगों को सम्मान की जगह गालिया दी जाती हैं. मैं आज बात करुँगा महात्मा गाँधी जी की जिन्होंने अपना घर बार छोड़ कर देश के लिए पूरा जीवन लगा दिया और आज का हमारा युवा उसको पढ़ने की बजाय उसे गालिया देता नजर आता है और गोली मारने वालों की बातों पर तालियां बजाता दिखता है.

लेखक अनिल कुमार


गाँधी को भला बुरा कहना आसान है लेकिन गाँधी को जीवन में उतारना बहुत ही मुश्किल है. गाँधी को आज हर एक वर्ग का दुश्मन बताया जा रहा है. अम्बेडकरवादी लोगों के दवारा गाँधी को दलितों का दुश्मन साबित किया जा रहा है. शहीद -ए – आजम भगतसिंह सिंह की फाँसी का जिम्मेदार सिर्फ गाँधी को साबित कर दिया गया है. सुभाष चंद्र बोस की मौत का कारण गाँधी को साबित करने की कोशिश की जा रही है. सरदार पटेल प्रधानमंत्री नहीं बने तो उनके पीछे भी गाँधी को षड़यंत्रकारी कहा गया. चौधरी छोटूराम के जीवन और गाँधी के बीच भी मतभेद को दर्शाया जाता रहा है.
इस तरह के लोगों से मैं सिर्फ एक सवाल पूछना चाहता हूँ कि क्या कभी गाँधी ने इन लोगों में से किसी को भी गाली दी या इनके बारे में भला बुरा लिखा? इस बात पर आप एक बार जरूर सोचना. इन लोगों के बीच भले ही कितने ही कनफ्लिक्ट रहें हो लेकिन जब भी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन होता तो ये सभी एक मंच, एक सड़क, और एक आवाज के साथ एक लाइन में चलते थे और हमेशा गांधीजी को आंदोलन की अगुवाई के लिए खड़ा करते थे. उस वक़्त अगर कोई साथ नहीं था तो सिर्फ धर्म के आधार पर बात करने वाले वो लोग जो देश को दो भागो में बाटना चाहते थे और वो सफल हो गये थे. (तथाकथित हिन्दूवादी और तथाकथित पेन इस्लामिस्म ).
आज भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति आ चुकी है.
उस समय पर गाँधी, नेहरू, छोटू राम, और अम्बेडकर में conflicts हो सकते हैं.
लेकिन अगर हम अब भी उन्हीं conflicts को देख कर आगे बढ़ना चाहते हैं तो हम समाज और वर्तमान पॉलिटिक्स को सही से समझ नहीं पा रहें हैं.
और कही ना कही हम इन तथाकथित हिंदूवादीयों का वो ही काम कर रहें हैं जो 1947 में हुआ था. क्युकी ये हिंदूवादी यही चाहते हैं कि अम्बेडकर को मानने वाले गाँधी का विरोध करें. छोटूराम को मानने वाले गाँधी का विरोध करें. और भगतसिंह को पढ़ने वाले गाँधी और नेहरू का ही विरोध करें.
हमको ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे गाँधी उस समय का बहुत ही अन्यायी राजा था और नेहरू उसका मंत्री था. याद रखिये ये वही हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग थी जो धार्मिक कट्टर थे. जिनके खिलाफ गाँधी, नेहरू, भगतसिंह, छोटूराम, सुभाष और बाबा साहब थे. एक आदमी two nation theory देता है तो दूसरा खुश होकर उसका समर्थन करता है कि हमें अलग राष्ट्र चाहिए. और इन दोनों का विरोध वो लोग कर रहें थे जिनका आज हम विरोध कर रहें हैं. आज के समय पर गाँधी, नेहरू, चौधरी छोटूराम, भगतसिंह, सुभाष चंद्र बोस, और डॉ अम्बेडकर को उनके उस समय के वैचारिक conflict को देख कर बात नहीं करनी है. हमें धार्मिक कट्टर ताकतों के खिलाफ बोलने कि जरूरत है. जो वैचारिक भेद को मन भेद में बदल रही है.
सुभाष जी की आजाद हिन्द फौज में एक रेजिमेंट का नाम गाँधी रेजिमेंट था. सुभाष जी ही थे जिन्होंने गाँधी को राष्ट्रपिता कहा था. और सुभाष जी को नेताजी कहने वाले कोई और नहीं बल्कि महात्मा गाँधी ही थे. भगतसिंह सिंह ने भी बोला था कि क्रांति की तलवार विचारों की शान पर तेज होती है और 64 दिन भूख हड़ताल करके अहिंसावादी होने का सबूत भी दिया था. छोटूराम ने भी कहा था कि किसान को दो लोगों से दूर रहने कि जरूरत है, मंडी और फंडी ( व्यापारी और पाखंडी ब्राह्मण ). सुभाष और नेहरू भी युद्धों वाली दुनिया में एक कमजोर राष्ट्र को मजबूत करने के लिए समाजवाद को प्राथमिक मानते थे. डॉ अम्बेडकर सामाजिक न्याय को राजनितिक न्याय से पहले मानते हैं. एक और खास बात ये भी है कि ये सभी एक दूसरे का विरोध या गाली नहीं देते थे. असहमति कोई भी जता सकता था. लेकिन इनमें से किसी ने भी धर्म को प्राथमिकता नहीं दी थी सभी ने धर्म के नाम पर भेदभाव और फैलाई जाने वाली कट्टरता का विरोध किया था. आज वही समय है कि हमें इस धार्मिक कट्टरता का विरोध करना है. अंत में एक कट्टर हिंदूवादी ने गांधीजी को गोली से मारा था. क्युकी गाँधी जी देश में दंगों को रोकने की कोशिश कर रहें थे और फिर से उन्हीं हत्यारो की ओलादे गोली मारो का नारा लगा रही हैं, देश से निकालो बोल रही हैं . क्युकी उनको फिर से देश को तोडना है और 1947 की तरह कत्लेआम को अंजाम देना है जो इसको रोकना चाहते है उसको ये लोग गोली मारने की बात कर रहें हैं. तालाबंदी में मजदूर मरे तो मरे लेकिन नशेड़ी सुशांत की मौत पर हल्ला करना है, किसानों की हड्डियां तोड़ी जाये तोड़ने दो कँगना का छज्जा नहीं टूटना चाहिए, देश में छोटी छोटी बच्चियों का बलात्कार होता है तो होने दो इनको भारत माता की जय बोलनी है बस, युवाओ को रोजगार मिले या ना मिले लेकिन इनको upsc में जिहाद जरूर ढूंढ़ना है, हस्पतालों में इलाज हो या ना हो लेकिन इनको ताली थाली जरूर बजानी है. ये लोग देश को बर्बाद करने में हर जगह अपना योगदना देना चाहते हैं जैसे आजादी से पहले हमेशा अंग्रेजों के साथ रहकर क्रांतिकारियों के सारे मूवमेंट की खबर अंग्रेजों को देते थे और कभी भी अंग्रेजों के विरोध में एक कंकर तक अंग्रेजों की तरफ नहीं मारा लेकिन आज़ादी के तुरंत बाद पहली गोली गाँधी जी को मारी ताकी गाँधी जी देश के बटवारे को रोक ना पाये और दंगों को अंजाम दिया जा सके.
याद रहे दोस्तों हमारे दुश्मन गाँधी, नेहरू, सुभाष, भगतसिंह, अम्बेडकर, पटेल, या छोटूराम नहीं हैं. इन सभी ने दुखी वर्गो के अधिकार के लिए अंग्रेजों को झुकाया था और सयंम रखते हुए खुद भी झुके थे.. और परिस्थितियों का सही आकलन करके फैसला भी किया था. कुछ फैसले उनके गलत हो सकते हैं. लेकिन हमें उस समय के फैसलों को भूल कर आज उनकी जरूरत को समझना चाहिए. क्युकी गलती हम भी करते हैं और कभी नहीं चाहते के वो गलती आने वाले समय में किसी को पता चले. इसलिए ईमानदारी से खुद को जनता के लिए ईमानदार बनाना है. और इन धार्मिक कट्टर ताकतों के मनसूबों को कामयाब होने से रोकना है. अगर हम सच में गांधीजी, सुभाष, अम्बेडकर, छोटूराम, भगतसिंह और अशफाक को जिन्दा रखना चाहते है तो हमें वैचारिक भेद को मन भेद बनने से रोकना होगा और देश को टूटने से बचाना होगा. इन महापुरुषों को पढ़िए तब जाकर हम इन सभी को समझ पाएंगे. इन कट्टर लोगों के चुंगल से निकलो और इनको जवाब दो कि दोबारा गाँधी की हत्या नहीं करने दी जाएगी.

(इस लेख में सभी विचार लेखक निजी विचार है। इससे गौरीकिरण कोई मतलब संबंध नहीं है)

Mani Brothers

Leave a Comment

Recent Posts

चोरी के दस कैमरा के साथ भगवानपुर हाट दो युवक को लकड़ी नवीगंज पुलिस ने किया गिरफ्तार

लकड़ी नवीगंज(सीवान)जिला के लकड़ी नवीगंज थाना पुलिस ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए दो चोरों…

9 hours ago

महाराजगंज में नहीं पहुंचे तेजस्वी, लोग करते रहे इंतजार,वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लोगों को किया संबोधित

सीवान:112 महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र के महाराजगंज के बोर्ड मिडिल स्कूल के खेल मैदान में  महागठबंधन समर्थित…

2 weeks ago

कुर्मी चेतना महारैली के सूत्रधार सतीश कुमार फिर मैदान में

बरबीघा से निर्दलीय उम्मीदवार बन राजनीतिक समीकरणों में हलचल बरबीघा(शेखपुरा)1990 के दशक में बिहार की…

2 weeks ago

महाराजगंज में राजद प्रत्याशी विशाल जायसवाल को मिल रहा हैं सभी वर्गों का समर्थन

सीवान:जिले के 112 महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र में राजद प्रत्याशी विशाल कुमार जायसवाल को सभी वर्गों…

2 weeks ago

नीतीश कुमार ने हर वर्ग, हर क्षेत्र और हर समाज के लिए बिना किसी भेदभाव के काम किया:मनीष वर्मा

मनीष वर्मा ने अपने संबोधन में विपक्ष पर जमकर निशाना साधा विपक्ष में बैठे लोगों…

2 weeks ago

राजद प्रत्याशी विशाल कुमार जायसवाल ने महाराजगंज में जन संपर्क कर मांगा आशीर्वाद

महाराजगंज(सीवान)जनसंपर्क यात्रा के तहत शनिवार को महराजगंज प्रखंड के विभिन्न पंचायतों और गाँवों में जनता…

3 weeks ago