भगवानपुर हाट(सीवान)ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात देना जरूरी होता है। उक्त बाते शिक्षक आफताब ने बताया।उन्होंने कहा कि महीने रोजा रखने के बाद ईद की खुशी खास होती है। लोग नए कपड़े पहनकर मस्जिद की ओर नमाज पढ़ने जाते हैं। लेकिन अगर नमाज से पहले फितरा और जकात नहीं दिया गया तो नमाज मुकम्मल नहीं मानी जाती।
फितरा हर व्यक्ति पर जरूरी होता है। चाहे वह बच्चा हो या बुजुर्ग। हर सदस्य के लिए 2 किलो 45 ग्राम गेहूं या चावल की कीमत निकालनी होती है। अगर गेहूं की कीमत 30 रुपए किलो है तो 2 किलो 45 ग्राम का मूल्य करीब 62 रुपए होता है। अगर परिवार में 10 सदस्य हैं तो कुल 620 रुपए फितरा देना होगा। यह पैसा गरीबों या अनाथ परिवारों को दिया जाता है, जो आर्थिक तंगी के कारण ईद नहीं मना पाते।
जकात भी जरूरी है। अगर किसी के बैंक खाते में एक लाख रुपए हैं तो उसमें से ढाई प्रतिशत यानी 2500 रुपए निकालकर गरीबों या अनाथ बच्चों के मदरसे या स्कूल को दान देना होता है। तभी ईद की नमाज पूरी मानी जाती है।
फितरा और जकात देना न सिर्फ धार्मिक फर्ज है, बल्कि समाज के जरूरतमंदों की मदद का जरिया भी है।
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