पूर्णिया(बिहार)कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी रही जिसने आम एवं खास सभी लोगों को परेशानी में डाला। संक्रामण काल में हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहता था।ऐसे मुश्किल समय में स्वास्थ्य कर्मियों, चिकित्सकों के अलावा बहुत से आम लोग भी थे जिन्होंने लोगों को विभिन्न माध्यमों से संक्रमण के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हीं में से एक हैं जिला मुख्यालय के कचहरी शिक्षा कॉलोनी निवासी मयंक रॉनी। इन्होंने संक्रमण काल में स्थानीय स्तर पर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक किया। इसके अलावा अलग-अलग वीडियो के माध्यम से भी लोगों को संक्रमण को हल्के में न लेकर सतर्क रहने के लिए आगाह किया। उनके कोविड-19 के प्रति जागरूकता वीडियो को केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा भी पुरस्कृत किया गया।
लॉकडाउन से ही लोगों को करने लगे जागरूक :
कोविड-19 संक्रमण ने अचानक से ही पूरे देश को झकझोर दिया था। सरकार द्वारा संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया। सरकार द्वारा इस बीमारी के प्रति इतनी सतर्कता और इंटरनेट द्वारा विभिन्न देशों में इतनी परेशानी से मयंक रॉनी को इस बीमारी के भयावह होने का पूरा अंदाज हो गया था। लॉकडाउन के बाद से ही अपने घर के आसपास के लोगों को उन्होंने इसके प्रति जागरूक करना शुरू किया। अगर कोई व्यक्ति उन्हें बिना मास्क के दिखे तो उन्हें मास्क लगाने के लिए बोलना और नहीं लगाने पर उनके साथ पूरे परिवार को उसका खामियाजा भुगतने को लेकर सतर्क करना शुरू किया। मयंक रॉनी ने कहा कि 2-4 लोगों के बीच किसी को मास्क के लिए बोलने से लोगों द्वारा इसमें सतर्कता आई और लोग संक्रमण से बचाव के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करने लगे।
वीडियो बनाकर भी किया जागरूक :
मयंक रॉनी ने बताया कि लॉकडाउन होने के बाद घर में रहकर उसने कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कुछ वीडियो भी बनाए। उसमें उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए मास्क की महत्ता , कोविड पॉजिटिव होने पर स्वयं ही स्थानीय चिकित्सकों को इसकी जानकारी देना इत्यादि शामिल था । उन्होंने बताया कि ये सभी वीडियो उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसकी अच्छी प्रतिक्रिया भी लोगों द्वारा दी गई।
केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा मिला पुरस्कार :
मयंक रॉनी ने बताया कि लॉकडाउन के समय अखबारों के माध्यम से मुझे केन्द्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रतियोगिता की जानकारी मिली| जिसमें कोरोना संक्रमण के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए वीडियो बनना था। वह वीडियो एक ही शॉट में बिना किसी तरह के कट् या किसी प्रकार की एडिटिंग के बनाई जानी थी। इसके लिए मैंने एक वीडियो बनाया जिसमें मैंने कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर मृत एक व्यक्ति की भूमिका निभाई। साढ़े तीन मिनट के उस वीडियो में मरने के बाद व्यक्ति की आत्मा क्या सोचती है, कोविड-19 के बचाव का पालन न करने और संक्रमित होकर मर जाने के बाद परिवार पर क्या गुजरती है, उसपर अभिनय किया था। ई-मेल के माध्यम से रेकॉर्ड वीडियो मंत्रालय भेजने के कुछ दिन पश्चात मुझे मंत्रालय द्वारा पुरस्कार स्वरूप दस हजार रुपए दिए गए। मेरे लिए यह बहुत खुशी की बात रही कि मेरी मेहनत जजों को अच्छी लगी।
वैक्सीन के लिए भी लोगों को कर रहे जागरूक :
मयंक रॉनी ने कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिए हमारे देश में वैक्सीन का निर्माण हो चुका है। चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन लगाने की शुरुआत भी हो गई है। परंतु अभी भी कुछ लोग वैक्सीन को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं जो बिल्कुल गलत है। वैक्सीन पूरी जांच एवं परीक्षण के बाद जारी की गई है। ऐसा सरकार और विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा माना भी गया है। अतः लोगों को इसके विषय में गलत जानकारी फैलाने से बचना चाहिए। मैं भी लोगों को वैक्सीन सुरक्षित होने और इसके लिए अफवाह नहीं फैलाने को कहता हूँ। उम्मीद है कि जल्द ही वैक्सीन आम लोगों के लिए भी शुरू की जाएगी और लोग कोरोना से बच सकेंगे।
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