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भारतीय उच्च शिक्षा में महिलाएँ: चुनौतियाँ एवं अवसर’ विषय पर राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का हुआ आयोजन

समाज और राष्ट्र उन्नति के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण :- डॉ. पंकज मित्तल

सांख्यिकीय दृष्टि से उच्च शिक्षा में महिलाओं का अनुपात बढ़ा:- प्रो. संजीव कुमार शर्मा

मोतिहारी हरिओम कुमार
बिहार:महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार एवं ओड़िशा केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारतीय उच्च शिक्षा में महिलाएँ: चुनौतियाँ एवं अवसर’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन बुधवार, 17 जून को प्रातः 11 बजे से किया गया।

राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने सभी वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह वेब संगोष्ठी एक बहुत बड़े स्तर का शैक्षणिक अनुष्ठान है जिसमें विदेशों से भी कई प्रतिभागी सहभागिता कर रहे हैं। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि वर्तमान में सांख्यिकीय दृष्टि से उच्च शिक्षा में महिलाओं का अनुपात बढ़ा है। यह उत्साहवर्धक संकेत है। आज के इस संगोष्ठी के चारों अनुभवी वक्ताओं के विचार को सुनने के बाद उस पर विमर्श एवं चिंतन करके महिलाओं के लिए एक नया अवसर एवं पथ बन सकते हैं। संगोष्ठी का शीर्षक बेहद महत्वपूर्ण है।

मुख्य अतिथि के तौर पर भारतीय विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल ने कही कि आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे आई है। महिलाओं के प्रति मानसिक अवधारणाओं को भी बदलने की आवश्यकता है, जब हम बड़े- बड़े वैज्ञानिक, डॉक्टर के बारे में सोचते हैं तो हमारे मस्तिष्क में पुरुष की छवि बनती है और जब हम नर्स या रिसेप्शनिस्ट के बारे में सोचते हैं तो महिला की छवि बनती है। हमारे पुरुष प्रधान समाज में अब परिवर्तन हो रहा है, लेकिन आज भी ग्रामीण समाज में महिलाओं के उच्च शिक्षा एवं अवसर के बारे में पुरुष निर्णय लेते हैं। इसपर भी हमें विचार करना चाहिए। परिवार प्रबंध करना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है जिसे महिलाएं आसानी से करती है। अब बहुत सारे संस्थानों में छोटे-छोटे कौशल विकास वाले प्रशिक्षण कोर्स भी चलाए जा रहे हैं जिससे महिलाएं इस कोर्स को करके आत्मनिर्भर हो रही है। महिला कॉलेज एवं महिला यूनिवर्सिटी की सचमुच जरूरत है। अंत में डॉ पंकज मित्तल ने महिलाओं के लिए प्रेरणादायी बातें कही कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, पहला- जो वक्त के सांचे में ढल गए, दूसरा- जो वक्त के सांचे को बदल दिए। यह आपको निर्णय लेना है कि आपको क्या करना है।

संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के तौर पर ओड़िशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, ओड़िशा के कुलपति प्रो. आई रामब्रह्मम ने इस वेब संगोष्ठी के प्रति खुशी जाहिर करते हुए कहा कि महिला डिसीजन मेकर होती है। महिलाएं एक अच्छी प्रशासक, प्रबंधक एवं सलाहकार भी होती है। महिलाओं में समाज एवं देश को नेतृत्व देने की भी क्षमता होती है। उन्होंने कहा कि इस कोरोनाकाल में भी बहुत सारी महिलाएं समाज के साथ खड़ी दिखी। वे कोरोना योद्धा के रूप में काम की। उच्च शिक्षा में महिलाओं को और आगे आना चाहिए इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को भी विचार करने की आवश्यकता है।

संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के तौर पर नालंदा विश्वविद्यालय, नालंदा, बिहार की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कही कि वेदों में भी स्त्रियों के शिक्षा-दीक्षा की बातें की गई है। प्राचीन समय में बालिकाओं को ललित कला की शिक्षा दी जाती थी। यजुर्वेद एवं ऋग्वेद में भी नारी को शिक्षा का अधिकार दिया गया है। शिक्षा से महिलाओं को वंचित रखना उसपर अत्याचार करने जैसा है। भारत की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ी है। आज भी महिलाओं के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं, इस चुनौतियों को अवसर में बदलने की आवश्यकता है। महिलाएं हरेक परिस्थितियों का सामना कर सकती है एवं हर क्षेत्र में कुशल प्रतिनिधित्व कर सकती है।

संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के तौर पर एस.एन.डी.टी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई, महाराष्ट्र की कुलपति प्रो. शशिकला वनजारी ने शिक्षा के प्रति स्वामी विवेकानंद के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कही कि व्यक्ति का विकास शिक्षा से है। जो व्यक्ति प्रकृति से लड़ सकता है वह उसमें चैतन्य होता है। शिक्षा ऐसी हो जिससे चरित्र निर्माण हो सकें और मस्तिष्क का विकास हो सकें। भारत के शिक्षा व्यवस्था में महिलाओं को प्रथम प्रधानता देना चाहिए तब ही राष्ट्र का विकास होगा। महिलाओं की पवित्रता एवं गौरव शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। उच्च शिक्षा के प्रति महिलाओं में जागरूकता भी बढ़ी है, यह सकारात्मक पहल है। महिलाओं के विकास में पुरुषों का भी योगदान रहा है।

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध और विकास संकाय के अधिष्ठाता एवं इस वेब संगोष्ठी के संयोजक प्रो. राजीव कुमार ने बताया कि इस राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में 8 हजार से अधिक प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन किया एवं देश के विभिन्न प्रांतों से एक हजार से अधिक लोगों ने जूम एप के माध्यम से इस कार्यक्रम में सहभागिता किया। साथ ही विदेशों से भी कई प्रतिभागी जुड़े थे। इस राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से पचास हजार लोगों तक पहुंच बनाने का लक्ष्य था जिसमें हम सफल रहें। आज का यह कार्यक्रम महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार एवं उड़ीसा केंद्रीय विश्वविद्यालय, उड़ीसा के संयुक्त तत्वावधान में अथक प्रयास से सफल हो पाया।
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. शहाना मजूमदार राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी की संयोजक थी। कार्यक्रम का संचालन महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सपना सुगंधा ने की। अथितियों का परिचय डॉ. प्रीति वाजपेयी, डॉ. सपना आदि ने दी। धन्यवाद ज्ञापन राजनीति विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रो. डॉ. सरिता तिवारी ने प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में प्रो. अरुण कुमार भगत, प्रो. आनंद प्रकाश , डीएसडब्ल्यू प्रो. आनंद प्रकाश, प्रो. पवनेश कुमार सहित संगोष्ठी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं उड़ीसा केंद्रीय विश्वविद्यालय के सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शोधार्थी एवं विद्यार्थी सक्रिय रूप से जुड़े थे। तकनीकी गतिविधियों का संचालन व संयोजन महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की पीआरओ शेफालिका मिश्रा एवं सिस्टम एनालिस्ट दीपक दिनकर ने किया।

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