• प्रत्येक घर के सर्वे एवं जागरूकता से कोरोना को मिली मात
• पोषण गतिविधियों को नहीं होने दिया प्रभावित
पूर्णिया(बिहार)कोरोना के संक्रमण से जिला भी अछूता नहीं रहा है. समय के साथ कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी भी देखी गयी है. यद्यपि, कोरोना संक्रमण की रोकथाम में स्वास्थ्य विभाग के साथ आईसीडीएस कर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. कोरोना योद्धाओं के योगदान के कारण जिले के कई क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण नहीं पहुँच सका है, जिसमें जिले के बैसा प्रखंड का मालोपारा पंचायत भी शामिल है. इस सफ़लता के पीछे पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-156 की सेविका नीतू के योगदान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है. लॉकडाउन के बाद आंगनबाड़ी केन्द्रों के बंद होने के कारण एक तरफ नीतू के ऊपर पोषण सेवाओं को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी थी, तो दूसरी तरफ़ अपने क्षेत्र को कोरोना से सुरक्षित रखने का भी दबाब था. लेकिन दोनों जिम्मेदारियों को नीतू ने बखूबी निभाया. यही वजह है कि उनका क्षेत्र कोरोना से अछूता भी रहा एवं वह अपने क्षेत्र में पोषण सेवाओं को भी लाभार्थी तक पहुंचाती रही.
सर्वे एवं जागरूकता कोरोना को रोकने में रही मददगार:
सेविका नीतू देवी ने बताया उनके पोषक क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 1319 है. जबकि घरों की संख्या 291 हैं. उन्होंने बताया कि वह अपने पोषक क्षेत्र के इन सभी घरों में जाकर सर्वे का कार्य सेवा भाव के साथ की । सर्वे के दौरान उन्होंने घर की मुखिया या महिलाओं से सामाजिक दूरी अपनाकर सर्दी, खांसी, बुखार या अन्य प्रकार की कोई भी अन्य प्रकार की कोई बीमारी होने की जानकारी ली. साथ ही उन्हें कोरोना से बचाव पर भी जागरूक किया. गृह भ्रमण के दौरान अपने चेहरे पर मास्क, ग्लब्स एवं शारीरिक दूरी का भी उन्होंने पूरा ख्याल रखा. इस दौरान उन्होंने कोरोना के साथ पोषण सेवाओं की भी जानकारी लेती रही. अपने पोषक क्षेत्र में चिन्हित गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं एवं बच्चों के घरों के दौरा कर उनका ध्यान भी रखा एवं उन तक पोषण सेवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित करायी.
किशोरियाँ फोन से लेती हैं सलाह:
किशोरावस्था काफ़ी बदलाव का समय होता है. विशेषकर किशोरियों में माहवारी स्वच्छता की जानकारी होना काफी जरुरी है. इस दिशा में भी सेविका नीतू ने सराहनीय प्रयास किया है. नीतू ने बताया कि पोषक क्षेत्रों की किशोरियों को आरोग्य दिवस के दिन आंगनबाड़ी केंद्र पर बुलाकर मासिक धर्म के संबंध में बताया जाता है. इस दौरान किशोरियों को माहवारी के समय कपड़े का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि उससे कई तरह की बीमारी या इन्फेक्शन होने की संभावना रहती हैं. उन्होंने बताया कि इस दिशा में वह किशोरियों से व्यक्तिगत तौर पर मिलती हैं एवं उन्हें इसके विषय में जानकारी देती है. इसका असर यह है कि कई किशोरियों उनसे फोन कर इसके विषय में जानकारी लेती हैं.
कुपोषण दूर करने के लिए पौष्टिक आहार लेना है जरूरी: डीपीओं
आईसीडीएस की डीपीओं शोभा सिन्हा ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में पोषण सेवाओं को सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ थी.लेकिन आईसीडीएस कर्मियों ने इस दौरान बेहतर प्रदर्शन किया है. नीतू भी उन्हीं कर्मियों में से एक है. उन्होंने बताया कि कोरोना के दौर में भी पोषण सेवाओं को लाभार्थियों तक पहुँचाया गया है. धीरे-धीरे संक्रमण सामान्य होने के साथ सेवाओं की गति को और बढ़ाया जाएगा.
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