News anchor and journalist Ms. Nagma Sahar to discuss 'Future of TV News' on June 19 at 4:00 pm
भोपाल माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी ने कहा कि दुनिया में किसी भी देश या समाज की पहचान उस देश की लोक संस्कृति के माध्यम से बनती है। अमूर्त विरासत (लोक संस्कृति) का गहरा प्रभाव पड़ता है। आज मीडिया समाज में परिवर्तनकर्ता की भूमिका निभा रहा है एवं इसलिए मीडिया में लोक संस्कृति को प्रमुख स्थान प्राप्त होना चाहिए। भोपाल के पत्रकारों के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि यहाँ के पत्रकारों की सांस्कृतिक समझ बहुत अच्छी है। वे जब भी मध्यप्रदेश में आई हैं, उन्हें मीडिया की रिपोर्टिंग ने प्रभावित किया है।
‘लोक संस्कृति और मीडिया’ के विषय पर अपने विचार साझा करते हुए पद्मश्री से अलंकृत प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी ने कहा कि आज जो लोक संस्कृति, लोकगीत, लोकगाथाएं हमारे सामने प्रचलित हैं, वे हमारे पूर्वजों के अथक प्रयासों का परिणाम हैं। हमारे पूर्वजों ने इन्हें कहीं परंपराओं के माध्यम से तो कहीं लोकगीतों के रूप में संस्कारों में ढाल कर संजोए रखा।
उन्होंने कहा कि हमारी पूरी संस्कृति चूंकि वैज्ञानिकता की कसौटी पर कसी हुई है उसको ध्यान रखते हुए हमारे पूर्वजों ने उसका सरलीकरण करके लोक विश्वास, लोकगीतों, छंदों, त्योहारों के अनुरूप अपनी जीवनशैली में ढ़ाला और न केवल उसका पालन किया बल्कि दायित्व के साथ इसे अगली पीढ़ी के हाथों में भी सौंपा भी। आज के युवाओं का कर्तव्य है कि पुरखों से मिली अपनी संस्कृति का अनुसरण करें और उसे जीवंत रखें।
श्रीमती अवस्थी ने कहा कि श्रुति परंपरा का सहारा लेते हुए लोक संस्कृति का उद्भव हुआ और आज यह हमारे बीच डिजिटल रूप में भी उपस्थित है। इसके संरक्षण और संवर्धन में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि न केवल हिंदी अखबारों ने बल्कि अंग्रेजी के अखबारों ने भी लोक संस्कृति को बचाने के महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। लोक संस्कृति एक ऐसा विषय है जिसके बारे में पत्रकारों को समझ होना आवश्यक है। यह हमारा दायित्व भी है एवं पूर्वजों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करने का तरीका भी है। उन्होंने यह भी कहा कि जिज्ञासा के साथ दायित्वबोध होना बहुत जरूरी है। यह दायित्व बोध मुझे मध्यप्रदेश के पत्रकारों में दिखाई देता है। भोपाल के पत्रकारों की सांस्कृतिक समझ बहुत अच्छी है। इसका अनुभव उनसे बातचीत और उनकी रिपोर्टिंग में हुआ है।
उन्होंने कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना भारत की लोक संस्कृति में समाहित है। श्रीमती अवस्थी ने हिरणी और कौशल्या का उदाहरण देकर बताया कि किस प्रकार लोकगीतों के माध्यम से त्योहारों एवं उत्सवों में भी करुण प्रसंगों को याद किया जाता है और सबके हितों को ध्यान में रखा जाता है। लोक संस्कृति समाज को सम दृष्टि से देखने का नजरिया प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के समय में लोक संस्कृति अर्थात अपनी जड़ों से जुड़ा होना अत्यंत आवश्यक है।
आज न्यूज़ एंकर सुश्री नगमा सहर करेंगी ‘टीवी न्यूज़ के भविष्य’ पर चर्चा :
ऑनलाइन व्याख्यानमाला ‘स्त्री शक्ति संवाद’ के अंतर्गत 19 जून, शुक्रवार को शाम 4:00 बजे चर्चित न्यूज एंकर एवं पत्रकार सुश्री नगमा सहर ‘टीवी न्यूज का भविष्य’ विषय पर चर्चा करेंगी। उनका व्याख्यान विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर शाम 4:00 बजे किया जायेगा।
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