बदलाव की राह पर निकले निशिकांत, जन आशीर्वाद यात्रा शुरू
पटना:बिहार की सामाजिक और औद्योगिक बदहाली से आहत होकर निशिकांत सिन्हा ने ‘जन आशीर्वाद पार्टी’ की शुरुआत की है। उनका सपना है एक ऐसा बिहार, जहाँ दलित, वंचित और बेरोजगार युवाओं को उनका हक मिले। वे राजनीति को सेवा का माध्यम मानते हैं। उनका मानना है कि जब तक नेतृत्व ज़मीन से नहीं जुड़ेगा, तब तक बिहार आगे नहीं बढ़ेगा।
निशिकांत कहते हैं, “मैं बदलाव का वाहक बनना चाहता हूँ। सिर्फ वादों से नहीं, ज़मीन पर काम करके। बिहार के युवाओं को घर में ही अवसर चाहिए, बाहर जाने की मजबूरी नहीं।” वे मानते हैं कि आज की राजनीति नारों पर चल रही है, नतीजों पर नहीं। इसे बदलने का प्रण लेकर वे निकले हैं।
पिछले पाँच वर्षों में निशिकांत हर साल 25 से 30 छात्र-छात्राओं को गोद लेकर उनकी पढ़ाई, रहन-सहन और करियर में मदद करते रहे हैं। नवादा और गया के छात्रावासों को आर्थिक सहायता दी। ज़रूरतमंद बेटियों की शादी में सहयोग कर कई परिवारों को सहारा दिया। उनका कहना है, “एक बच्ची पढ़ती है तो पूरा समाज रोशन होता है। मैंने कोशिश की है कि बेटियों के सपनों को उड़ान मिले, बिना किसी डर या बोझ के।”
निशिकांत अपनी आय का 70 से 80 प्रतिशत हिस्सा समाज सेवा में खर्च करते हैं। उनका मानना है कि पैसा तभी सार्थक है, जब वह किसी की ज़रूरत पूरी करे। वे कहते हैं, “समाज ने मुझे बहुत कुछ दिया है, अब मेरी जिम्मेदारी है लौटाने की।”
बिहार की औद्योगिक स्थिति पर वे चिंतित हैं। कहते हैं, “यहाँ हुनर की कमी नहीं, पर मंच नहीं मिलता। जब तक हम खुद उद्योग नहीं लगाएंगे, स्टार्टअप को बढ़ावा नहीं देंगे, पलायन नहीं रुकेगा।” बिहार सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, राज्य के GSDP में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 2021-22 में 9.9% था, जो 2023-24 में घटकर 7.6% रह गया। चालू कारखानों की संख्या 2013-14 में 3,132 थी, जो 2022-23 में घटकर 2,782 रह गई। केयर एज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार निवेश, बैंकिंग और राजकोषीय स्थिति में सबसे नीचे है।
निशिकांत का मानना है कि पलायन रोकने के लिए हर ज़िले में मेगा स्किल सेंटर, तकनीकी कॉलेज और स्कूल बनने चाहिए। स्टार्टअप और लघु उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ सुधारों को ज़मीन पर लागू करना होगा। वे कहते हैं, “हमारे युवा बाहर जाकर नाम कमाते हैं, पर बिहार को उनका हुनर नहीं मिल पाता। मेरा लक्ष्य है हर ज़िले को मिनी-इंडस्ट्रियल जोन बनाना।”
कुशवाहा समाज को लेकर वे कहते हैं, “यह समाज मेहनती और जागरूक है, पर बार-बार हाशिए पर रखा गया। मेरा प्रयास रहेगा कि इसे वह सम्मान और भागीदारी मिले, जिसका वह हकदार है।”
बिहार की आर्थिक स्थिति पर निशिकांत कहते हैं कि राज्य ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ रैंकिंग में 26वें स्थान पर है। देश के 17 बड़े राज्यों में वित्तीय स्थिति में सबसे नीचे है। देश की कुल क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों का सिर्फ 1.34% बिहार में है। केयर एज एजेंसी की कंपोज़िट रैंकिंग में बिहार को 17 में से सबसे कम 34.8 अंक मिले हैं। वे कहते हैं, “बिहार बीमार है, पर लाइलाज नहीं। नीयत साफ़ हो और नीति मजबूत हो, तो बदलाव मुमकिन है। हमारी पार्टी इसी सोच को चुनौती देने के लिए बनी है।”