कटिहार(बिहार)फाइलेरिया एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जिसका सम्पूर्ण इलाज संभव नहीं है। फाइलेरिया ग्रसित मरीजों के हाथ या पैर में बहुत सूजन होती है । नियमित रूप से इसका ध्यान नहीं रखने पर ये विकराल रूप धारण कर लेता है। ऐसा होने पर फाइलेरिया ग्रसित लोगों की जिंदगी बहुत से मुश्किलों से भर जाती है। पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को विकलांगता की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। फाइलेरिया ग्रसित लोगों की जीवनशैली पर ध्यान देने से स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनकी समस्या को समझते हुए इसे भी विकलांगता की श्रेणी में जोड़ दिया गया है। अब जिले में फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित लोगों को विकलांगता प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है। फाइलेरिया मरीजों के ग्रसित अंगों को सात ग्रेड में रखा जाता है। पहले तीन ग्रेड तक फाइलेरिया ग्रसित मरीज को सामान्य जीवन जीने में उतनी समस्या नहीं होती है। लेकिन ग्रेड चार से सात तक फाइलेरिया ग्रसित अंग बहुत विकराल रूप धारण कर लेते हैं। जिससे ग्रसित मरीजों के जीवनयापन करने में बहुत समस्या होती है। ऐसे मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा विकलांग की श्रेणी में रखा जा रहा है। इससे ऐसे मरीज विकलांग पेंशन के साथ अन्य सभी प्रकार की विकलांग सुविधा का लाभ ले सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की पहचान कर उन्हें विकलांगता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करवाते हुए उन्हें विकलांगता प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है।
विकलांगता प्रमाणपत्र मिलने से जीवन थोड़ा आसान :
दंडखोरा प्रखंड स्थित दुवासय पंचायत के फाइलेरिया ग्रसित मरीज जगदेव यादव पिछले 15 साल से फाइलेरिया ग्रसित हैं। उनका दाहिना पैर बहुत मोटा हो गया है जिससे उन्हें चलने, बैठने या किसी भी तरह के काम करने में बहुत समस्या होती है। उनके फाइलेरिया ग्रसित अंग की जांच करने के बाद उन्हें विकलांगता प्रमाणपत्र जारी किया गया। इसकी प्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत समय से फाइलेरिया का दर्द झेल रहा हूं लेकिन पहले हमें किसी तरह की स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती था। पिछले कुछ समय में प्रखंड में फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को स्वस्थ सुविधा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अलग अलग क्षेत्रों में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप चलाया जा रहा है। हर माह इस ग्रुप की बैठक आयोजित कर मरीजों के स्वास्थ्य की जानकारी लेते हुए उन्हें इसे नियंत्रित रखने की जानकारी दी जाती है। मरीजों को जरूरत होने पर उन्हें अस्पताल से आवश्यक दवाई के साथ ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने के लिए एमएमडीपी किट्स भी दी जाती है। अब ज्यादा फाइलेरिया से बीमार लोगों को विकलांगता प्रमाणपत्र भी दिया जा रहा है जिससे हमारी जीवन में थोड़ी आसानी हो सकेगी। अब हमें विकलांग पेंशन के साथ अन्य सरकारी सुविधाओं में आवश्यक लाभ मिल सकेगा।
क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जे. पी. सिंह ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला रोग है। क्यूलेक्स मच्छर सामान्य दिखने वाले मच्छरों से तीन गुना छोटा होता है। किसी फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को काटने के बाद सामान्य लोगों को काटने पर उसमें कीटाणु छोड़ दिया जाता है। इसकी पहचान लोगों को ग्रसित होने के 5 साल से ज्यादा समय बाद पता चलता है। एक बार यदि लोग फाइलेरिया ग्रसित हो गए तो उनका कोई इलाज नहीं हो सकता। फाइलेरिया ग्रसित होने के बाद अस्पताल से नियमित दवाई और घर में एक्सरसाइज करने से फाइलेरिया ग्रसित अंग को नियंत्रित रखा जा सकता है।
जिले में 2 हजार 933 मरीज हैं लेम्फेडेमा फाइलेरिया से ग्रसित :
भीडीसीओ एन. के. मिश्रा ने बताया कि जिले में लेम्फेडेमा फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की संख्या 02 हजार 933 है। इन सभी लोगों के हाथ या पैर फाइलेरिया से ग्रसित हैं जिसका सम्पूर्ण रूप से इलाज नहीं किया जा सकता है। ऐसे मरीजों को नियमित रूप से स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जा रही एमएमडीपी किट्स का उपयोग करते हुए फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ सफाई करते हुए ग्रसित अंगों में महलम लगाना चाहिए। जिले के सभी फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को एमएमडीपी किट्स प्रदान करते हुए उन्हें इसके उपयोग के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। ऐसे मरीजों को साल में एक बार एमएमडीपी किट्स वितरित करते हुए उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित किया जाता है। जिससे कि उनका फाइलेरिया ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखा जा सके। उन्होंने बताया कि हाथ- पैर के साथ साथ पुरूष लोगों का हाइड्रोसील भी फाइलेरिया से ग्रसित हो सकता है। हाइड्रोसील फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों का ऑपरेशन के माध्यम से इलाज किया जा सकता है। ऑपरेशन के बाद ऐसे मरीज फाइलेरिया बीमारी से ठीक हो सकते हैं। जिले में वर्तमान में 475 हाइड्रोसील फाइलेरिया से ग्रसित मरीज हैं। जिसमें से 132 हाइड्रोसील फाइलेरिया ग्रसित मरीजों का ऑपरेशन के माध्यम से उपचार किया जा चुका है।
लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए चलाया जाता है सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम :
जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जे. पी. सिंह ने बताया कि लोगों को फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है। जिसके तहत ग्रसित स्तर तक आशा कर्मियों द्वारा 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाती है। नियमित रूप से पांच साल तक इसका सेवन करने पर लोग फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। वर्ष 2024 में एमडीए कार्यक्रम की शुरुआत 10 फरवरी से होना सुनिश्चित किया गया है। इस दौरान स्थानीय आशा कर्मियों द्वारा लोगों को घर-घर जाकर दवाई खिलाई जाएगी। सभी लोगों को इसका सेवन करते हुए अपने और अपने परिवार के सभी सदस्यों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखना चाहिए।
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