• संस्थागत प्रसव से शिशु व मातृ मृत्यु दर में आयेगी कमी
• जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं का रखा जाता है विशेष ध्यान
• माताओं की नियमित जांच कर दी जाती स्वास्थ्य सुविधाएं
• बीमार नवजातों के लिए सदर अस्पताल में संचालित है एसएनसीयू
किशनगंज(बिहार)केंद्र व राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग के स्तर से जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए विभिन्न योजनाएं चल रही हैं। ताकि, सुरक्षति प्रसव के साथ-साथ मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल संचालन के लिए जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर पर निरंतर प्रयास किए जा रहें हैं, जिसका सकारात्मक असर भी दिख दिख रहा है। लेकिन, जिले के ग्रामीण इलाकों में अभी भी ऐसे गांव हैं, जहां गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में भर्ती करने के बजाए परिजन घरेलु प्रसव व निजी क्लिनिक में ले जाते हैं। जो जच्चा व बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
ग्रामीण इलाकों में दिया जा रहा वीएचएसएनडी पर बल :
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के जिला कार्यक्रम सहायक सुशील झा ने बताया ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर अधिक से अधिक गर्भवती माताओं के प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित कराने पर बल दिया जाता रहा है। इसके लिए सभी एएनएम एवं आशाओं का क्षमतावर्धन भी किया गया है। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के संबंधित प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के साथ क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को भी इसको लेकर विशेष निर्देश दिये गए हैं। संस्थागत प्रसव कराने से शिशुओं के साथ-साथ माताएं भी सुरक्षित रहती हैं। इसके माध्यम से जिले में पूर्व की अपेक्षा मातृ-शिशु मृत्यु दर बहुत कम हुआ है। अभी गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता और एएनएम लगातार गर्भवती माताओं को प्रसव पूर्व जांच कराने के लिए प्रेरित कर रहीं हैं।
मां बनने पर मिलते हैं 5 हजार रुपये,प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ परियोजना के सभी सुयोग ,माताओं को मिले :
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ कोचाधामन परियोजना के सभी सुयोग माताओं को मिले उक्त बातें कोचाधामन के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रागनी कुमारी ने बताया। साथ ही बताया कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना स्वस्थ भारत के परिकल्पना की बुनियाद है। इस योजना के तहत प्रथम बार मां बनने वाली माताओं को ₹5000 की सहायता धनराशि दी जाती है, जो सीधे गर्भवती महिलाओं के खाते में पहुंचती है, इस योजना के तहत दी जाने वाली धनराशि को तीन किस्तों में दिया जाता है, पहली किस्त ₹1000 की तब दी जाती है जब गर्भवती महिला अंतिम मासिक चक्र के 150 दिनों के अंदर गर्भावस्था का पंजीकरण कराती है, दूसरी किस्त में ₹2000 गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के एक माह पूरा होने के बाद कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच करने पर दी जाती है, तीसरी और अंतिम किस्त में ₹2000 बच्चे के जन्म के पंजीकरण के उपरांत एवं प्रथम चक्र का टीकाकरण पूर्ण होने के बाद प्रदान की जाती है। साथ ही उन्होंने बताया बाल सुलभ मॉडल आंगनवाड़ी के उन्नयन और विकसित करने का उद्देश्य परियोजना स्तर पर उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित करके समुदाय और दूसरे आंगनवाड़ी केंद्र को प्रेरित करने का है इसके लिए चयनित आंगनवाड़ी में समेकित बाल विकास सेवाओं को बेहतर रूप से प्रदान करने के लिए भौतिक वातावरण में उपयुक्त और टिकाऊ बदलाव करने का प्रयास किया जा रहा है।
संस्थागत प्रसव के फायदे:
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