मोतिहारी(बिहार)लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र,महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत ‘राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर काव्यपाठ प्रतियोगिता’ का आयोजन दिनांक 19 अप्रैल, 2021 को आभासी मंच के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने की। अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि दिनकर केवल ओज और राष्ट्रकवि नहीं है अपितु उनकी कविता में प्रेम, श्रृंगार लालित्य और संवेदना का वैविध्य हैं। वह एक तरफ ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पुस्तक लिखकर भारत की सांस्कृतिक और राजनीतिक ऐतिहासिकता और विहत्तर फलक से परिचित कराते है तो दूसरी तरफ एक सांसद के रूप में अपनी सजगता के दर्शन कराते हैं। उन्होंने कहा कि दिनकर समय के ‘सजग’ कवि हैं। ‘छायावाद’ और ‘प्रगतिवाद’ में आस्था रखते हुए दिनकर ‘राष्ट्रवाद’ के कवि हैं। ‘दिनकर’ की गूंज सीमाओं को भेद तक पहुँचे यही इस समय की मांग है। कुलपति प्रो. शर्मा ने उनकी अनेक महत्वपूर्ण रचनाओं को भावपूर्ण शैली में सुनाया जो अद्भुत थी।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रो.ए.डी.एन.वाजपेयी,कुलपति, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर ने कहा कि दिनकर को सुनना और गुनना महत्वपूर्ण है। हम सभी जब दिनकर को पढ़ते है तो अपनी पसंद के अनुसार और जब उनकी कविता का बोध करते है तो भी अपनी पसंद सर्वोपरि होती हैं। उन्होंने कहा कि, आज की पीढ़ी को कवि की रचना का ‘स्वर’ पकड़ना आवश्यक है। प्रत्येक कवि का अपना ‘संसार’ होता है। कवि को महसूसने वाले पाठक का भी ‘निजी संसार’ होता है। इन दोनों का समवेत स्वर ही ‘काव्य’ है। दिनकर ने जो भी विषय पर लेखन किया वह राष्ट्र और समाज से उद्भूत रहा।
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष एवं प्रति-कुलपति प्रो.जी.गोपाल रेड्डी ने आशीर्वचन प्रदान किया। साथ ही उन्होंने साहित्यप्रेमियों को दिनकर की कविता के विषय, रस,श्रृंगार
एवं भाव से सीख लेने की बात की।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो.सुशील कुमार शर्मा, अंग्रेजी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद ने कहा कि आज दिनकर की कविताओं के माध्यम से देश की संस्कृति को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। कोई भी देश अपनी मिट्टी की सुगंध के बिना आगे नहीं बढ़ सकता है। लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के निदेशक प्रो.राजेंद्र सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए केंद्र की गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि, इस केंद्र के स्थापत्य के मूल में ‘लोक कला एवं संस्कृति’ का संरक्षण एवं संवर्धन है। केंद्र निरंतर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से गतिशील है।अतिथियों का स्वागत-परिचय लोक कला संस्कृति निष्पादन केंद्र के सदस्य डॉ. अंजनी कुमार झा, डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव, डॉ. बबिता मिश्रा एवं डॉ. श्वेता ने किया।
अतिथियों एवं प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन प्रो.प्रसून दत्त सिंह, केंद्र निदेशक, ‘भारत विद्या केंद्र’ महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार ने किया।
प्रतियोगिता के परिणाम की घोषणा निर्णायक मंडल के सदस्य डॉ. विश्वेश वाग्मी, सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग एवं सूक्ष्म टिप्पणी डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र, सहायक आचार्य, मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा की गयी।काव्य प्रतियोगिता के विजयी प्रतियोगी में क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं स्थान पर प्रिया कुमारी, रश्मि सिंह और मनीष कुमार भारती रहे। सांत्वना पुरस्कार में प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर क्रमशः श्वेता कुमारी और राहुल मिश्रा विजयी रहे।काव्य प्रतियोगिता का सफल संचालन कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. विमलेश कुमार सिंह, अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार ने किया। इस दौरान विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू प्रो. आनंद प्रकाश, ओएसडी एडमिन प्रो. राजीव कुमार, अधिष्ठाता प्रो. आशीष कुमार श्रीवास्तव, प्रो. अजय कुमार, प्रो. विजय शर्मा, डॉ. जुगुल दाधीच आदि विभिन्न विभागों के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने ‘दिनकर काव्य-पाठ प्रतियोगिता’ में सहभागिता की। कार्यक्रम से विभिन्न विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी भी गूगल मीट और फेसबुक पेज के माध्यम से जुड़े थे।
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