छोटे बच्चों की गृह आधारित देखभाल को लेकर दिया गया आशाओं को प्रशिक्षण:
गृह आधारित देखभाल से छोटे बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े जोखिम की होती है पहचान:
गया (बिहार)जन्म के बाद छोटे बच्चों का गृह आधारित देखभाल जरूरी है।गृह आधारित देखभाल कर शिशु के स्वास्थ्य का नियमित अनुश्रवण किया जाता है।इससे बच्चों का सही शारीरिक व मानसिक विकास का पता चलता है। बच्चे में किसी प्रकार की जन्मजात विकृति की पहचान कर समय पर इलाज कराने में सुविधा होती है। गृह आधारित सेवाओं को बढ़ाकर शिशु के स्वास्थ्य संबंधी जोखिम की पहचान और त्वरित निदान कर शिशु मृत्यु दर को काफी कम किया जा सकता है। ऐसे में जमीनी स्तर पर काम करने वाली आशाओं की ट्रेनिंग महत्वपूर्ण होती है।यह बातें मंगलवार को शेरघाटी अनुमंडल अस्पताल स्थित एएनएम ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट सभागार में प्रारंभ हुए आशाओं को गृह आधारित देखभाल प्रशिक्षण के दौरान बतायी गयी।पांच दिवसीय प्रशिक्षण में अनुमंडल के सभी प्रखंडों की 25 आशाओं ने हिस्सा लिया।प्रशिक्षण के दौरान नेशनल न्यूट्रिशन मिशन के प्रशिक्षक नीरज कुमार सिंह तथा हिमांशु शेखर मौजूद रहे।प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षकों ने बताया कि आशा होने के नाते उनके कार्यक्षेत्र में हाल ही में बच्चे को जन्म देने वाली माताओं नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों की घर पर देखभाल की मुख्य जिम्मेदारी होती है। इसलिए इस जिम्मेदारी का भलीभांति निर्वाह किया जाये ताकि स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति आमजन का भरोसा कायम हो।
आवश्यक उपकरणों को साथ रखने की दी जानकारी:
प्रशिक्षण के दौरान आशाओं को बताया गया कि गृह भेंट से पूर्व की तैयारियों में अपने पास आवश्यक रजिस्टर, डिजिटल घड़ी व थर्मामीटर, बच्चे का वजन लेने वाली मशीन और झूला व अन्य समान रखें। इसके साथ ही ओआरएस के पैकेट,आयरन फॉलिक एसिड सिरप व टीकाकरण कार्ड को आवश्यक रूप से रखें। गृह भेंट के दौरान मां और बच्चे की सेहत के बारे में जांच पड़ताल तथा सही प्रकार से स्तनपान की जानकारी लें।इसके साथ बच्चे का वजन, शारीरिक तापमान, किसी प्रकार की जन्मजात विकृति आदि की जानकारी लें।किसी बीमारी की स्थिति में प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य संस्थान रेफर करें। गृहभ्रमण के दौरान माता को स्तनपान कराने के लिए लाभ के बारे में बतायें। बताया गया कि यदि शिशु स्तनपान करने में असमर्थ है, धीमी आवाज में रोता है या शरीर का ढ़ीलापन रहता है, सांस तेज चल रही हो या सांस लेने में परेशानी महसूस हो रही हो, शरीर छूने पर ठंडा महसूस हो रहा हो या हथेलियों और तलवों में पीलापन हो तो यह खतरों के लक्षण है। इन लक्षणों के आधार में सामुदायिक स्वास्थ्य संस्थान भेजें।इसके साथ ही नवजात शिशु को घर में गरम रखने के लिए त्वचा से त्वचा संपर्क यानि कंगारू मदर केयर के बारे में बताया गया।
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