मृत्यु भोज बंद करने का संकल्प, संविधान पाठ से दी श्रद्धांजलि
बड़हरिया(सीवान)डुमरी गांव में सेवानिवृत्त डाक अधीक्षक रंगीला प्रसाद यादव को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई। प्रोफेसर डॉ. वीरेंद्र प्रसाद यादव ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का पाठ कराया। मंच संचालन प्रोफेसर गणेशाराम उर्फ ज्ञान रत्न ने किया।

बोकारो स्टील प्लांट के महाप्रबंधक एमके राजन, जिला न्यायधीश सत्यनारायण राम, बड़हरिया विधायक बच्चा पांडेय, दरौली विधायक सत्यदेव राम, जीरादेई विधायक अमरजीत कुशवाहा, एमएलसी परमात्मा राम, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी, समाजसेवी अनवार उल हक, डॉक्टर अशरफ अली, डायरेक्टर अर्जुन कुमार शाह सहित कई लोगों ने श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर शांति पाठ भी हुआ।

राजन ने महात्मा बुद्ध के विचारों को अपनाने की बात कही। विधायक अमरजीत कुशवाहा ने कार्ल मार्क्स, न्यूटन और डार्विन के सिद्धांतों का हवाला देते हुए अध्यात्म की जगह पदार्थवाद को अपनाने की बात कही। विधायक बच्चा पांडेय ने मृत्यु भोज बंद करने के कदम को साहसिक बताया। विधायक सत्यदेव राम ने प्रोफेसर यादव की माता राजदेइ देवी को सांत्वना दी।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने डाक बाबू के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। प्राचार्य शशिकांत कुमार ने पर्यावरण बचाने के लिए पौधे बांटे। हरेंद्र प्रसाद यादव ने जरूरतमंद स्कूली बच्चों को बैग और पाठ्य सामग्री दी। रविंद्र यादव ने पिता को याद कर भावुक होकर रो पड़े। समाजसेवी अनवार उल हक ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

गोरखपुर के भजन गायक रामसनेही दास ने माता-पिता की सेवा को सच्ची पूजा बताया। समाज सुधारक चंद्रभूषण सिंह यादव ने आत्मा और ईश्वर को झूठा बताते हुए मृत्यु भोज बंद करने की वकालत की।

इस मौके पर मोतिहारी के रविंद्र सिंह मौर्य, मदन प्रसाद, समाजसेवी शंकर यादव, ऑडिटर गौतम यादव, डॉक्टर उमाशंकर प्रसाद, प्रोफेसर हरे राम शर्मा, प्रोफेसर नारायण शर्मा, प्रोफेसर इंद्रजीत चौधरी, प्रोफेसर मनोज यादव, प्रोफेसर विनोद प्रसाद, प्रोफेसर शिवजी, मुखिया जीवनारायण यादव, डॉक्टर असलम, डॉक्टर मुंशी प्रसाद, लाल बाबू यादव, एहसान, प्राचार्य राघव प्रसाद, सिपाही रामजी राम, चंदन यादव, विजय सिंह मौर्य, वीरेंद्र प्रकृति, समाजसेवी प्रदीप यादव, टुनटुन यादव, शिक्षक ध्रुव लाल प्रसाद, विदुशेखर पांडे, प्रोफेसर मुन्ना सिंह, प्रोफेसर रामनाथ उपाध्याय, प्राचार्य अरविंद मिश्रा, प्रधानाध्यापिका कुमारी उमा, शिक्षिका शशि बाला, सरस्वती कुमारी, चिंता राय, प्रीति शबनम, पीयूष, प्रतीक कुमार, लवली, डॉली, डेजी, स्वीटी, गोल्डी, अनुष्का, प्रतीक्षा, सृष्टि, शोभित आदि मौजूद रहे।
सभी ने बाबा साहब को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हमें पढ़ने का अधिकार दिया। अगर यह अधिकार न मिला होता तो महिलाएं गुलामी की जंजीर नहीं तोड़ पातीं।