Home

पूर्णिया में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का “सांस” कार्यक्रम: दो दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ समापन

निमोनिया दर में कमी लाने एवं समुचित उपचार के लिए “सांस” कार्यक्रम वरदान साबित हो रहा: सिविल सर्जन
निमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी का टीका कारगर: सिविल सर्जन
वर्ष 2025 तक निमोनिया के कारण होने वाली मृत्यु में कमी लाने का लक्ष्य: यूनीसेफ

पूर्णिया(बिहार)नवजात शिशुओं एवं माताओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार पहल की जा रही है। संस्थागत प्रसव एवं यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम जैसे कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रम मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की बुनियाद को मजबूत कर रहे हैं। निमोनिया के कारण बच्चों में होने वाली मृत्यु को सरकार ने गंभीरता से लिया है। इसको लेकर केंद्र सरकार द्वारा सांस (सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रीलाइज निमोनिया सक्सेसफुली) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी।इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य निमोनिया के दंश से बच्चों को सुरक्षित करना है। जिसको लेकर पूर्णिया शहर के एक निजी होटल में दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। जिसका विधिवत समापन सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देने के साथ कर दिया गया। दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर में जिलें के सभी स्वास्थ्य केंद्रों से एक-एक जीएनएम को शामिल किया गया था। जबकिं प्रशिक्षण देने के लिए जलालगढ़ के एकम्मा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ शंभु कुमार यादव, अनुमंडलीय अस्पताल के डॉ बौवा लाल महतो एवं प्रशिक्षित जीएनएम शैलजा कुमारी के अलावा पूर्णिया पूर्व पीएचसी के रानीपतरा एपीएचसी के चिकित्सक डॉ रवि रौशन कुमार थे। समापन समारोह के दौरान सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा, डीपीएम (स्वास्थ्य) ब्रजेश कुमार सिंह,डीसीएम संजय कुमार दिनकर,यूनीसेफ के प्रमंडलीय सलाहकार शिव शेखर आनंद के अलावा कई अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

निमोनिया दर में कमी लाने एवं समुचित उपचार के लिए “सांस” कार्यक्रम हो रहा वरदान साबित: सिविल सर्जन
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि निमोनिया को लेकर सामुदायिक स्तर पर पहले से अधिक जागरूकता बढ़ाना है। ताकि निमोनिया की पहचान सही समय पर की जा सके। क्योंकिं परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा शिशुओं को बेहतर इलाज कराने में विलंब कर दिया जाता है। जो बाद के दिनों में नौनिहालों के लिए जानलेवा भी साबित हो जाता है। निमोनिया के लक्षणों की सही समय पर पहचान होने से निमोनिया के कारण बच्चों में होने वाली मृत्यु में कमी लायी जा सकती है। बच्चों में होने वाले निमोनिया दर में कमी लाने एवं समुचित उपचार के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सांस कार्यक्रम आरंभ किया गया है।

निमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी का टीका कारगर: सिविल सर्जन
सीएस डॉ वर्मा ने बताया कि बिहार में शिशु मृत्यु दर एवं नवजात मृत्यु दर की बात की जाए तो पिछले कुछ वर्षों में पहले की अपेक्षा इसमें कमी आई हुई है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे के मुताबिक बिहार की शिशु मृत्यु दर 03 अंक घटकर राष्ट्रीय औसत के बराबर हो गयी है। वर्ष 2017 में बिहार की शिशु मृत्यु दर 35 थी, जो वर्ष 2018 में घटकर 32 हो गयी। हालांकि बिहार में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर पिछले 7 वर्षों से लगातार 27 से 28 के बीच स्थिर बनी हुई थी। लेकिन वर्ष 2018 में 3 पॉइंट की कमी आई है। बिहार की नवजात मृत्यु दर जो वर्ष 2017 में 28 थी, वर्ष 2018 में घटकर 25 हो गयी। राज्य के लिए यह एक सकारात्मक संकेत भी हैं। पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के नवजात शिशुओं में 14 से 15% मृत्यु सिर्फ़ निमोनिया के कारण हो जाती है। इसीलिए निमोनिया प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए प्रोटेक्ट, प्रीवेंट एवं ट्रीटमेन्ट मोड पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। निमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी का टीका निमोनिया से बच्चों को बचाव कर सकता हैं। वहीं हाउस होल्ड स्तर पर वायु प्रदूषण में कमी लाकर निमोनिया की रोकथाम की जा सकती है। साथ ही एंटीबायोटिक एवं ऑक्सीजन थेरेपी से निमोनिया का इलाज किया जा सकता है।

वर्ष 2025 तक निमोनिया के कारण होने वाली मृत्यु में कमी लाने का लक्ष्य: यूनीसेफ
यूनीसेफ के प्रमंडलीय सलाहकार शिव शेखर आनंद ने बताया कि पांच वर्ष से कम उम्र के नवजात शिशुओं के लिए निमोनिया गंभीर रोगों में शामिल है। आईएपीपीडी (इन्डियन एसोसिएशन ऑफ़ पार्लियामेंटेरियनस ऑन पापुलेशन एंड डेवलपमेंट) ने वर्ष 2025 तक 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया से होने वाली मृत्यु दर को प्रति 1000 जीवित जन्म 3 से भी कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं वर्ष 2010 की तुलना में वर्ष 2025 तक निमोनिया की गंभीरता में 75% कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य एवं पोषण दोनों बच्चे को निमोनिया से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं। निमोनिया का टीका (पीसीवी) एवं नवजात संक्रमण प्रबंधन के द्वारा 30% बच्चों की जान बचायी जा सकती है। वहीं स्तनपान निमोनिया का उचित उपचार एवं स्वच्छ पेय जल के माध्यम से 36% शिशुओं को सुरक्षित किया जा सकता है।

Mani Brothers

Leave a Comment

Recent Posts

कटिहार में दास बेकर्स के रिटेल काउंटर का उदघाटन

बेकरी कार्य में रोजगार की असीम संभावनाएं- नेहा दास लक्ष्मीकांत प्रसाद- कटिहारआधुनिकता के दौर में…

1 month ago

विश्व में शांति स्थापित करने के लिए सभी धर्म के लोगों को एक साथ आना होगा

2023 में रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-हमास युद्ध और कई अंतरराष्ट्रीय विवादों जैसे संघर्षों में 33,000 से…

1 month ago

बीडीओ के तबादला होने पर हुआ विदाई सह सम्मान समारोह आयोजित

भगवानपुर हाट(सीवान)बीडीओ डॉ. कुंदन का तबादला समस्तीपुर के शाहपुर पटोरी के बीडीओ के पद पर…

2 months ago

तेज रफ्तार वाहन के धक्का मरने से बाइक सवार पिता पुत्र घायल,सीवान रेफर

सीवान(बिहार)जिले के भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के हिलसर पेट्रोल पंप के पास एनएच 331 पर…

2 months ago

Beyond Headlines: Global Journalists United for Peace Journalism amidst theChallenges of the Unstable International Situation

On 17th February, the international peace organization, Heavenly Culture, World Peace, Restoration of Light (HWPL),…

2 months ago

विश्व में शांति निर्माण को लेकर ऑनलाइन बैठक

20 जनवरी को, विभिन्न अफ्रीकी देशों में अंतर्राष्ट्रीय शांति संगठन, HWPL द्वारा '2024 HWPL अफ्रीका…

3 months ago