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कुर्मी चेतना महारैली के सूत्रधार सतीश कुमार फिर मैदान में

बरबीघा से निर्दलीय उम्मीदवार बन राजनीतिक समीकरणों में हलचल

बरबीघा(शेखपुरा)1990 के दशक में बिहार की राजनीति में नई दिशा देने वाले कुर्मी चेतना महारैली के सूत्रधार सतीश कुमार एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मुंगेर (अब लखीसराय) जिले के सूर्यगढ़ा विधानसभा से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक बने सतीश कुमार ने महज़ दो साल बाद गांधी मैदान, पटना में ऐतिहासिक महारैली कर कुर्मी समाज को नई राजनीतिक पहचान दिलाई थी।

फिर से समीकरणों में हलचल:

इस बार सतीश कुमार बरबीघा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरकर सभी राजनीतिक दलों के समीकरणों को उलझाने में जुटे हैं। क्षेत्र भ्रमण के दौरान उनके साथ चलने वाले समर्थकों का उत्साह और बढ़ता जनसमर्थन यह संकेत दे रहा है कि बरबीघा की जनता एक बार फिर पुराने जननेता पर भरोसा जता सकती है।

बरबीघा में दिलचस्प मुकाबला:

बरबीघा विधानसभा का मुकाबला इस बार बेहद रोचक बन गया है।

एक ओर महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी त्रिशूलधारी सिंह, तो दूसरी ओर एनडीए से जदयू प्रत्याशी डॉ. कुमार पुष्पांजय मैदान में हैं। वहीं, टिकट नहीं मिलने से नाराज़ निवर्तमान विधायक सुदर्शन कुमार भी चुनाव लड़ रहे हैं, जो जदयू के लिए बड़ा झटका साबित हो सकते हैं।

महागठबंधन के लिए निर्दलीय संजय प्रभात चुनौती बने हुए हैं, जबकि जनसुराज पार्टी से कैप्टन मुकेश कुमार अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। संजय प्रभात को छोड़कर लगभग सभी प्रत्याशी भूमिहार समुदाय से आते हैं, ऐसे में सतीश कुमार का कुर्मी समाज से होना उन्हें एक अलग राजनीतिक पहचान और लाभ देता दिख रहा है।

अबकी बार, वंचितों की सरकार: नई दिशा की ओर

इस मौके पर जन आशीर्वाद पार्टी के अध्यक्ष सह भारतीय लोक चेतना पार्टी के संरक्षक निशिकांत सिन्हा ने सतीश कुमार के विषय में बात करते हुए कहा कि सतीश कुमार बरबीघा के लिए एक लोकप्रिय, कर्मठ एवं विकास की राजनीती करने वालों में शामिल हैं एवं इस बार इनकी जीत भी सुनिश्चित है। उन्होंने कहा कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव वंचितों और उपेक्षित वर्गों की आवाज़ बनेगा।उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य बिहार के अति-पिछड़ा, पिछड़ा, अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक वर्गों को एक मंच पर लाकर उन्हें सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक न्याय दिलाना है।”

निशिकांत सिन्हा ने आगे कहा कि अब वक्त आ गया है जब 90 प्रतिशत बिहारियों की आवाज़ सत्ता के गलियारों तक पहुँचे। आज बिहार की राजनीति का नया सवेरा है, और यह आंदोलन उन लोगों के लिए है जिन्हें दशकों से हाशिए पर रखा गया।

जनता में उम्मीद की लहर:

सतीश कुमार के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरने से बरबीघा के मतदाताओं में नई उत्सुकता और चर्चा का माहौल है। कई मतदाता खुलकर कहते हैं – “सतीश जी जनता के नेता हैं, और इस बार परिणाम चौंकाने वाला हो सकता है।”

राजनीति के इस नए मोड़ पर, बरबीघा फिर से बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने के मुहाने पर खड़ा दिख रहा है।

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