विभागीय स्तर पर टीबी मरीजों का लगातार किया जाता है पर्यवेक्षण: सिविल सर्जन
निक्षय मित्र योजना के तहत मरीजों को मिल रही सहूलियत: डॉ अशरफ़ रिज़वी
टीबी मरीजों को मदद दिलाने के लिए जिलेवासियों से की जा रही अपील: डीपीसी
कटिहार(बिहार)प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक टीबी जैसी संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से टीबी मरीजों की लगातार पर्यवेक्षण/निगरानी कर रहा है। देश में टीबी मरीज़ों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण यह भी है कि अधिकतर मरीज बीच में ही इलाज एवं नियमित रूप से दवा का सेवन करना छोड़ देते हैं। इसीलिए विभाग द्वारा निक्षय मित्र योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना के तहत मरीजों को गोद लिया जाता है। ज़िले में अभी तक निक्षय मित्र योजना के तहत 56 मरीजों को गोद लिया गया है, जिसमें अकेले रेड क्रॉस ने 40 टीबी मरीजों को गोद लिया है। अभी तक रेड क्रॉस के अलावा किसी अन्य संस्था/संगठनों द्वारा पहल नहीं की गई है।बहुत सारी संस्थाओ से बातचीत जारी है।
निक्षय मित्र योजना के तहत मरीजों को मिल रही सहूलियत: डॉ अशरफ़ रिज़वी
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशरफ़ रिज़वी ने बताया कि निक्षय मित्र योजना के तहत टीबी रोग से पीड़ित लोगों को गोद लिया गया है। अभी भी इसकी प्रक्रिया चल रही हैं। इस अभियान के तहत निक्षय मित्र बनने वाले व्यक्ति या संस्था को कम से कम एक वर्ष के लिए और अधिक से अधिक तीन वर्ष के लिए किसी ब्लाक, वार्ड या जिले के टीबी मरीज को गोद लेकर उन्हें भोजन, पोषण, आजीविका के स्तर पर आवश्यकता अनुसार मदद करनी होती है।
टीबी मरीजों को मदद दिलाने के लिए जिलेवासियों से की जा रही अपील: डीपीसी
ज़िला यक्ष्मा केंद्र के डीपीसी मज़हर अमीर ने बताया कि टीबी से ग्रसित मरीजों के लिए सामान्य नागरिक, गैर सरकारी संस्थान एवं ज़िले के जनप्रतिनिधियों सहित अन्य लोगों को निक्षय मित्र बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। निक्षय मित्र बन कर टीबी मरीजों की सहायता करने के लिए स्वास्थ्य विभाग अपील कर रहा है। निक्षय मित्र टीबी मरीजों को पोषण के साथ-साथ रोजगार के लिए अवसर उपलब्ध कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा निभाते हैं। निक्षय मित्र बनने के लिए communitysupport.nikshay. in पर लॉगिन करें। उसके बाद प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान पर क्लिक करें। इसके बाद निक्षय मित्र के आवेदन पत्र पर क्लिक कर अपनी पूरी जानकारी देकर इस अभियान से जुड़ा जा सकता है।
ज़िले में अभी तक 56 को लिया गया गोद, इसमें रेड क्रॉस ने सबसे अधिक 40 को लिया गोद : परामर्शी
टीबी विभाग की परामर्शी खुशबू कुमारी ने बताया कि रेड क्रॉस के द्वारा सबसे अधिक 40 निक्षय मित्र बनाया गया है। हसनगंज की एसटीएस अंजली कुमारी चार, एसबीआई की महिला कर्मी नीलिमा ने दो, डब्ल्यूएचपी से दो जबकि सीडीओ, डीपीएम, पिरामल के मनीष, डीएमएंडई, दंडखोरा के एसटीएस, कोढ़ा प्रखंड के कर्मी विजय झा एक, सीएस कार्यालय के कर्मी राजेश सिन्हा के अलावा मेरे द्वारा भी एक-एक निक्षय मित्र बनाया गया है। टीबी मरीजों को गोद लेने वाली सामाजिक संस्थाओं, औद्योगिक घरानों, शैक्षणिक संस्था और व्यक्ति निक्षय मित्र कहलाएंगे। निक्षय 2.0 पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद ही उस व्यक्ति को निक्षय मित्र कहा जा सकता है। निक्षय मित्र बनने के लिए सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला यक्ष्मा केंद से संपर्क किया जा सकता है।
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