फाइलेरिया मरीजों की पहचान और ग्रेडिंग के लिए विशेष शिविर
सिवान:फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को गति देने के लिए जिले में विशेष शिविर लगाए जाएंगे। इन शिविरों में लिम्फेडेमा से पीड़ित मरीजों की पहचान और सात स्तरों पर मूल्यांकन किया जाएगा। यह निर्देश राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जारी किए गए हैं।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. ओम प्रकाश लाल ने बताया कि राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र की निदेशक डॉ. तनु जैन ने सभी राज्यों को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि ग्रेडिंग के बिना मरीजों का डेटा इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म पर अपलोड नहीं किया जा सकता। इससे आगे की योजना प्रभावित हो सकती है। इसलिए सर्वे, पहचान और ग्रेडिंग कर मरीजों की सूची को जल्द अपडेट करना जरूरी है।

सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. नेसार ने बताया कि ओरोमा मोजे गांव के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर 10 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट दी गई। इस दौरान विभागीय अधिकारी और पिरामल स्वास्थ्य की टीम मौजूद रही। मरीजों को बीमारी से जुड़ा वीडियो दिखाकर जागरूक किया गया। साथ ही हाथीपांव के मरीजों का पंजीकरण और मूल्यांकन किया गया।
पैरों की सफाई और व्यायाम जैसी स्व-देखभाल की विधियों को समझाने के लिए शॉर्ट वीडियो सत्र भी हुआ। वीडियो देखने के बाद मरीजों ने बताया कि इससे उन्हें काफी जानकारी मिली। इसके बाद वीडियो सामग्री पर चर्चा कर रोज़ाना देखभाल के तरीके बताए गए। साथ ही नाइट ब्लड सर्वे की जानकारी भी दी गई।
इस मौके पर वीडीसीओ प्रीति आनंद, कुंदन कुमार, वीबीडीएस जावेद मियांदाद, प्रखंड प्रसार प्रशिक्षक शंभूनाथ, एएनएम रंजू कुमारी, पिरामल स्वास्थ्य की पीओसीडी पूर्णिमा सिंह और कई आशा कार्यकर्ता मौजूद रहीं।
केंद्र सरकार की जनवरी 2018 की अधिसूचना के अनुसार, ग्रेड 3 या उससे ऊपर के फाइलेरिया मरीजों को 40% या उससे अधिक विकलांगता की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे मरीज विकलांगता प्रमाण पत्र, कस्टमाइज्ड फुटवियर, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, पुनर्वास सेवाएं और दिव्यांगजन योजनाओं के पात्र होंगे।
मरीजों का मूल्यांकन सात आधारों पर किया जाएगा। इनमें उलटने योग्य सूजन, स्थायी सूजन, हल्के मोड़, गांठ जैसी सूजन, गहरे मोड़, खुरदरी परतें या चर्म रोग और अशक्त करने वाली स्थिति शामिल हैं। यह पहल न केवल बीमारी के उन्मूलन की दिशा में अहम है, बल्कि मरीजों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में भी बड़ा कदम है।

