सहरसा(बिहार)जिले में सूर्य के आग उगलने से गर्मी का पारा दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सतर्क रहना बहुत जरूरी है। खासकर तब जब राज्य के अन्य हिस्सों से एईएस यानि चमकी बुखार के नये मामले प्रतिवेदित होने लगे हैं। कम आयु वर्ग के बच्चे जो इस गर्मी में अपना ख्याल खुद नहीं रख सकते इस समय उनके माता-पिता का दायित्व है कि उनका उचित देखभाल करें। बच्चों को अधिक देर तक धूप में न रहने दें। ध्यान रखें की आपके बच्चे खाना-पानी की परवाह किये बिना अधिक देर तक धूप में न खेलें। बच्चों को रात में सोने से पहले यह अवश्य सुनिश्चित करें कि उसका पेट भरा हुआ हो। अपने आस पास साफ-सफाई अवश्य रखें। जानवरों के आश्रय स्थलों की अच्छी तरह सफाई अवश्य सुनिश्चित करें।
उचित जानकारी से बचायी जा सकती है जान:
सदर अस्पताल के चिकित्सक डा. जयंत आशीष ने बताया मस्तिष्क ज्वर यानि एईएस जिसे हम दिमागी बुखार या चमकी बुखार के भी नाम से जानते हैं, एक वायरल बीमारी है। जो मच्छरों के काटने से होती है। अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है। अमूमन अप्रैल से दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह तक इस बीमारी के मरीज मिलते हैं। इस बीमारी में 1 से 15 वर्ष तक बच्चे ज्यादा प्रभावित होते है। उचित जनकारी होने से इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की जान बचा सकते हैं। उन्होंने बताया सरदर्द, तेज बुखार, अर्द्ध चेतना एवं मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना, भ्रम की स्थिति में होना, बच्चे का बेहोश हो जाना आदि के प्रमुख लक्षण हैं। इस बीमारी में शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना भी है। इसलिए इसे चमकी बुखार कहा जाता है। पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना, शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना आदि भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है।
चमकी बुखार में क्या करें और क्या न करें:
डा. आशीष ने इस बीमारी के मरीज बच्चों के बारे में बताया कि उनको तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखे से हवा करें ताकि बुखार कम हो सके। यथाशीघ्र नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जाकर उपचार आरंभ करवायें। यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ पानी में ओ.आर.एस. का घोल बनाकर पिलायें। बेहोशी या हाथ पैर अकड़ जाने की स्थिति में बच्चे को हवादार स्थान पर रखें। बच्चे के शरीर से कपड़े हटा लें एवं छायादार जगह में उसे लिटायें एवं गर्दन सीधी रखें।
चमकी बुखार आने पर क्या न करें कि जानकारी देते हुए उन्होंने बताया बच्चे को कम्बल या गर्म कपड़ों में न लपेटें। बच्चे की नाक बंद न करें। बेहोशी/विक्षिप्त/झटके की अवस्था में बच्चे के मुंह में दवा, पानी, जूस, दूध या भोजन नहीं डालें।
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