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फाइलेरिया नियंत्रण अभियान को ले जागरूकता फैलायेंगे जीविका कार्यकर्ता

छपरा सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग द्वारा शुक्रवार को कार्यालय में फाइलेरिया नियंत्रण के लिए मीडिया कार्यशाला आयोजित की गयी। सीएफआर  के सहायक राज्य प्रबंधक रंजीत कुमार द्वारा कार्यशाला का संचालन किया गया। कार्यशाला को संबोंधित करते जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह  ने कहा कि फाइलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जिले में 7 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके लिए जिले में 39 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दौरान सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च से सहायक राज्य प्रबंधक रंजीत कुमार के साथ प्रवीण कुमार, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. दीपक कुमार, सीफॉर के डिविजनल  कॉर्डिनेटर मीडिया गणपत आर्यन, डिविजनल कॉर्डिनेटर प्रोग्राम अमन कुमार, पीसीआई के जिला समन्वयक मानव कुमार, भीबीडी सुधीर कुमार सिंह समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।  

1468 कर्मियों की टीम करेगी काम
जिले में फाईलेरिया उन्मूलन अभियान के लिए टीम का गठन कर लिया गया है। 1468 कर्मियों की टीम बनायी गयी है। प्रत्येक दस आशा कार्यकर्ताओं पर एक सुपरवाईजर की प्रतिनियुक्ति की गयी है। एक टीम छह दिन हीं काम करेगी।  प्रत्येक आशा को एक दिन करीब 50 घर में दवा खिलाने का लक्ष्य दिया गया है। सभी आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि दस बजे के बाद हीं दवा खिलाना है ताकि कोई कोई खाली पेट दवा न खाये। प्रत्येक आशा को 50 घरों में दवा खिलाने पर 600 रूपये दिया जायेगा। 

सेवन करने वाले लोगों की उँगलियों पर की जाएगी मार्किंग
   शत-प्रतिशत लक्षित समूह को दवा सेवन सुनिश्चित कराने के मकसद से इस बार के एमडीए कार्यक्रम में कुछ नए बदलाव किए गए हैं। अब पोलियो अभियान की तर्ज़ पर एमडीए कार्यक्रम के दौरान भी दवा सेवन करने वाले लोगों के बाएँ हाथ की तर्जनी नाखून पर मर्किंग की जाएगी। इसके लिए सभी लक्षित ज़िलों में मार्कर की उपलब्धता सुनिश्चित कराई गयी है।4940 मार्कर उपलब्ध कराया गया है।

2 साल से कम उम्र के बच्चे एंव गर्भवती महिलाओं को नहीं दी जायेगी दवा

डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि 2 साल से अधिक सभी लोगों को फाइलेरिया की दोनों दवा खिलाई जाएगी। 2 साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रूप से पीड़ित लोगों को यह दवा नहीं खिलाई जाएगी।

आशा एवं आँगनवाड़ी सेविका-सहायिका घर-घर जाकर खिलायेंगी दवा
अभियान को सफल बनाने हेतु आशा एवं आँगनवाड़ी सेविका-सहायिका घर-घर जाकर लक्षित समुदाय को फाइलेरिया की दवा खिलाएगी। साथ ही आशा एवं आंगनवाड़ी यह सुनश्चित करेंगे कि उनके सामने ही लोग दवा का सेवन करें।  

खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें
लोग खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें. कभी-कभी खाली पेट दवा खाने से भी कुछ समस्याएं होती है। लोगों में फाइलेरिया की दवा सेवन के साइड इफ़ेक्ट के बारे में कुछ भ्रांतियाँ है जिसे दूर करने की सख्त जरूरत है। फाइलेरिया की दवा सेवन से जी मतलाना, हल्का सिर दर्द एवं हल्का बुखार हो सकता है जो शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी के मरने के ही कारण होता है। यदि दवा खाने से कोई साइड इफ़ेक्ट होता है तो उसके उपचार के लिए एंटासीड कीट की भी व्यवस्था की गयी है।

डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियाँ खिलाई जायेगी

 इस अभियान में डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियाँ लोगों की दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी. एलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है।

जन जागरूकता से सफल होगा अभियान
पीसीआई के जिला कॉर्डिनेटर मानव कुमार ने बताया कि जन-जागरुकता से अभियान को सफ़ल बनाने में आसानी होगी। इसके लिए जीविका की अहम भूमिका होगी। जीविका ने है ठाना जिले से फाइलेरिया को है भगाना। इस संकल्प के साथ जिले में जीविका सक्रिय रूप से कार्यरत है एवं जिले में गठित 20 हजार स्वयं सहायता समूहों में जीविका कार्यकर्ता इस अभियान के विषय में महिलाओं को जागरूक करेंगी। साथ ही यह सुनश्चित कराएंगी कि अभियान में दवा का सेवन शत-प्रतिशत हो।

क्या है फाइलेरिया
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ दीपक कुमार ने बताया किया इसे हाथीपावं रोग के नाम से भी जाना जाता है। बुखार का आना, शरीर पर लाल धब्बे या दाग का होना एवं शरीर के अंगों में सूजन का आना फाइलेरिया की शुरूआती लक्ष्ण होते हैं। यह क्यूलेक्स नामक  मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका (लिम्फैटिक) प्रणाली को नुकसान पहुँचाता है। फाइलेरिया से जुडी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा( पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील(अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को इसके कारण आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।

Nagmani Sharma

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