Home

कोरोना काल में थैलेसीमिया मरीजों को विशेष सतर्कता की जरूरत

  • थैलेसीमिया के मरीजों की इम्युनिटी लेवल होता है कमजोर
  • खून में हीमोग्लोबिन के निर्माण में रहती है कमी
  • घातक अनुवांशिक बीमारी है थैलेसीमिया
  • प्रतिवर्ष 8 मई को मनाया जाता है वर्ल्ड थैलेसीमिया डे
  • “डौनइंग ऑफ़ ए न्यू एरा फॉर थालेसेमिया” है इस वर्ष की थीम

पूर्णियाँ 08 मईकोरोना संक्रमण के समय सभी लोगों को विशेष सावधानी की जरूरत है. खासकर जो थैलेसीमिया के मरीज हैं उसपर मुख्य रूप से ध्यान देने की जरूरत है. डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के संक्रमण का खतरा बुजुर्गों, बच्चों या किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को ज्यादा है. थैलेसीमिया खून से संबंधित एक बीमारी है जिसमें ऑक्सीजन वाहक प्रोटीन जिसे हेमोग्लोबिन कहते हैं और आरबीसी यानी रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कोशिकाएं) शरीर में सामान्‍य से कम मात्रा में होते हैं. थैलेसीमिया मरीजों की इम्युनिटी सिस्टम भी ज्यादा कमजोर होती है. इसलिए थैलेसीमिया के मरीजों को विशेष तौर पर खयाल रखना जरुरी है. ऐसे समय में घर पर माहौल खुशनुमा रखना, उनके वजन व सेहत का ख्याल रखना, नियमित रूप से डॉक्टरों के संपर्क में रहने पर ध्यान देना जरूरी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में करीब एक लाख और भारत में आठ से दस हजार थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों का जन्म हर वर्ष होता है. देश की कुल जनसंख्या का 3.4 प्रतिशत भाग थैलेसीमिया से ग्रस्त है. हर साल 8 मई को वर्ल्ड थैलेसीमिया डे मनाया जाता है. वर्ष 2020 थैलेसीमिया डे की थीम “डौनइंग ऑफ़ ए न्यू एरा फॉर थालेसेमिया” है.

केयर इण्डिया के मातृ स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद ने बताया थैलिसिमिया एक गंभीर रोग है जो वंशानुगत बीमारियों की सूची में शामिल है. इससे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है जो हीमोग्लोबिन के दोनों चेन( अल्फा और बीटा) के कम निर्माण होने के कारण होता है. अभी भारत में लगभग 1 लाख थैलिसीमिया मेजर के मरीज है और प्रत्येक वर्ष लगभग 10000 थैलिसीमिया से ग्रस्त बच्चे का जन्म होता है. अगर केवल बिहार की बात करें तो लगभग 2000 थैलिसीमिया मेजर से ग्रस्त मरीज है जो नियमित ब्लड ट्रांसफयूजन पर है। जिन्हे ऊचित समय पर ऊचित खून न मिलने एवं ब्लड ट्रांसफयूजन से शरीर में होने वाले आयरन ओवरलोड से परेशानी रहती है और इस बीमारी के निदान के लिए होने वाले बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के महंगे होने के कारण इसका लाभ नहीं ऊठा पाते हैं. इसलिए खून संबंधित किसी भी तरह की समस्या पति, पत्नी या रिश्तेदार में कहीं हो तो सावधानी के तौर पर शिशु जन्म के पहले थैलिसिमिया की जांच जरुर करायें.

अनुवांशिक रोग है थैलेसीमिया :
द फेडरेशन आफ ऑब्सटेट्रिक एंड गायनेकोलोजिकल सोसाईटी ऑफ इंडिया की सदस्य व महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराधा सिन्हा जो पूर्णियाँ जिला में ऑब्स गाइनेकोलॉजिस्ट सोसाइटी की सचिव भी हैं ने बताया थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रोग है जो बच्चों को माता-पिता से ही मिलता है. थैलेसीमिया को दो तरीकों में बांटा गया है- मेजर थैलेसीमिया एवं माइनर थैलेसीमिया. यदि बच्चे के माता-पिता दोनों के जीन्स में थैलेसीमिया है तो बच्चे को मेजर थैलेसीमिया होगा और अगर माता-पिता में से किसी एक के जीन्स में थैलेसीमिया संक्रमण है तो बच्चे को माइनर थैलेसीमिया होता है. हालांकि शुरुआत में बच्चों में थैलेसीमिया का पता नहीं चलता. बच्चे के 1 साल से 2 साल के होने के बाद ही उनके थैलेसीमिया से संक्रमित होने के संकेत दिखाई देते हैं.

थैलेसीमिया में खून के निर्माण में होती है परेशानी :
डॉ. अनुराधा सिन्हा ने कहा थैलेसीमिया खून संबंधित बीमारी है. इससे संक्रमित व्यक्ति के खून के निर्माण में समस्या होती है. खून में उपस्थित हेमोग्लोबिन द्वारा दो तरह की प्रोटीन का निर्माण किया जाता है अल्फा प्रोटीन और बीटा प्रोटीन. थैलेसीमिया में इन प्रोटीन्स के निर्माण में समस्या हो जाती है. इसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट होने लगती है. शरीर में ऑक्सिजन की कमी होने लगती है और व्यक्ति को एनीमिया हो जाता है. थैलेसीमिया संक्रमित व्यक्ति को नियमित रूप से रक्त की जरूरत पड़ती है. ज्यादा खून चढ़ाने से मरीज के शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे हृदय, लीवर, फेफड़ों में भी संक्रमण की समस्या उत्पन्न होने लगती है.

थैलेसीमिया के प्रमुख लक्षण :
थैलेसीमिया के प्रमुख लक्षणों में वजन कम होना या वजन का लगातार घटते रहना, चेहरे पर सूखापन, शारीरिक कमजोरी, लगातार बीमार रहना इत्यादि होता है. नवजात शिशुओं में समय के साथ उनकी वृद्धि का न होना, बच्चा का हमेशा सुस्त रहना, खाना ठीक से नही खाना, पेट का फूला हुआ लगना इसके लक्षण के रूप में दिखाई देते हैं. फिर खून जांच से उनके एनेमिया का पता चलता है. धीरे धीरे हेमोग्लोबिन की मात्रा घटने लगती है और वह थैलेसीमिया से ग्रसित हो जाता है. इम्युनिटी कमजोर होने के कारण थैलेसीमिया के मरीज नियमित किसी अन्य बीमारियों से भी ग्रसित होते हैं. अगर किसी महिला या पुरूष थैलेसीमिया से ग्रसित होते हैं तो गर्भावस्था के दौरान महिला को 11 से 16 सप्ताह के दौरान उनकी नियमित टेस्ट कर बच्चे के थैलेसीमिया होने की संभावना का पता किया जाता है.

थैलेसीमिया के उपचार व सावधानियां :
डॉ. सिन्हा ने बताया थैलेसीमिया से बचाव के लिए अभी तक कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं हो सका है. इससे बचाव के लिए गर्भावस्था से ही नियमित जांच जरूरी है. थैलेसीमिया मरीजों को शरीर में खून में उपस्थित हेमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने के लिए नियमित खून की जरूरत पड़ती है. शरीर में हीमोग्लोबिन काउंट 10 से 12 मिलीग्राम बनाये रखना होता है. हालांकि बच्चों में इसका पैरामीटर अलग होता है. इसमें मरीज का खून की बेहद कमी होने लगती है. उन्हें हमेशा खून चढ़ाना होता है, जिससे उनमें आयरन की मात्रा बढ जाती है जिसके लिए दवाइयां दी जाती है. ऐसे बीमारियों से मरीजों की मानसिक हालात पर भी ध्यान देना जरूरी है. इसके लिए हमेशा घर के माहौल को खुशनुमा रखना चाहिए. नियमित रूप से चिकित्सकों के संपर्क में रहना चाहिए. थैलेसीमिया संक्रमित व्यक्ति या बच्चों को रजिस्ट्रेशन भी करवा दिया जाता है, जिससे हेल्थ सोसाइटी द्वारा उन्हें नियमित रूप से खून उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाती है. इसके स्थायी उपचार के लिए बोनमैरो ट्रांसप्लांट भी एक विकल्प हो सकता है. इसके अलावा सावधानी से इसके संक्रमण को रोका जा सकता है. अगर विवाह से पहले महिला और पुरूष के रक्त की जांच करवा ली जाए तो यह इस बीमारी को रोकने की दिशा में यह प्रयास कारगर साबित हो सकता है. युवाओं और कॉलेज के छात्रों को भी इसके बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है.

Nagmani Sharma

Leave a Comment

Recent Posts

कटिहार में दास बेकर्स के रिटेल काउंटर का उदघाटन

बेकरी कार्य में रोजगार की असीम संभावनाएं- नेहा दास लक्ष्मीकांत प्रसाद- कटिहारआधुनिकता के दौर में…

1 month ago

विश्व में शांति स्थापित करने के लिए सभी धर्म के लोगों को एक साथ आना होगा

2023 में रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-हमास युद्ध और कई अंतरराष्ट्रीय विवादों जैसे संघर्षों में 33,000 से…

1 month ago

बीडीओ के तबादला होने पर हुआ विदाई सह सम्मान समारोह आयोजित

भगवानपुर हाट(सीवान)बीडीओ डॉ. कुंदन का तबादला समस्तीपुर के शाहपुर पटोरी के बीडीओ के पद पर…

2 months ago

तेज रफ्तार वाहन के धक्का मरने से बाइक सवार पिता पुत्र घायल,सीवान रेफर

सीवान(बिहार)जिले के भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के हिलसर पेट्रोल पंप के पास एनएच 331 पर…

2 months ago

Beyond Headlines: Global Journalists United for Peace Journalism amidst theChallenges of the Unstable International Situation

On 17th February, the international peace organization, Heavenly Culture, World Peace, Restoration of Light (HWPL),…

2 months ago

विश्व में शांति निर्माण को लेकर ऑनलाइन बैठक

20 जनवरी को, विभिन्न अफ्रीकी देशों में अंतर्राष्ट्रीय शांति संगठन, HWPL द्वारा '2024 HWPL अफ्रीका…

3 months ago