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थैलेसीमिया जांच शादी से पहले अनिवार्य हो: सिविल सर्जन

सिवान:विश्व थैलेसीमिया दिवस पर बुधवार को सदर अस्पताल परिसर स्थित रक्त केंद्र में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बड़ी संख्या में युवाओं ने रक्तदान किया। इस मौके पर रक्त केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. अनूप कुमार दुबे ने कहा कि थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति को हमेशा एनीमिया की शिकायत रहती है। शरीर में पीलापन, थकावट और कमजोरी इसके मुख्य लक्षण हैं। समय पर इलाज नहीं होने पर बीटा थैलेसीमिया के मरीज के शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं।

डॉ. दुबे ने कहा कि रक्तदान से कोई नुकसान नहीं होता। पुरुषों को हर तीन महीने और महिलाओं को हर चार महीने में रक्तदान करना चाहिए। इससे शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। एनीमिया की गंभीर स्थिति में मरीज को खून चढ़ाने की जरूरत होती है। ज्यादा गंभीर स्थिति में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है।

शिविर का आयोजन रक्त केंद्र की परामर्शी सुनीति श्रीवास्तव के नेतृत्व में जिला रक्तदाता और सारथी टीम के सहयोग से किया गया। मौके पर डॉ. जेबा प्रवीण, डॉ. मारिया, डॉ. मुंतजिर, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, साहिल मकसूद, नेहमतुल्लाह खान, सलीम समेत कई अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।

सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि थैलेसीमिया से ग्रसित नवजातों में जन्म के कुछ महीनों के भीतर ही एनीमिया के लक्षण दिखने लगते हैं। उम्र के अनुसार वजन नहीं बढ़ता। लंबाई भी कम होती है। समय पर इलाज नहीं होने पर कुपोषण की स्थिति बन जाती है। ऐसे दंपती जो संतान की योजना बना रहे हैं, उन्हें पहले रक्त जांच करानी चाहिए। ताकि भविष्य में किसी जटिलता से बचा जा सके। शरीर और आंखों का पीलापन, चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, थकावट और कमजोरी इसके शुरुआती लक्षण हैं।

सिविल सर्जन डॉ. श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि जिले में फिलहाल 53 थैलेसीमिया मरीज हैं। यह एक रक्त जनित रोग है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को कम करता है। इससे शरीर के अंगों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसी को लेकर हर साल 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। इस बार की थीम थी- “थैलेसीमिया के लिए एकजुट हों: समुदायों को एकजुट करें, रोगियों को प्राथमिकता दें।”

डॉ. प्रसाद ने कहा कि जिस तरह शादी से पहले कुंडली और गुण मिलाए जाते हैं, उसी तरह थैलेसीमिया की जांच भी अनिवार्य रूप से करानी चाहिए। ताकि थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों के जन्म को रोका जा सके।