गोपालगंज(बिहार)भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और मील का पत्थर साबित होने वाले डॉ येल्लाप्रगदा सुब्बाराव का हाथ है। क्योंकि फाइलेरिया जैसी बीमारी में डायथाइलकार्बामाज़िन (डीईसी) नामक दवा का प्रयोग किया जाता है। लेकिन बहुत ही कम लोगों को इस दवा के आविष्कार करने वाले व्यक्ति के बारे में जानकारी होगी। उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुषमा शरण ने सदर अस्पताल परिसर स्थित मलेरिया कार्यालय के सभागार में आयोजित जयंती समारोह के दौरान कही। इस अवसर पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुषमा शरण, विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. माधुरी देवाराजू, डीवीबीसी सलाहकार अमित कुमार, वीडीसीओ प्रशांत कुमार और विपिन कुमार, पीरामल स्वास्थ्य के डीपीओ आनंद कुमार सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।
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