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शेरघाटी को जिला बनाने की मांग फिर से तेज़

शेरघाटी:टूटी सड़कों, बदहाल अस्पतालों और बेरोजगारी से जूझ रही शेरों की घाटी अब बदलाव की राह पर है। यहां के लोग अब विकास, सम्मान और अपनेपन की नई सुबह देखना चाहते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद हो रही है। इसी सोच के साथ सीताराम यादव ने शेरघाटी विधानसभा से चुनावी मैदान में कदम रखा है। 25 साल से ज्यादा समय से जमीनी स्तर पर काम कर रहे यादव को आम लोगों से गहरा जुड़ाव है। कठिन हालात में भी उन्होंने लोगों की सेवा की है।

सीताराम यादव का कहना है कि शेरघाटी को जिला बनाने की मांग वर्षों से हो रही है। हर चुनाव में वादे हुए, नक्शे बने, घोषणाएं हुईं, लेकिन गांव आज भी सड़क, पुल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। बच्चे आज भी स्कूल जाने के लिए नदी पार करने को मजबूर हैं। शिक्षा एक सपना बनकर रह गई है। यादव का कहना है कि भ्रष्टाचार ने विकास की रफ्तार रोक दी है। बिना ईमानदारी के कोई योजना जमीन पर नहीं उतर सकती। उनका संकल्प है कि हर स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता दी जाएगी।

इलाज के लिए लोगों को 30 किलोमीटर दूर गया जाना पड़ता है। समय पर इलाज न मिलने से कई जिंदगियां खत्म हो चुकी हैं। ट्रॉमा सेंटर, ब्लड बैंक और आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ने कई परिवार उजाड़ दिए। यह सिर्फ स्वास्थ्य नहीं, इंसानियत का सवाल है।

युवाओं की हालत भी चिंताजनक है। रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई और राजस्थान की फैक्ट्रियों में मजदूरी कर रहे हैं। गांव में रोजगार होता तो हर त्यौहार घर में मनता। बेटियां पढ़ना चाहती हैं, लेकिन मास्टर डिग्री की चाह गांव की दहलीज पर ही दम तोड़ देती है। यादव का कहना है कि उनका सपना किसी कागज पर नहीं, ज़मीन पर दिखेगा। हर गांव में पुल, हर बच्चे के लिए स्कूल तक पक्की सड़क, हर बीमार को समय पर इलाज और हर युवा को गांव में ही रोजगार देना उनका लक्ष्य है।

सीताराम यादव कहते हैं कि शेरों की घाटी अब रुकने वाली नहीं। इस बार नारा नहीं, संकल्प चाहिए। बदलाव की लड़ाई में वह विश्वास की मशाल लेकर आगे बढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि उनके हाथ में सिर्फ झंडा नहीं, उम्मीद की रोशनी है। यह रोशनी अधूरी सड़कों को रास्ता दिखाएगी, युवाओं को नौकरी और शिक्षा का अवसर देगी, हर सूने आंगन में हंसी लौटाएगी और मजदूर के पसीने की कद्र करना सिखाएगी।

शेरघाटी को नया इतिहास लिखना है। इस इतिहास में हर गांव, हर बेटा, हर बेटी और हर मां-बाप का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज होगा। यही सीताराम यादव का इरादा है।

Mani Brothers

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