• जिला यक्ष्मा कार्यालय में बैठक का आयोजन
• 2025 तक टीबी मुक्त भारत का है लक्ष्य
• लक्षण नजर आते ही कराएँ जांच- डॉ. सौरव
पटना(बिहार)“टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है। सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में इसका मुफ्त इलाज होता है।अनियमित टीबी दवा का सेवन करना, बिना चिकित्सीय परामर्श के दवा दुकानों से टीबी की दवा लेना एवं टीबी की दवा खाने से पहले ड्रगसेंसटिवीटी जाँच नहीं होने से भी एमडीआर टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है।टीबी का सम्पूर्ण एवं सटीक इलाज सरकारी अस्पताल के पास उपलब्ध है एवं सीबीनेट जैसे नवीन उपकरणों क की सहायता से सरकारी क्षय रोग विभाग टीबी के खिलाफ़ मजबूती से लड़ने के लिए सक्षम भी है।” उक्त बातें जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. माला श्रीवास्तव ने जिला यक्ष्मा कार्यालय में टीबी को लेकर आयोजित बैठक में कही।
टीबी से होने वाली मृत्यु दर में 90 फीसदी कमी लाने का है लक्ष्य:
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया सरकार द्वारा 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य रखा गया है और टीबी से होने वाली मृत्यु दर में 90 फीसदी कमी लाने का भी लक्ष्य चिह्नित है। साथ ही टीबी के मामलों में 80 फीसदी तक कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।सरकारी एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों की सहभागिता से ही टीबी उन्मूलन संभव है।सरकार सभी टीबी मरीजों को जांच और दवा दोनों निशुल्क उपलब्ध कराती है और 2025 तक इस रोग के उन्मूलन के लिए संकल्पित है।
लक्षण नजर आते ही कराएँ जांच:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. सौरव ने बताया टीबी के लक्षण नजर आते ही तत्काल जांच करना जरूरी है।जांच में संक्रमण की पुष्टि होने पर दवा की पूरी खुराक टीबी से मुक्ति का मार्ग है।टीबी के मरीजों के साथ भेदभाव करना और उनसे दूरी बनाना और कई लोगों को संक्रमित कर सकता है।टीबी का एक मरीज एक साल में 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि लक्षण नजर आते ही तुरंत इसकी जांच कराएँ।कुपोषण बच्चों में टीबी संक्रमण का प्रमुख कारण है। राज्य में आरबीएसके की टीम स्कूलों में बच्चों की टीबी संक्रमण की जाँच कर रही है।
टीबी को हल्के में न लें:
क्षय रोग यानि टीबी माइकोबैक्टीरियम नामक जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है।इस बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण शरीर की प्रतिरक्षक शक्ति में बहुत गिरावट आ जाती है।आमतौर पर टीबी का इलाज एंटी-टीबी दवाओं के प्रथम श्रेणी की दवाओं के साथ शुरू किया जाता है।मल्टी ड्रग रेजिसटेंट टीबी(एमडीआर-टीबी)टीबी संक्रमण का एक रूप है जो कम से कम दो सबसे शक्तिशाली प्रथम-लाइन की दवाओं के साथ इलाज के लिए प्रतिरोधी हो जाती हैं।इससे टीबी इलाज के लिए दी जाने वाली प्रथम पंक्ति की दवाइयों का असर रोगी पर होना बंद हो जाता है जिससे मरीज की समस्याएं बढ़ जाती है।साथ ही ससमय सटीक इलाज नहीं किये जाने पर इससे मृत्यु तक हो सकती है।
लकड़ी नवीगंज(सीवान)जिला के लकड़ी नवीगंज थाना पुलिस ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए दो चोरों…
सीवान:112 महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र के महाराजगंज के बोर्ड मिडिल स्कूल के खेल मैदान में महागठबंधन समर्थित…
बरबीघा से निर्दलीय उम्मीदवार बन राजनीतिक समीकरणों में हलचल बरबीघा(शेखपुरा)1990 के दशक में बिहार की…
सीवान:जिले के 112 महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र में राजद प्रत्याशी विशाल कुमार जायसवाल को सभी वर्गों…
मनीष वर्मा ने अपने संबोधन में विपक्ष पर जमकर निशाना साधा विपक्ष में बैठे लोगों…
महाराजगंज(सीवान)जनसंपर्क यात्रा के तहत शनिवार को महराजगंज प्रखंड के विभिन्न पंचायतों और गाँवों में जनता…
Leave a Comment