Home

मां का पहला दूध शिशु को देता है कुपोषण से लड़ने की शक्ति

पोषण का है पहला मंत्र, जन्म के बाद स्तनपान

वेबिनार के माध्यम से सुरक्षित स्तनपान के लिए किया गया प्रशिक्षित

आईसीडीएस के वेबिनार में दूसरे दिन सुरक्षित स्तनपान के साथ पोषण गार्डेन पर मंथन

चार दिवसीय ई प्रशिक्षण के दूसरे दिन पोषण माह को सफल बनाने पर दिया गया जोर

पूर्णियाँ(बिहार)राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान कुपोषण को मात देने के लिए ई प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। वेबिनार के माध्यम से चल रहे ई प्रशिक्षण के दूसरे दिन गुरुवार को समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) ने कुपोषण को मात देने के लिए सबसे जरुरी सुरक्षित स्तनपान को बताया.
नोडल पदाधिकारी पोषण अभियान श्वेता सहाय ने वेबिनार सिरीज के सत्र में लोगों को स्तनपान के प्रति जागरुक करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित स्तनपान से मां और शिशु दोनों सुरक्षित रहते हैं। कोरोना काल में भी स्तनपान को मुहिम चलाने पर जोर देने की बात कही.

सुरक्षित स्तनपान मृत्यु दर में लाएगा कमी:
अलाईव एंड थ्राईव की वरीय कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि सुरक्षित स्तनपान से शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। इसके लिए ई प्रशिक्षण में उन्होंने कई उपाय सुझाए. उन्होंने बताया कि स्तनपान से डायरिया को भी रोका जा सकता है। सुरक्षित स्तनपान से मां के अंदर आने वाले मोटापा को भी कम किया जा सकता है. साथ ही साथ डायबटीज के साथ स्तन कैंसर की आशंका को भी कमी लायी जा सकती है। उन्होंने बताया कि बच्चों के जन्म के 1 घंटे के भीतर बच्चों के लिए मां का दूध अमृत समान होता है. छह माह तक उन्हें न तो पानी देना है और न ही अन्य कोई तरल पदार्थ देना है। ऐसे करने से बच्चों को डायरिया के खतरे से बचाया जा सकता है. साथ ही कुपोषण और नाटापन की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

अन्नप्राशान के बाद वाला आहार बनता है सेहत का आधार
केयर इंडिया के टीम लीडर एक्सपर्ट डॉ देवजी पाटिल ने स्तनपान के महत्व को बताने के साथ अन्नप्राशन के बाद आहार को शिशु के जीवन का आधार बताया। डॉ देवजी ने कहा कि छह माह के बाद उपरी आहार का शिशु के बेहतर स्वास्थ्य में अहम योगदान होता है। उम्र के हिसाब से बच्चों को आहार दिया जाता है। इस दौरान ही अगर आहार देने में कोई चूक हो जाती है तो बच्चों में नाटापन के साथ कुपोषण का खतरा होता है। छह से लेकर 11 माह तक बच्चों को विशेष रूप से देखना होता है। आहार के मामले में कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए जिससे उनकी सेहत पर इसका पगतिकूल प्रभाव पड़े। अगर बच्चों का पोषण सही ढंग से किया गया तो उनकी सेहत अच्छी होती है और वह मानसिक के साथ शारीरिक रूप सक भी पूरी तरह से स्वस्थ्य होते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए वरदान होगी पोषण वाटिका:
किशनगंज कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ हेमंत कुमार सिंह ने वेबिनार के दौरान बताया कि पोषण वाटिका रोग लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी असरदार साबित होगी. इससे पोषण तत्वों की कोई कमी नहीं होगी और घर में ही सभी पोषण तत्व वाली शुद्ध ताजी सब्जी वह फल की आपूर्ति हो जाएगी। उन्होंने पोषण वाटिका को बढ़ावा देकर लोगों में इम्युनिटी बढ़ाने पर बहुत जोर दिया। पोषण वाटिका का चयन कैसे करें, धूप तथा पानी का प्रबंध कैसे करें एवं जैविक खाद का इस्तेमाल कर कैसे सब्जी और फल को पोषक बनाएं इसपर विशेष रूप से जोर दिया।
भोजन में विविधिता पर जोर
राज्य पोषण विशेषज्ञ डॉक्टर मनोज कुमार ने आहार विविधता के बारे में बताया। डॉ मनोज ने बताया कि पोषण से ही शिशु के शारीरिक भविष्य का आधार बनता है। पोषण को लेकर कहीं से कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। जागरुकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों में जैसे मां का पहला दूध जरुरी है उसी तरह से ही छह माह के बाद का संपूरक आहार भी आवश्यक है। अगर बच्चे को सही पोषण मिलता गया तो वह न सिर्फ मानसिक बल्कि शारीरिक व्याधियों से भी दूर होते हैं। उन्होंने बताया कि भोजन में विविधिता होने से जरुरी पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है. आहार में विविधता के ही कारण शारीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत पूरी होती है.

सवाल-जवाब में विशेषज्ञों ने दिए जवाब
वेबिनार के दौरान सवाल-जवाब का भी सेशन रखा गया था। इसमें पोषण से लेकर इम्युनिटी गार्डेन पर प्रश्नों का जवाब दिया गया। दीपक ने सवाल किया कि एक बच्चे को मां का दूध कितनी उम्र तक दिया जा सकता है. जवाब में डॉ अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि दो साल के बाद बच्चे के शरीर की डिमांड काफी बढ़ जाती है. इस कारण मां के दूध के बजाए ठोस आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसी क्रम में सीमा तिवारी ने पूछा कि बच्चे दूध पीने के बाद उल्टी क्यों कर देते हैं. जवाब में डॉ अनुपम ने कहा कि मां का दूध बच्चे के लिएअमृत के समान है। अगर बच्चा उल्टी करता है तो इसका मतलब यह नहीं कि मां के दूध में कमी है, इसका कारण कुछ और हो सकता है। समाधान के लिए चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। अमरजीत ने पोषण वाटिका के बारे में सवाल किया कि पोषण वाली सब्जी व फलों का चुनाव कैसे करें। डॉ हेमंत ने बताया कि सीजन के हिसाब से फल और सब्जियां उगाएं, उन्होंने जैविक खाद तैयार करने की भी बारीकी से जानकारी दी।
वेबिनार के दूसरे दिन के सत्र का समापन करते हुए नोडल पदाधिकारी पोषण अभियान श्वेता सहाय ने कहा कि यह काफी अहम कार्यक्रम है, जिसमें हर दिन नई-नई जानकारी मिल रही है। उन्होंने डीपीओ, सीडीपीओ के साथ फील्ड में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का आभार जताते हुए कहा कि उनके प्रयासों से ऐसे अभियान सफल हो रहे हैं। कार्यक्रम की सफलता को लेकर भी उनका आभार जताया।

Mani Brothers

Leave a Comment

Recent Posts

कटिहार में दास बेकर्स के रिटेल काउंटर का उदघाटन

बेकरी कार्य में रोजगार की असीम संभावनाएं- नेहा दास लक्ष्मीकांत प्रसाद- कटिहारआधुनिकता के दौर में…

1 month ago

विश्व में शांति स्थापित करने के लिए सभी धर्म के लोगों को एक साथ आना होगा

2023 में रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-हमास युद्ध और कई अंतरराष्ट्रीय विवादों जैसे संघर्षों में 33,000 से…

1 month ago

बीडीओ के तबादला होने पर हुआ विदाई सह सम्मान समारोह आयोजित

भगवानपुर हाट(सीवान)बीडीओ डॉ. कुंदन का तबादला समस्तीपुर के शाहपुर पटोरी के बीडीओ के पद पर…

2 months ago

तेज रफ्तार वाहन के धक्का मरने से बाइक सवार पिता पुत्र घायल,सीवान रेफर

सीवान(बिहार)जिले के भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के हिलसर पेट्रोल पंप के पास एनएच 331 पर…

2 months ago

Beyond Headlines: Global Journalists United for Peace Journalism amidst theChallenges of the Unstable International Situation

On 17th February, the international peace organization, Heavenly Culture, World Peace, Restoration of Light (HWPL),…

2 months ago

विश्व में शांति निर्माण को लेकर ऑनलाइन बैठक

20 जनवरी को, विभिन्न अफ्रीकी देशों में अंतर्राष्ट्रीय शांति संगठन, HWPL द्वारा '2024 HWPL अफ्रीका…

3 months ago