सारण बिहार
जय प्रकाश विश्वविद्यालय बीपीएससी 2014 के तहत बहाल सहायक प्राध्यापक चाहते हैं कि यथाशीघ्र शिक्षक संघ का चुनाव हो, इसके लिए वे अपने वरिष्ठ शिक्षकों का भरपूर सहयोग करने को तत्पर हैं। इसी कड़ी में 20 जून, 2021 को ‘जेपीयू एकेडमिक फोरम 2014’ की गूगल मीट के जरिये वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें 27 सदस्यीय समिति के 21 सदस्य शामिल हुए और सबने अपनी बातों को रखा। मालूम हो कि जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा में नवनियुक्त सहायक प्राध्यापकों ने 6 जून, 2021 को उपर्युक्त फोरम का गठन किया था। फोरम के सम्बंध में एक गूगल फॉर्म तैयार करके सभी सहायक प्राध्यापकों से राय माँगी गई, जिसमें लगभग 180 लोगों ने अपनी राय रखी। गूगल फॉर्म के माध्यम से लिये गए सुझाव के आधार पर फोरम ने निर्णय लिया है कि सभी बैच तथा सभी इकाई के शिक्षकों को मिलाकर संघ बनाया जाएगा। वर्तमान में स्नातकोत्तर विभाग, राजेन्द्र महाविद्यालय एवं शेष 20 अंगीभूत महाविद्यालयों का संघ अलग-अलग है। फोरम में एक 27 सदस्यीय कार्यसमिति का गठन किया गया है, जिसमें सभी संकाय तथा महाविद्यालयों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह सदस्य संख्या व सदस्य नाम सर्वसम्मति व बहुमत के आधार पर तय किये गए हैं।
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रविवार को आयोजित फोरम के 27 सदस्यीय समिति बैठक में फैसला लिया गया कि सभी प्रतिनिधि अपने-अपने महाविद्यालय व संकाय के सीनियर-जूनियर शिक्षकों के साथ संवाद करेंगे और जहाँ संघ का चुनाव नहीं हुआ है, वहाँ तत्काल चुनाव कराने का प्रयास करेंगे। जितनी जल्दी महाविद्यालय स्तर पर संघ के चुनाव होंगे उतनी ही जल्दी विश्वविद्यालय स्तर पर चुनाव संभव होंगे। साथ ही तय किया गया कि सभी प्रतिनिधि/स्वयंसेवक वरिष्ठ शिक्षकों से आग्रह करेंगे कि वे अपने अनुभव के आधार पर हमलोग का मार्गदर्शन करें ताकि संघ के लिए फोरम सार्थक पहल कर सके। ऐसे भी सीनियर शिक्षकों के बीच फोरम की खूब चर्चा है और कई सीनियर शिक्षकों ने इस पहल को सराहा भी है।
विदित हो कि जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के नवनियुक्त सहायक प्राध्यापकों को अभी तक पुरानी या नई पेंशन योजना (एनपीएस) से नहीं जोड़ा जा सका है, अर्थात उन्हें पेंशन योजना के लाभ से पिछले चार साल से वंचित रखा गया है और साथ ही पीएचडी डिग्री धारक को फाइव इंक्रीमेंट का लाभ भी नहीं मिल रहा है। यह दोनों मुद्दा राज्यस्तरीय है। जेपीयू में सातवाँ वेतन आयोग का एरियर भुगतान अभी भी लंबित है। बहुत सारे सहायक प्राध्यापक पीएचडी नहीं किये हैं जो कि करना चाहते हैं और इस सम्बंध में विश्वविद्यालय के सकारात्मक निर्णय की प्रतीक्षा में हैं, जबकि बिहार के कई विश्वविद्यालय में नवनियुक्त सहायक प्राध्यापक शोधरत हैं। विश्वविद्यालय में पिछले दो साल से परीक्षा वीक्षण व कॉपी मूल्यांकन के पैसे शिक्षकों को नहीं मिले हैं। कई विषयों में सेवासम्पुष्टि बेवजह रोक कर रखा गया। इन तमाम मुद्दों पर वर्चुअल बैठक में बात रखी गई।
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