बालक-बालिकाओं में होने वाले शारीरिक, मानसिक व मनोवैज्ञानिक बदलावों पर हुई चर्चा
दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सिविल सर्जन ने किया उद्घाटन, कई स्वास्थ्य अधिकारियों ने लिया भाग
अररिया(बिहार)बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समित व सेंटर फॉर कैटेलॉगिंग चेंज के सहयोग से किशोरवय शिक्षा को लेकर नोडल शिक्षकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण बुधवार को अररिया प्रखंड परिसर स्थित डीआरसीसी सभागार में शुरू हुआ।जिला एड्स बचाव व नियंत्रण इकाई द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन पहली पाली में भरगामा व नरपतगंज व दूसरी पाली में अररिया व रानीगंज के नोडल शिक्षकों को जरूरी प्रशिक्षण दिया गया।प्रशिक्षण के दूसरे दिन गुरुवार को प्रथम पाली में सिकटी, कुर्साकांटा व पलासी प्रखंड के शिक्षकों को व दूसरी पाली में सिकटी व फारबिसगंज प्रखंड के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिये जाने का कार्यक्रम निर्धारित है।प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता व डीईओ राजकुमार, सीडीओ डॉ वाईपी सिंह, डीआरसीसी के प्रबंधक रवि कुमार, डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह ने सामूहिक रूप से किया।कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका सेंटर पर कैटेलॉगिंग चेंज के समन्वयक कार्यक्रम गुणवत्ता अल्पन कुमार सिन्हा ने निभाया।प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उन्होंने किशोरावस्था में बालक-बालिकाओं में होने वाले शारीरिक, मानसिक व मनोवैज्ञानिक तौर पर होने वाले बदलाव के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
सही समय पर बालक-बालिकाओं को यौन व प्रजनन संबंधी जानकारी देना जरूरी:
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता ने कहा किशोरावस्था बाल्यावस्था के बाद व व्यस्कता से पहले की अवधि है। किशोरावस्था में बालक-बालिकाओं का तेजी से शारीरिक व मानसिक विकास होता है।बच्चों में सामाजिक व मनोवैज्ञानिक तौर पर परिवर्तन होते हैं।इसमें यौन परिपक्वता व चिंतन योग्यता भी शामिल हैं।इस दौरान उन्हें खास कर यौन व प्रजनन संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना जरूरी है।अन्यथा नशापान, अपराध, व असुरक्षित यौन आचरण की तरफ उनका झुकाव बढ़ने की संभावना रहती है। किशोरवय चुनौतियों का जिक्र करते हुए सीडीओ डॉ वाईपी सिंह ने कहा विद्यालय छोड़ देना, बाल विवाह, अवांछित गर्भधारण, कुपोषण, निर्धनता, पारिवारिक दबाव किशोरों के प्रति बढ़ते अपराध, नशा पान सहित उनके समक्ष कई चुनौतियां होती हैं। किशोरवस्था की महत्वपूर्ण जरूरतें व इससे जुड़ी सामाजिक कुरीतियों पर उन्हें उचित मार्गदर्शन नहीं मिलने पर वे आजीवन तरह-तरह की परेशानियों का सामना करने के लिये विवश होते हैं।इसलिये उन्हें इस उम्र से जुड़ी सही जानकारी व उचित मार्गदर्शन उपलब्ध कराना जरूरी है।डीएओ राजकुमार ने कहा किशोरवय शिक्षा कार्यक्रम वक्त की मांग है।इससे जुड़े बदलाव के प्रति बालक-बालिकाओं को समय रहते आगाह व सचेत करते हुए उनका सही मार्गदर्शन के दम पर उन्हें हर स्तर पर समाजोपयोगी बनाया जा सकता है।समाज के सर्वांगीण विकास में किशोरवय शिक्षा को उन्होंने महत्वपूर्ण बातया।
विभिन्न माध्यमों से नोडल शिक्षकों को किया गया प्रशिक्षित:
प्रशिक्षण में भाग ले रहे शिक्षकों को विभिन्न माध्यम से किशोरवस्था में बालक बालिकाओं में होने वाले बदलाव की समुचित जानकारी दी गयी।मुख्य प्रशिक्षक अल्पन कुमार सिन्हा ने बालक-बालिकाओं के व्यवहार में बदलाव के पहचान संबंधी विभिन्न तकनीकों को शिक्षकों के बीच साझा किया।उन्होंने कहा कि गति मंथन, घटना अध्ययन, रॉल प्ले, प्रस्तुतीकरण, खेल विधि, सामूहिक गतिविधि के माध्यम से बच्चों को शारीरिक, मनोवैज्ञानिक व सामाजिक परिवर्तन व दबाव के संबंध में समुचित जानकारी देना जरूरी है।लिंग संबंधी भेद-भाव, साथियों का दबाव, कम उम्र में विवाह जैसे कुछ कारण हैं। जिसके कारण युवा का झुकाव नशापान सहित अन्य गलत गतिविधियों की तरफ होता है।इसलिये सही समय पर उन तक सही जनकारी पहुंचाना जरूरी है। डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह ने इस दौरान एचआईवी के कारण व बचाव संबंधी उपायों पर विस्तृत चर्चा की।इस क्रम में उन्होंने विद्यालय में संचालित विभिन्न कार्यक्रम के माध्यम से बालक-बालिकाओं को एड्स के प्रति आगाह करते हुए आगामी पीढ़ी को इससे सुरक्षित रखने के उपायों पर जोर दिया।
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