21वीं सदी की शिक्षा पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
सीवान:जिले के भगवानपुर हाट के सुघरी स्थित राजेन्द्र किशोरी बीएड कॉलेज में शनिवार को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। विषय था- 21वीं सदी के परिप्रेक्ष्य में वैश्विक शिक्षा। देश-विदेश से आए शिक्षाविदों ने इसमें भाग लिया।
सम्मेलन के पहले दिन मुख्य अतिथि वैद्यनाथ यादव, पूर्व सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, बिहार सरकार थे। सम्मानित अतिथि के रूप में प्रो. एसमी. राम, प्रोफेसर ऑफ एजुकेशन, एनसीईआरटी, शिलांग और प्रो. लिलियाना बचिर्यान, लिंग्विस्टिक एक्सपर्ट, इंटरलिंगुआ लिंग्विस्टिक यूनिवर्सिटी, पैरेवान, आर्मेनिया मौजूद रहीं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. जगजीत कुमार पांडेय, विभागाध्यक्ष, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, एम्स पटना, प्रो. बी. एन. पांडा, पूर्व संकायाध्यक्ष शोध, एनसीईआरटी, भुवनेश्वर, प्रो. आनन्द वर्धन, स्कूल ऑफ हेरिटेज, शोध एवं प्रबंधन, बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, डॉ. विनय कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, इतिहास विभाग, बीएचयू वाराणसी, डॉ. उपेंद्र कुमार, विभागाध्यक्ष, शिक्षा संकाय, आरपीएस कॉलेज, झरिया और कौशन एस. जयसूर्या, श्रीलंका से शामिल हुए।
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कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद श्रीगणेश वंदना, सरस्वती वंदना, स्वागत गीत और विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया गया। कॉलेज के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने स्वागत भाषण दिया। सभी अतिथियों को अंगवस्त्र, गुलदस्ता और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
अरुण कुमार सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्देश्य प्रशिक्षुओं को वैश्विक शिक्षा परिवर्तनों से अवगत कराना है। यह मंच भारत और विदेश के विद्वानों के विचार साझा करने का प्रयास है।
सम्मेलन में कॉलेज की वार्षिक पुस्तिका ‘अरुणोदय’ और ‘स्मारिका’ का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. आनन्द वर्धन ने कहा कि बिहार विविध संस्कृति और सभ्यताओं का प्रदेश है। नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों ने इसे शिक्षा का केंद्र बनाया।
डॉ. जगजीत कुमार पांडेय ने कैंसर के कारण, लक्षण, बचाव और इलाज की आधुनिक तकनीकों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार इस बीमारी के प्रति जागरूकता और इलाज को आसान बनाने के लिए प्रयासरत है।
प्रो. लिलियाना बचिर्यान ने कहा कि कोई भी छात्र कमजोर नहीं होता। शिक्षक यदि ध्यान दें तो हर छात्र अच्छा कर सकता है। उन्होंने बताया कि भारतीय मूल के बच्चे विदेशों में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। एनजीओ, नासा, रेडक्रॉस जैसी संस्थाओं में भारतीय मूल के बच्चों की संख्या अधिक है।
वैद्यनाथ यादव ने कहा कि 21वीं सदी की शिक्षा पर चर्चा जरूरी है। बिहार में नई शिक्षा नीति 2020 लागू हो चुकी है। इसका उद्देश्य किताबों का बोझ कम करना और (5+3+3+4) शिक्षा पैटर्न लागू करना है। मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आज डिग्री नहीं, ज्ञान का महत्व है। आज के समय में एकलव्य जैसे छात्रों की संख्या बढ़ रही है। इससे शिक्षकों को अपने आप को अपडेट रखना चुनौती है।
सभी वक्ताओं ने अपने विचारों से प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज की सचिव रूबी कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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