पूर्णिया(बिहार)वर्ष 2025 तक देश को पूर्णत: टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। टीबी जैसे संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए जन सहयोग एवं जागरूकता जरूरी है। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को आंदोलन का रूप देने के लिए जुटा हुआ है। टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को ज्यादा से ज़्यादा प्रभावशाली बनाने एवं बीमारी के खतरों के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ टीबी उन्मूलन अभियान की सफलता में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराने को लेकर पूरे मार्च महीने में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग,केयर इंडिया,वर्ल्ड विजन इंडिया एवं केएचपीटी सहित कई अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा ज़िले के विभिन्न प्रखंडों का दौरा कर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कर पूर्णियावासियों को जागरूक किया जा रहा है।प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी विश्व टीबी दिवस का आयोजन जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंड मुख्यालय,स्वास्थ्य केंद्रों पर धूमधाम से मनाया जाएगा। आम लोगों को टीबी रोग के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित इस खास दिवस की सफलता को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष तैयारियां की गयी हैं।
टीबी के मरीज़ों से बच्चों एवं बुजुर्गों को दूर रखना ही बचाव: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. एसके वर्मा ने बताया कि टीबी के मरीज़ों से अपने बच्चों और बुजुर्गों को दूर ही रखना चाहिए। क्योंकि इनमें बैक्टीरिया फैलने की संभावना अधिक होती है। कम से कम सप्ताह से अधिक समय तक खांसी रहती है तो लापरवाही न बरतें।समय रहते किसी अनुभवी चिकित्सक से जल्द संपर्क स्थापित कर चिकित्सीय सलाह लें।साथ ही परामर्श के अनुसार जांच आवश्यक कराएं। अगर आपको पता है कि किसी व्यक्ति को टीबी जैसी बीमारी है तो जितना हो सके उससे दूरी बना कर रखें। क्योंकि यह एक तरह का संक्रामक रोग है।अगर आपके आस-पास कोई बहुत देर तक खांस रहा है, तो उससे सावधान होकर तुरंत अलग हट जाएं।अगर आप किसी टीबी के मरीज से मिलने जा रहे हैं, तो घर वापसी के बाद अच्छी तरह से अपना हाथ मुंह धोकर कुल्ला कर लें।
पूर्णिया में पहले की अपेक्षा टीबी के मरीजों की संख्या में आई है कमी: सीडीओ
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ.मोहम्मद साबिर ने बताया कि वर्ष 2021 में 11, 592 संभावित टीबी रोगी की बलगम जांच की गयी थी।जिसमें 8, 39 बलगम धनात्मक रोगी पाए गए थे।जबकि वर्ष 2022 में फरवरी तक 2060 संभावित टीबी के मरीज़ों की बलगम जांच की गयी है।जिसमें मात्र 196 बलगम धनात्मक रोगी मिले हैं।वहीं पिछले वर्ष 2021 में 4, 837 टीबी रोगियों का इलाज किया गया तथा वर्ष 2022 में मार्च महीने में 443 टीबी के मरीज़ों का उपचार चल रहा है।वर्तमान समय में ज़िले के लगभग 25 केन्द्रों पर बलगम जांच की सुविधा उपलब्ध है। टीबी के मरीजों की एचआईवी जांच भी करायी जाती है। जिले में एमडीआर रोगियों की भी जांच एवं इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है। वर्ष 2021 में 1776 ट्रूनेट व सीबीनॉट टेस्ट हुए जिनमें मात्र 32 एमडीआर रोगियों की पहचान हुई है जो इलाजरत हैं।
टीबी बीमारी से जुड़े लक्षण दिखाई दे तो सरकारी अस्पताल में जल्द करें संपर्क: डीपीएस
टीबी विभाग के डीपीएस राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि क्षयरोग (टीबी) से जुड़े इस तरह से अगर आपको कोई लक्षण दिखाई दे तो जल्द से जल्द अपने नजदीकी वाले स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर चिकित्सीय सलाह जरूर लें।ताकि समय से आपका इलाज शुरू किया जा सके। घर परिवार या अन्य किसी भी व्यक्ति को लगातार 3 सप्ताह तक खांसी या छींक नहीं जा रही है। खांसते-खांसते कफ़ (बलगम) में खून का आना, सीने में दर्द की शिकायत, सांस का फूलना, अचानक से वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना, प्रतिदिन शाम को बुखार का आना और ठंड लगना, सोने के बाद रात में पसीना का आना, भूख नहीं लगना, बहुत ज्यादा फेफड़ों का इंफेक्शन होना, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई दे तो तुरंत सरकारी अस्पताल में जाकर अपना इलाज कराएं जो बिल्कुल ही निःशुल्क है।
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