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बदलते मौषम में किसान अपने फसलों पर रखे ध्यान:डॉ.आरके मंडल

तापमान अधिक होने से रवि की उपज कम होने की सम्भावना
भगवानपुर हाट(सीवान)लगातर बदलते मौषम से किसानों के चेहरे पर मायूसी ला दिया है।कारण की कभी बारिस हो रही है तो कभी तेज हवा के साथ धूप निकल रहा है।ऐसे बदलते मौषम में किसान अपने फसलों पर ध्यान रखे नहीं तो फसल को नुकसान होने की सम्भावना बनी हुई है।

उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर के मंडल व डॉ.एस के मंडल ने संयुक्त रूप से कहि।दोनों वैज्ञानिकों ने बताया कि लगातार बदल रहे मौषम में किसान को आलू के फसल पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है क्योंकि की आसमान में बादल होने पर आलू के फसल में झुलसा रोग लग जाती है।

आलू के फसल में लगे झुलसा रोग से बचाव के लिए किसान मेंकोजेब/प्रोपिनेब/रेडॉमिल ढ़ाई से तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते है।जिससे आलू में लगे झुलसा रोक पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

किसान 15 जनवरी के बाद लाही कीटों के प्रकोप की संभावना बिभिन्न फसलों जैसे आलू,तोरी, गोभी एवं अन्य सब्जियों पर बढ़ जाती है।इससे फसलों को बचाव के लिए किसान इमेडाक्लोपरिड एक मिली लीटर प्रति तीन लीटर पानी में घोलकर कर छिड़काव करें।

डायफेमथ्यूरान एक ग्राम दवा प्रति एक लीटर पानी में डालकर फसलों पर छिड़काव करें।डायमेथोएट दो मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर फसलों पर छिड़काव करें।

इसके छड़काव से फसलों पड़ने वाली लाही कीटों के प्रकोप से फसलों को बचाया जा सकता है।डॉ. आर के मंडल ने बताया कि मौसम में लगातार बदलाव आने से गेहूं के फसल पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान समय में वातावरण में तापमान की बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

जिससे गेंहू के फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना बनी हुई है।यदि तापमान में वृद्धि होती है तो किसानों को गेहू के फसलों में नमी की कमी होने पर सिंचाई पर ध्यान देने की जरूरत है।क्योंकि की खेतों में नमी को बरकरार रखने के लिए किसानों को सिंचाई ज्याद करनी पर सकती है।