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सरकार ने बिहार के सभी 38 जिलों में फायर अलर्ट किया

15 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हवा ने बढ़ाया आगलगी का खतरा

पटना(बिहार)सूबे के सभी 38 जिलों में बढ़ते तापमान के बीच फायर अलर्ट जारी किया गया है। इसमें फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को 24 घंटे पूरी तरह से एक्टिव मोड पर रखने का आदेश दिया गया है। इस दौरा भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जाम की स्थिति खत्म कराने का भी आदेश जारी किया गया है जिससे आग की घटना में राहत एवं बचाव में कोई परेशानी उतपन्न न आने पाए। पटना में आग की दो तीन बड़ी घटना के बाद सरकार हुई एक्टिव।

गर्मी के दिनों में तेज गर्म हवा के कारण आग लगी की घटना अप्रत्याशित बढ़ जाती हैं। इससे निपटने के लिए सूबे के सभी जिलों के डीएम को गाइडलाइन जारी की गई है जिसमें लोगों से अपील करने के साथ प्रशासन को एक्टिव रहने को कहा गया है। पटना में आग लगी की कई घटना हो गई है जिसके बाद डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने आम जनता से अग्नि-सुरक्षा के लिए निर्धारित नियमों का पालन करने की अपील की है, वहीं अधिकारियों को जवाबदेही के साथ लगाया है।

डीएम ने एसओपी जारी करते हुए अधिकारियों को जवाबदेह बनाया है। अंचल अधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि सूचना मिलते ही घटना स्थल पर पहुंच कर राहत एवं बचाव का काम किया जाए। जहां पर अग्निकांड की बड़ी घटना होगी वहां आपदा प्रबंधन के अपर समाहर्त्ता को पहुंचना होगा।

फायर की गाड़ी पहुंचने में नहीं होगी परेशानी

आदेश दिया गया है कि आगलगी की सूचना के बाद त्वरित घटना स्थल पर फायर की गाड़ियों को पहुंचना होगा, इसमें कहीं से कोई देरी नहीं होने पाए। इसमें किसी तरह की लापरवाही या मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गर्मी के बीच गर्म हवा के कारण आग के खतरे को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में फायर ब्रिगेड के पदाधिकारी को मुस्तैद रहने का निर्देश दिया गया है। आग लगी की घटना में पीड़ितों को 24 घंटे के अंदर पूरी सहायता उपलब्ध करानी है। उनके लिए पॉलिथिन शीट, नगद अनुदान और कपड़ा एवं बर्तन के लिए अनुदान देने का आदेश जारी किया गया है।

आगलगी की घटना में घायलों के इलाज को लेकर एसओपी जारी की गई है। विशेष राहत केन्द्रों को तैयार करने को कहा गया है जिसमें कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर सावधानी बरतने का निर्देश है। सरकारी सहायता पाने के लिए जानबूझकर अपनी सम्पत्ति में आग लगाने वालों के विरूद्ध कार्रवाई का आदेश दिया गया है।

इस तरह से रोक सकते हैं आगलगी की घटना

स्टोव या लकड़ी,गोइंठा के जलावन वाले चूल्हे पर भोजन बनाते वक्त सतर्कता बरतें।
हमेशा सूती कपड़े पहनकर ही भोजन बनाएं।
गेहूं ओसनी का काम हमेशा रात में तथा गांव के बाहर खलिहान में जाकर करें।
घर व खलिहान पर समुचित पानी व बालू की व्यवस्था रखें।
खाना बनाते समय रसोईघर में वयस्क मौजूद रहें, बच्चों को अकेला न छोड़ें।
खिड़की से स्टोव के बर्नर तक हवा न पहुंच पाए, इस बात की पूरी तसल्ली कर लें।
तौलिया या कपड़े का इस्तेमाल सावधानी से गर्म बर्तन उतारने के लिए करें।
तैलीय पदार्थ से लगी आग पर पानी न डालें।
गैस चूल्हे का इस्तेमाल करने के तुरंत बाद सिलिंडर की नॉब तुरंत बंद कर दें।
बिजली तारों एवं उपकरणों की नियमित जांच करें।
घर में अग्निशमन कार्यालय तथा अन्य आपातकालीन नंबर लिखा हुआ हो और घर के सभी सदस्यों को इन नंबरों के बारे में पता हो।
आग लगने पर दमकल विभाग को फोन करें और उन्हें अपना पूरा पता बताएं।
आग की घटना को लेकर सावधानी

बच्चों को माचिस या आग फैलाने वाले एवं अन्य वस्तुओं के पास न जाने दें।
बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि पीकर जहां-तहां न फेंकें, उसे पूरी तरह बुझने के बाद ही फेंकें।
चूल्हा,ढिबरी,अगरबत्ती,मोमबत्ती कपूर इत्यादि जलाकर न छोड़ें।
अनाज के ढेर, फूस या खपड़ैल की झोपड़ी के निकट अलाव व डीजल इंजन नहीं चलाएं।
सार्वजनिक स्थलों, ट्रेनों एवं बसों आदि में ज्वलनशील पदार्थ न ले जाएं।
कपड़े में अगर आग लग जाए तो दौड़ना नहीं चाहिए बल्कि जमीन पर लेटकर गोल-गोल कर आग बुझाएं।
खाना बनाने के समय ढीले-ढाले कपड़े न पहनें।
अग्नि दुर्घटना के दौरान कभी भी लिफ्ट का प्रयोग नहीं करें।
गैस की दुर्गंध आने पर बिजली के स्वीच को न छुएं।