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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से पहचाना जाएगा नया प्रशासनिक भवन

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष के अवसर पर शनिवार को पराक्रम दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित ऑनलाइन विशेषज्ञ व्याख्यान की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने की और इस आयोजन में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत कार्यवाह, हरियाणा प्रान्त श्री प्रताप सिंह मलिक उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने पराक्रम दिवस पर घोषणा कि विश्वविद्यालय का नया प्रशासनिक भवन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से पहचाना जाएगा, साथ ही विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने की घोषणा भी कुलपति ने की।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रताप सिंह मलिक ने नेताजी और उनके पराक्रम को नमन करते हुए कहा कि भारत की आजादी की जब हम बात करते है उस समय नेताजी और उनकी आजाद हिन्द फ़ौज के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने अपने शौर्य व पराक्रम से वो परिस्थितियां पैदा कर दी कि अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागना पड़ा। श्री प्रताप सिंह मलिक ने इस अवसर पर 21 अक्टूबर 1943 को बनी आजाद हिन्द सरकार के गठन और 30 दिसंबर 1943 को अंडमान निकोबार द्वीप समूह के अंग्रेजों से आजादी का भी विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह वह ऐतिहासिक दिन है जो भारत की आजादी के संग्राम में अविस्मरणीय हैं। उन्होंने भारत की आजादी के सम्बंध में इंग्लैंड के निर्णय के पीछे के प्रसंग का भी उल्लेख किया और बताया कि भारत की आजादी में किस तरह से आईएनए का योगदान रहा। उन्होंने कहा कि भारत आज अगर स्वाधीन है तो उसमें नेताजी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। श्री प्रताप सिंह मलिक ने इस अवसर पर युवाओं को नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद, गुरू गोबिन्द सिंह के जीवन से प्रेरणा लेने और देश सेवा के लिए तत्पर रहने के लिए प्रेरित किया।


इस आयोजन को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने कहा कि आज के अवसर पर नेताजी के जीवन से जुड़ा बेहद ओजस्वी वक्तव्य श्री प्रताप मलिक ने प्रस्तुत किया। उन्होंने श्री प्रताप मलिक द्वारा दी गई जानकारी को बेहद उपयोगी बताते हुए कहा कि हर देशवासी को नेताजी को करीब से जानना चाहिए। प्रो. कुहाड़ ने कहा कि नेताजी के विषय में हम सभी अपने गांव के वरिष्ठजनों से जानते समझते आये है और अब जरूरत है कि उनके मूल्यों को आचार-व्यवहार में लाए।

कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़

प्रो. कुहाड़ ने इस अवसर पर गोपाल प्रसाद व्यास की रचना की कुछ पंक्तियों से अपने संबोधन का आरंभ किया। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के त्याग, साहस, बलिदान और भारत की आजादी की लड़ाई में योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि यह नेताजी का पराक्रम का ही नतीजा था कि अकेले निकले नेताजी ने भारत की आजादी की लड़ाई के लिए 60 हजार सैनिकों की सेना खड़ी कर दी। कुलपति ने इस अवसर पर नेताजी के दृष्टिकोण को प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया और उन्हें जीवन में शामिल करने पर जोर दिया।


विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता कार्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का आरंभ में छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. दिनेश कुमार गुप्ता ने कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ व विशेषज्ञ वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने इस अवसर पर बताया विश्वविद्यालय किस तरह से निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई और इसके पश्चात विश्वविद्यालय से संबंधित एक वृत्त चित्र भी दिखाया गया। इस आयोजन में विश्वविद्यालय की उप छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. मोनिका मलिक ने स्वरचित कविता प्रस्तुत की और नेताजी के पराक्रम को याद दिलाया। राजनीति विज्ञान विभाग के सह-आचार्य डॉ. रमेश कुमार ने भी इस आयोजन पर एक कविता के माध्यम से नेताजी के पराक्रम पर प्रकाश डाला और आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को याद किया। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य ने भी अपनी कविता के माध्यम से नेताजी के योगदान को स्मरण किया। कार्यक्रम का संचालन उप छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. आनन्द शर्मा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन योग विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अजयपाल ने प्रस्तुत किया। आयोजन में भारी संख्या में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।