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जेपीयू छपरा में सम्पूर्ण क्रांति प्रणेता के पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि सभा आयोजित

छपरा(बिहार)जेपीयू छपरा के सिनेट हॉल में 11 बजे दिन में विश्वविद्यालय के कुलदेवता सम्पूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि सभा आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में कुलदेवता के तैलचित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। प्रतिकुलपति प्रो लक्ष्मी नारायण सिंह की अध्यक्षता में आयोजित सभा में उपस्थित विश्वविद्यालय के पदाधिकारी, शिक्षक एवं कर्मचारियों का स्वागत करते हुए अपने सम्बोधन में कुलसचिव ग्रुप कैप्टन श्री कृष्ण ने कहा कि, “हम उस भूमि पर कार्यरत हैं जहाँ लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे सख्सियत पैदा हुए हैं। लोकनायक कभी भी किसी पद या सम्पत्ति की लालसा नहीं रखे।

साथ ही कुलसचिव ने लोकनायक के ऊपर दिनकर द्वारा लिखी हुई कविता की पंक्ति “कहते हैं उसको ‘जयप्रकाश’/जो नहीं मरण से डरता है/ ज्वाला को बुझते देख, कुण्ड में/ स्वयं कूद पड़ता है।”
प्रतिकुलपति अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि ‘सारण की धरती रत्नगर्भा है जिसमें से लोकनायक, राजेन्द्र प्रसाद, चन्द्रशेखर, राहुल सांकृत्यायन एवं भिखारी ठाकुर जैसे महारत्न पैदा हुए हैं। प्रतिकुलपति ने आगे कहा कि आज लोकनायक की पुण्यतिथि है और उनके नाम पर यह विश्वविद्यालय है इसलिए हमें आज संकल्प लेने की जरूरत है कि विश्वविद्यालय का विकास समयबद्ध होकर करें। हमें लोकनायक के आदर्शों व सपनों को अपनाकर विश्वविद्यालय के विकास के लिए सदैव तत्पर रहें।

प्रतिकुलपति ने लोकनायक के संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विद्यार्थी कवि ने बिहार में छात्र आंदोलन की नींव डाली थी जो आगे चलकर व्यापक रूप धारण किया। प्रतिकुलपति ने अपनी वाणी को विराम देने से पूर्व लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयघोष किया सर्च में सबने जयघोष लगाया।’ मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पूनम सिंह तथा राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अनुपम कुमार सिंह ने अपने सम्बोधन में सभी से आग्रह किया कि हमें लोकनायक के समाजवादी विचारों को आत्मसात करते हुए विश्वविद्यालय हित में तन-मन से काम करें। सहायक पीआरओ डॉ दिनेश पाल ने अपने सम्बोधन में लोकनायक और प्रेमचंद्र को सादर नमन करते दिनकर द्वारा रचित कविता जो सम्पूर्ण क्रांति का चर्चित नारा ‘सदियों की ठण्डी बुझी राख सुगबुगा उठी/ मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है/ दो राह, समय के रथ का घर्घर-नांद सुनो/ सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।’ कार्यक्रम की संचालन करते हुए पीआरओ सह पीआईओ प्रो हरिश्चंद्र ने कहा कि अभी तक हम लोक लोकनायक की जयंती मनाते आ रहे थे लेकिन इस बार माननीय कुलपति प्रो फ़ारुक़ अली के निर्देश पर पुण्यतिथि को मनाने की परम्परा शुरू हुई है जिसे आगे जारी रखा जाएगा। राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रो हरिश्चंद्र ने कोविड-19 आपदा से सम्बंधित प्रतिज्ञा पत्र पढ़ा जिसे सभी ने शपथ लेते हुए दुहराया। राजेन्द्र महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो प्रमेन्द्र रंजन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन करने से पूर्व अपने सम्बोधन में विस्तृत रूप से लोकनायक जयप्रकाश नारायण के व्यक्तित्व व कृतित्व प्रकाश डालते हुए सम्पूर्ण क्रांति के सात क्रांतियों ‘राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक एवं आध्यात्मिक’ पर अमल करने को कहा साथ ही विश्वविद्यालय के सकारात्मक विकास के लिए प्रतिकुलपति तथा कुलसचिव से आग्रह किया। कार्यक्रम के समाप्ति की घोषणा करते हुए प्रतिकुलपति ने जोर देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के दैनिक भोगी कर्मचारियों को उचित सम्मान दिया जाएगा और विश्वविद्यालय के नए शिक्षकों को एक साल में सेवा सम्पुष्टि प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम में वित्त सलाहकार श्री राकेश कुमार मेहता, सांस्कृतिक सचिव डॉ आशा रानी, आई टी सेल प्रभारी असि. प्रो धनजंय कुमार आज़ाद समेत विश्वविद्यालय के तमाम पदाधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी एवं मीडिया कर्मी आदि उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सम्मुख स्थापित लोकनायक जयप्रकाश नारायण की आदमकद प्रतिमा पर प्रतिकुलपति द्वारा माल्यार्पण किया गया।