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कालाजार से जंग जीत अब गांव में फैला रहे जागरूकता

भगवानपुर हाट(सीवान)प्रखंड के माघर गांव के कैलन महतो उर्फ़ कल्याण महतो ने कालाजार को मात दी है। अब वे गांव में लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक कर रहे हैं। दिसंबर 2024 से पहले उन्हें लगातार बुखार हो रहा था। इलाज के लिए छपरा और मशरख समेत कई निजी अस्पतालों के चक्कर लगाए। तीन महीने तक इलाज कराया। जांच, अल्ट्रासाउंड और एक्सरे में भी कुछ साफ नहीं हुआ। इलाज में 25 से 30 हजार रुपए खर्च हो गए। फिर भी बुखार नहीं थमा।

एक दिन गांव की आशा कार्यकर्ता मीना देवी से अपनी परेशानी बताई। पैसे खत्म हो चुके थे। तब मीना देवी उन्हें बसंतपुर सीएचसी लेकर गईं। वहां जांच में कालाजार की पुष्टि हुई। इलाज शुरू हुआ और अब वे पूरी तरह ठीक हैं।

कैलन महतो ने बताया कि उनका घर तालाब के पास है। मच्छरों की भरमार रहती है। अब वे खुद मच्छरदानी लगाकर सोते हैं और गांव के लोगों को भी यही सलाह देते हैं। बीमारी के दौरान जिला और प्रखंड स्तर के अधिकारी और पीरामल स्वास्थ्य संस्था के लोग कई बार हालचाल लेने पहुंचे। उन्होंने बताया कि पहले जानकारी नहीं थी कि कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है। अब जानकारी है, इसलिए दूसरों को भी सतर्क कर रहे हैं।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. ओम प्रकाश लाल ने बताया कि कालाजार बालू मक्खी के काटने से फैलता है। 15 दिन या उससे अधिक समय तक बुखार रहना, भूख की कमी, पेट का आकार बढ़ना इसके लक्षण हो सकते हैं। कुछ मरीजों में पीकेडीएल के लक्षण भी दिखते हैं, जिसमें त्वचा पर सफेद दाग या गांठ बनती है। ऐसे मरीजों की जांच जरूरी है।

विभागीय स्तर पर प्रभावित गांवों में कालाजार के संदिग्ध मरीजों की पहचान और कीटनाशक एसपी का छिड़काव करने का अभियान चल रहा है। ताकि बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके।