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मैट्रिक की परीक्षा में ग्रामीण क्षेत्र के छात्र छात्राओं ने बेहतर प्रदर्शन कर परचम लहराया

बसंतपुर(सीवान)जिले के नामी-गिरानी स्कूलों के तुलना में गांव-देहात के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर परचम लहराया हैं। सुदूर देहात में शिक्षा के प्रति आ रहे सकारात्मक बदलाव का ही नतीजा है कि झोपड़ी में रहने वाले परिवार के बच्चों ने 80 से 85 प्रतिशत तक अंक प्राप्त किए हैं।

मैट्रिक परीक्षा में प्रखंड के छात्र-छात्राओं ने बेहतर किया है। उच्च माध्यमिक विद्यालय करचोलिया सुमित कुमार 461 पिता गोपालपुर ठाकुर, दिव्याशु कुमार 448 व बसंतपुर के एकलव्य ट्यूटोरियल कोचिंग शोएब 452, अभिषेक कुमार 444, अनुराग कुमार 444,इम्तेयाज 442, रजनिश कुमार 430, दीपक कुमार 416, आदर्श कुमार 429, जौहर 424, कृष्णा कुमार 424, आयुष कुमार 422, नीतिश कुमार 413 और आदिती कुमारी 429 अंक लाकर कोचिंग समेत प्रखंड का नाम रौशन किया है।

वहीं उच्च माध्यमिक विद्यालय बसंतपुर के आदित्य राज 452, श्रवण कुमार 448, प्रिंस कुमार 403, अनिल कुमार 414, मनिष कुमार 391, चन्दन प्रसाद 411,सुधीर कुमार 418, चन्द्रकांत कुमार 411,मोहम्मद नूरेन 344 साथ ही उच्च माध्यमिक विद्यालय समरदह के निशा कुमारी 457, प्रिंस कुमारी 449, संजना कुमारी 422 अंक लाकर स्कूल का मान बढ़ाया है।

इनमें अधिकांश का सपना शिक्षक, इंजीनियर व डॉक्टर बनने की है। सफल छात्रों ने बताया कि दृढ़ संकल्प के साथ किया गया।हाईस्कूल बसंतपुर के शिक्षक ब्रजेश कुमार ने कहा कि सीमित संसाधनों में बच्चों का बेहतर करना यह साबित करता है कि यहां भी शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकरता बढ़ी है।

देहात के स्कूलों में संसाधनों का घोर अभाव तो है ही, विषयवार शिक्षक तक पदस्थापित नहीं हैं। अधिकतर स्कूलों में लैब और लाइब्रेरी तक मौजूद नहीं है। मिडिल स्कूल से अपग्रेड होकर हाईस्कूल में तब्दील हुए स्कूलों के बच्चों ने भी इस साल मैट्रिक की परीक्षा में बेहतर अंक हासिल करने में सफलता हासिल की हैं। जबकि यहां हर चीज का अभाव बना हुआ है। जबकि शहर के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या कुछ-काछ ठीक तो है ही, लाइब्रेरी, लैब और उपस्कर आदि की भी बेहतर व्यवस्था है।