भगवानपुर हाट(सीवान)कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा जिले तीन गांव में निक्रा परियोजना के अंतर्गत शंकरपुर, मीरजुमला एवं जीरादेई का चयन किया गया है।इसमें जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को कराया जा रहा है। शंकरपुर एवं मीरजुमला गांव में स्वर्णा सब-1धान की प्रजाति किसानों को दिया जा रहा है। यह प्रजाति बाढ़ में 20 से 25 दिन तक डूब जाने के बाद भी धान की अच्छी उपज हो जाती है लंबी अवधि की प्रजाति है इसे 145 से 150 दिन में फसल तैयार हो जाता है औसत उपज 45 से 55 प्रति क्विंटल होता है ।दूसरी प्रजाति राजश्री निजी जमीन जहां जलजमाव होता है एवं 4 से 5 दिन में पानी निकल जाता है किसानों को उपलब्ध कराई गई है।
धान की बुवाई जीरो टिल मशीन से सीधी बुवाई कराई जा रही है 20 जून तक बुवाई करने से अच्छी उपज होगी। सीधी बुवाई के लिए खेतों को खरपतवार मुक्त करना है खेतों में दुभ मोथा इत्यादि के नियंत्रण के लिए गलाईफोसेट छिड़काव कर या बुवाई के 48 घंटे के अंदर 1 लीटर पिंडा मैथिलन नामक दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने से खरपतवार नष्ट हो जाता है।मंगलवार को मीरजुमला एवं शंकरपुर में धान की सीधी बुवाई पर प्रशिक्षण डॉ हर्ष वी आर, फसल उत्पादन विशेषज्ञ कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा दिया गया।प्रशिक्षण में फार्मर फेस के कार्यपालक अधिकारी मोहन मुरारी सिंह ने धान की सीधी बुवाई का महत्व एवं पैसों की बचत की जानकारी दी।प्रशिक्षण में प्रमोद कुमार शर्मा,राज मुन्नी देवी, मनोज प्रसाद, अनिल शाह, मनीष कुमार प्रदीप कुमार सहित कुल 30 किसानों ने भाग लिया सभी को बीज उपलब्ध कराया गया।
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