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मधेपुरा:कोरोना संक्रमित बच्चों का उपचार प्रबंधन है जरूरी

संक्रमित होने के बावजूद भी नहीं दिखाई देते है लक्षण:
बच्चों को चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही दें दवाई:
कोरोना संक्रमित गंभीर बच्चों में बढ़ता है न्यूमोनिया का खतरा, शिशुओं के लिए स्तनपान जरूरी:

मधेपुरा(बिहार)बच्चों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम व संक्रमित के उपचार का प्रबंधन जरूरी है। इसके लिए पूर्व में भी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी ‘प्रोटोकॉल फॉर मैनेजमेंट ऑफ़ कोरोना इन द पेडियाट्रिक एज ग्रूप’ में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी गई है। एडवाइजरी में कहा गया है कि अभी तक कोरोना संक्रमण का बहुत कम प्रभाव बच्चों पर देखा गया है। हालांकि, बच्चों में संकमण के बहुत हल्के लक्षण देखे गये हैं।10% से 20% बिना लक्षण वाले बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। एक से 3 प्रतिशत कोरोना लक्षण वाले बच्चे गंभीर रूप से बीमार पड़ते हैं ,जिन्हें इंटेसिव केयर में भर्ती कराने की आवश्यकता होती है।

संक्रमित होने के बावजूद नहीं दिखाई देते है लक्षण:
बच्चों में कोरोना संक्रमण अधिकतर माइल्ड यानि हल्के या एसिम्टोमेटिक होते हैं। एस्मिटोमेटिक मामले में बच्चे संक्रमित तो होते हैं लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिखते हैं। जबकि माइल्ड केस में कुछ सामान्य लक्षण नजर आते हैं। कोरोना संक्रमण के सामान्य लक्षणों में बुखार, कफ, सांस लेने में समस्या, थकान, गले में खराश, डायरिया, सुगंध और स्वाद नहीं मिलना, मांसपेशियों में दर्द व नाक बहना आदि शामिल हैं। कुछ बच्चों में पाचन संबंधी समस्या आदि भी मिलते हैं। बच्चों में इन लक्षणों के अलावा एक नये लक्षण देखने को मिले हैं। जिसे मल्टी सिस्टम इंफ्लामेट्री सिंडोम कहते हैं। इनमें लंबे समय तक लगातार 100 डिग्री बुखार रहता है।

कोरोना संक्रमित बच्चों का उपचार प्रबंधन है जरूरी:
कोविड- 19 संक्रमित बच्चों के उपचार प्रबंधन के विषय में बताया गया है कि परिवार में किसी सदस्य के कोरोना संक्रमित होने के बाद बच्चों के स्क्रीनिंग कराये जाने पर उनमें संक्रमण की पुष्टि की जाती है। ऐसे बच्चों में लक्षणों के विकसित होने पर खास नजर रखी जाती तथा संक्रमण की गंभीरता के आधार पर उपचार किया जाता है। माइल्ड व एस्मिटोमेटिक मामले में बच्चों को होम आइसोलेशन में रखकर उपचार दिया जा सकता है। होम आइसोलेशन से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आवश्यक सभी सुविधाएं, बच्चे के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए देखभालकर्ता की हर समय मौजूदगी, आरोग्य सेतु, माता/पिता या देखभालकर्ता बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी कर सूचना सर्विलांस पदाधिकारी या चिकित्सक को देने की व्यवस्था हो। साथ ही माता/पिता या देखभालकर्ता द्वारा सेल्फ आइसोलेशन तथा होमआइसोलेशन या क्वारेंटाइन गाइडलाइन के पालन करने में सक्षम हों।

गंभीर रोग वाले संक्रमित बच्चों का रखें खास ख्याल:
दिल की बीमारी, गंभीर फेफड़ों के रोग या अंग विकार, मोटापा आदि जैसे गंभीर रोग से ग्रसित बच्चों में हल्के लक्षण होने पर उनका उपचार प्रबंधन घर पर भी किया जा सकता है। लेकिन ऐसी स्थिति में यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके स्वास्थ्य की बिगड़ने की स्थिति में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं उन्हें आसानी से उपलब्ध हो सके। अन्यथा ऐसा करना उचित नहीं है।

बच्चों को चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही दें दवाई:
माइल्ड लक्षण वाले बच्चों में चिकित्सीय परामर्श के साथ बुखार की दवाई दी जा सकती है। बच्चों को पौष्टिक आहार व शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए अधिकाधिक पानी व जूस दिया जाना चाहिए। एडवाइजरी में कहा गया है कि हल्के लक्षण वाले बच्चों के श्वसन दर को दिन में दो से तीन बार रिकॉर्ड करें। साथ ही ऑक्सीजन स्तर की भी जांच करें। एडवाइजरी में माइल्ड, माडरेट तथा सिवियर तीनों स्थिति में संक्रमित बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी करते हुए चिकित्सक को इसकी जानकारी देते रहने के लिए कहा गया है। सलाह दी गयी है कि कोविड संक्रमण के मोडरेट मामलों में बच्चों को डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में भर्ती कराया जाये। मोडरेट मामलों में कोविड संक्रमित बच्चे की श्वसन गति पर इन स्थिति में ध्यान रखें। यदि शिशु दो माह से कम है तो उनका श्वसन दर 60 प्रति मिनट या इससे अधिक हो, 2 माह से 12 माह तक के शिशु का श्वसन दर 50 प्रति मिनट या इससे अधिक हो तथा एक से पांच साल के बच्चों का श्वसन दर 40 प्रति मिनट या इससे अधिक हो तथा पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों का श्वसन दर 30 प्रति मिनट या इससे अधिक हो। ऐसे बच्चों में न्यूमोनिया हो सकता है जो साफ तौर पर नहीं दिखता है। बच्चों के शरीर में इलेक्ट्रोलाइन संतुलन बना रहे इसका ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए शिशुओं को नियमित स्तनपान कराती रहें।

गंभीर मामले में न्यूमोनिया होने की बढ़ती है संभावना:
यदि कोविड संक्रमित गंभीर मामलों में बच्चों का ऑक्सीजन स्तर 90 प्रतिशत से कम होता है तो ऐसे बच्चों को गंभीर न्यूमोनिया की शिकायत होती है। साथ ही गंभीर श्वसन समस्या एवं कई अंगों का काम नहीं करना आदि की भी समस्या हो सकती है। ऐसे बच्चों को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती किये जाने की सलाह दी जाती है।

टीके के समुचित रख – रखाव की हो रही मॉनिटरिंग:
कोरोना टीके के समुचित रख रखाव के लिए प्रत्येक प्रखंड स्तर पर कोल्ड चेन की व्यवस्था है। टीके की क्वालिटी बनाए रखने के लिए वैक्सीन को उचित तापक्रम पर रखा जाता है एवं इसकी मॉनिटरिंग ई-विन नामक एप से की जाती है। साथ है जिला स्तर के पदाधिकारियों द्वारा भी समय समय पर कोल्ड चेन का निरीक्षण किया जाता है। इसी क्रम में शुक्रवार को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ विपिन कुमार गुप्ता एवं यु. एन. डी. पी. के भी. सी. सी. एम्. प्रसून कुमार द्वारा उदा किशुनगंज के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मझौरा कोल्ड चेन का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण कर टीके के उचित रख – रखाव का जायजा लिया गया। मौके पर प्रखंड स्तर चिकित्सा पदाधिकारी एवं कोल्ड चेन हैंडलर भी उपस्थित रहे।