भगवानपुर हाट(सीवान)प्रखंड मुख्यालय के भगवानपुर महाविद्यालय के परिसर में आयोजित चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन का भोजपुरी के लोक कवि भिखारी ठाकुर के मूर्ति पर माल्यार्पण कर मुख्यअतिथि सांसद जनार्धन सिंह सिग्रीवाल ने आगाज किया।इसके बाद उन्होंने मंच पर पहुच दिप जलाकर कार्यक्रम की विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने भोजपुरी की पत्रिका रंगरूप का लोकार्पण किया।उन्होंने संबोधित करते हुए लोगों को विश्वास दिलाया कि भोजपुरी को आठवी अनुसूची में दर्ज करने के लिए वे सदन से लेकर सड़क तक लड़ाई लड़ रहे।भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए वे प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री से कई बार मिलकर बात कर चुके हैं।उन्होंने कहा की बिहार सरकार भी इस मुद्दे पर काफी सनबेदनशील है।इस अवसर पर आगत अतिथियों को अंगबस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
सभ्यता संस्कृति को मनबूत करता है मेला
भोजपुरी महोत्सव के दसरे सत्र में मेला की आवश्यकता पर परिचर्चा हुई।जिसमे परिचर्चा पर बोलते हुए डॉ अशोक प्रियम्बद ने कहा कि पहले मेला बिचार एवं अभिब्यक्ति का मंच हुआ हुआ करता था।तथा समाज के आवश्कयताओं की पूर्ति के लिए मेला का आयोजन होता था । लेकिन जो हाल कुंआ का हो गया वही हाल आज बैलहटी मेला का हो गया है।कृषि प्राधान देश होने के बाद भी बैल का मेला नहीं लगना दुर्भाग्यपूर्ण है।1857 की लड़ाई में सोनपुर मेला का जिक्र है।जिसमे कुँवर सिंह की सेना तथा अंग्रेजी सेना में योजना बनाने की बात आई है।वर्तमान समय मे मेला संक्रमण काल से गुजर रहल बा।मेला के स्थान मॉल ले रहल बा।भोजपुरी समाज के लोग मेला के माध्यम से आपन बिचार एक दूसरा से अदन प्रदान कर देते थे।राजेश पांडेय ने कहा कि मेला भोजपुरी संस्कृति का मुख्य पहचान है।अपनी भाषा एवं संस्कृति को छोड़ कोई देश तरक्की नहीं कर सकता है।भोजपुरी संस्कृति को मजबूत पहचान दिलावेला मेला।भोजपुरी मेला के परिचर्चा में डॉ. के के द्विवेदी,प्रो. डॉ. सूर्यदेव प्रसाद,बलिया से डॉ आदित्य कुमार अंशु,डॉ. जितेंद्र स्वधयायी,डॉ. फतेह चंद्र बेचैन,रमाशंकर वर्मा मनहर,राजेंद्र प्रसाद वोद्रोही,देवरिया यूपी से डॉ.जनार्दन सिंह डॉ. हरेंद्र सिंह,बिधुशेखर पांडेय,जदयू जिलाध्यक्ष उमेश ठाकुर,अभिषेक सिंह,उमाशंकर साहू,अब्दुल कादिर,अनिल गुप्ता, मनोज शर्मा,संजय शर्मा,नागमणि आदि ने चर्चा सत्र में अपना विचार रखा।
भोजपुरी महोत्सव में विलुप्त हो रहे बस्तुओ का स्टाल पर लगा प्रदर्शनी
लिट्टी चोखा, मकई के रोटी,मडुआ के रोटी,इमिरती,सतुआ,थावे के पुरीकिया,भोजपुरी किताब का स्टाल,परंपरिक उपयोग के बस्तु का स्टाल,पौराणिक मिट्टी का मूर्ति,पौराणिक हस्तकला का प्रदर्शन,औषधीय पौधा तथा औषधि का प्रदर्शन,पुराण कृषि संयंत्र,परम्परागत खाद्य,जात, सिलवट,कुंड ढेकी,हजारा, पैट्रोमैक्स,गाटा मिठाई,फोफ़िया,पुराना पैसा में दस पैसाहि,एक आना, ओखली मूसर,टीवी, कैमरा,रेडियो,अन्न जिसमे कोदो,सांवा,टगुनी,चीना, बाजरा,बलटांगून,आदि स्टाल पर प्रदर्शनी के लिए लगाए गए थे।जिसे देखने के लिए लोग उमड़े हुए थे।इसके साथ सेल्फी ले रहे थे।
पटना:अपना किसान पार्टी के संस्थापक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष जयलाल प्रसाद कुशवाहा ने मंगलवार को वैशाली…
समस्तीपुर:जिले में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनितिक पार्टियां अपने पक्ष में गोलबंद करने के…
भोजपुर(बिहार)जिले के संदेश विधानसभा के पियनिया में आयोजित एनडीए विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन में जनता दल…
छपरा:जिले की महिलाओं विशेष रूप से युवतियों को स्वास्थ्य, स्वच्छता, आत्मनिर्भरता और सामाजिक जागरूकता के…
छपरा:राज्य के युवाओं को खेलकूद की ओर आकर्षित करना, उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से…
बिहार :जमुई जिले के झाझा थाना क्षेत्र में शुक्रवार को रात्रि में सूचना प्राप्त हुई…
Leave a Comment