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परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति देने के लिये स्वास्थ्यकर्मियों को दिया जा रहा जरूरी प्रशिक्षण

एएनएम व जीएनएम को गर्भ निरोध के अस्थायी साधन के उपयोग की दी जा रही जानकारी:
आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी व पीएआईयूसीडी के प्रयोग की विधि को लेकर किया गया प्रशिक्षित:

कटिहार(बिहार)जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति देने के उद्देश्य से सदर अस्पताल परिसर स्थित एएनएम स्कूल में एएनएम व जीएनएम के लिये पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का संचालन किया जा रहा है। 14 से 18 फरवरी के बीच संचालित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्वास्थ्य कर्मियों को परिवार नियोजन के विभिन्न उपायों की जानकारी देते हुए उन्हें पीपीआईयूसीडी, पीएआईयूसीडी के लिये प्रशिक्षित किया जाना है। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में सदर अस्पताल में कार्यरत डॉ शशि किरण व डॉ रश्मि वीर मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका निभा रही हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता में केयर इंडिया तकनीकी सपोर्ट प्रदान कर रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रभावी व उपयोगी बनाने के लिये केयर इंडिया से संबंद्ध बीएससी नर्सिंग सिंधू नायर, समीना, एफपीसी केयर इमोन दास व मंजरूल रहमान खान सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं।

खुशहाल जीवन के लिये परिवार का छोटा होना जरूरी:
प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका निभा रही डॉ शशि किरण ने कहा कि खुशहाल जीवन के लिये परिवार का छोटा आकार जरूरी है। प्रसव या गर्भपात के बाद महिलाओं के लिये अनचाहा गर्भ से निजात पाने के लिये कई विकल्प आज हमारे पास मौजूद हैं। इच्छुक महिलाएं अपनी रूचि व पसंद के हिसाब से इनमें से किसी एक का चयन कर सकती है। यह बच्चों में अंतर रखने का सबसे आसान जरिया है। नियोजन के लिये उपलब्ध कुछ साधन के उपयोग में विशेष तकनीक की मदद ली जाती है। इसके लिये स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित होना जरूरी है। आईयूसीडी व पीएआईयूसीडी के लिये कर्मियों का प्रशक्षित होना जरूरी है। इसलिये कर्मियों के क्षमता संवर्द्धन के लिहाज से उन्होंने इस प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण बताया।

सभी स्वास्थ्य इकाई में उपलब्ध है आईयूसीडी की सेवाएं :
जानकारी देते हुए डॉ रश्मि वीर ने कहा कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी, गर्भ समापन के बाद पीएआईयूसीडी व कभी भी आईयूसीडी की सेवा किसी भी सरकारी अस्पताल में प्राप्त की जा सकती है। इसके इस्तेमाल से अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से सेहत को कोई नुकसान नहीं है। पोस्ट पार्टम इंट्रा यूटाराइन कांट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) उस गर्भ निरोधक विधि का नाम है। जिसके जरिए बच्चों में सुरक्षित अंतर रखने में मदद मिलती है। प्रसव के तुरंत बाद अपनाई जाने वाली यह विधि सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। प्रसव के बाद अस्पताल से छ़ुट्टी मिलने से पहले ही यह डिवाइस (कॉपर टी) लगाया जा सकता है। इसके अलावा माहवारी या गर्भपात के बाद भी डाक्टर की सलाह से इसे लगाया जा सकता है। यह बच्चों में अंतर रखने का बेहतर जरिया है।

आसान है अनचाहे गर्भ से छूटकारा पाना:
केयर इंडिया के फैमिली प्लानिंग कार्डिनेटर इमोन दास व मंजरूल रहमान खान ने बताया कि आईयूसीडी दो तरह के होते हैं। कॉपर आईयूसीडी 380ए जिसका असर दस साल तक रहता है। दूसरा है दूसरी कॉपर आईयूसीडी 375 पांच साल तक असरदार रहता है। इसे प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की मदद से ही लगाया जाना चाहिये। इससे पहले एक जांच की जरूरत होती है। दंपति जब बच्चा चाहें इसे अपने किसी भी नजदीकी अस्पताल में जाकर निकलवाया जा सकता है।

बेहतर सेवा के लिये कर्मियों का प्रशिक्षित होना जरूरी:
डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से कर्मियों को इसके लिये उपलब्ध विभिन्न साधन व इसके उपयोग के लिये कर्मियों का प्रशिक्षित होना जरूरी है। परिवार नियोजन के लिए आईयूसीडी सबसे उपयुक्त माध्यम है। दो बच्चों के बीच में अंतर रखने, अनचाहे गर्भ से छूटकारा पाने का यह आसान जरिया है।