सेवा को धर्म मानने वाली नर्स फुलमनी बनी मिसाल
सिवान:विश्व नर्स दिवस पर जिले की एएनएम फुलमनी ब्राउद की सेवा भावना चर्चा में है। उन्होंने नर्सिंग को पेशा नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य बनाया। गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा को ही अपना धर्म माना। बचपन से ही पीड़ितों की मदद करने का सपना देखा। 1989 में नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद रांची और खूंटी में सेवा शुरू की। तब से अब तक लगातार मरीजों की सेवा में जुटी हैं।

फुलमनी फिलहाल बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रसव कक्ष में तैनात हैं। उनका मानना है कि सेवा भावना के बिना नर्स बनने का सपना अधूरा है। उन्होंने कई बार कठिन हालात में भी मरीजों की मदद की। चाहे रात में प्रसव पीड़िता की देखभाल करनी हो या कोरोना काल में आपात स्थिति में इलाज देना हो, हर समय तत्पर रहीं। उनके सहकर्मी भी उनकी कार्यशैली और संवेदनशीलता की तारीफ करते हैं। फुलमनी कहती हैं, मरीज की मुस्कान ही मेरी असली कमाई है।

उन्होंने बताया कि बचपन में गांव में गरीबी को करीब से देखा। तभी तय कर लिया था कि नर्स बनकर गरीबों की सेवा करूंगी। 2002 में सिवान के गोरेयाकोठी सीएचसी में योगदान दिया। इसके बाद भीठी गांव के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में छह साल तक सेवा की। जून 2008 से बसंतपुर सीएचसी में कार्यरत हैं। आज भी भीठी गांव की महिलाएं प्रसव के लिए बसंतपुर आती हैं। लोग उन्हें सम्मान से याद करते हैं। यही उनकी असली पहचान है।

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन ने बताया कि फुलमनी पिछले 17 वर्षों से सीएचसी में सेवा दे रही हैं। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन ने कई बार उनके कार्यों की सराहना की है। मातृ मृत्यु दर कम करने में उनकी भूमिका अहम रही है। मरीजों की सेवा में वह अपने सुख-दुख भूल जाती हैं। उनके व्यवहार और सेवा भावना के कारण लोग उन्हें ‘गुरु’ के नाम से जानते हैं। जटिल प्रसव को भी सहजता से कराती हैं। महिलाएं उनके हाथों सुरक्षित प्रसव के बाद दुआएं देती हैं।

सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने कहा कि नर्स दिवस पर फुलमनी जैसी कर्मवीरों को सलाम है। जो निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज के लिए काम करती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की नींव में सबसे मजबूत ईंट एक संवेदनशील नर्स होती है। प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिलाओं की देखभाल केवल नौकरी नहीं, आत्मा की तृप्ति है। फुलमनी की कहानी बताती है कि नर्सिंग एक जीवन दर्शन है। नर्सें गहन देखभाल, सर्जरी, मातृत्व, बाह्य रोगी सेवाएं और सामुदायिक स्वास्थ्य में अहम भूमिका निभाती हैं। इस वर्ष नर्स दिवस की थीम है— ‘हमारी नर्सें, हमारा भविष्य’।

