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फाइलेरिया को खत्म करने को जागरूक कर रहा है पेशेंट नेटवर्क

  • रोगग्रस्त होने के बावजूद रविन्द्र साह फाइलेरिया रोग के प्रति कर रहे है लोगों को जागरूक
  • नाइट ब्लड सर्वे एवं सर्व जन दवा वितरण कार्यक्रम में पेशेंट नेटवर्क का रहा अहम योगदान:सिविल सर्जन

पूर्णिया(बिहार)हाथीपांव के साथ जीवन बोझिल महसूस होता है। दुनिया में कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनका इलाज संभव नहीं। ऐसी ही एक बीमारी का नाम है लिम्फीडिमा (फाइलेरिया), जिसे आम भाषा में हाथीपांव भी बोलते हैं। इसे दुनिया की सबसे अनोखी बीमारी बताया जाता है। फाइलेरिया यानी हाथीपांव कभी ठीक न होने वाला एक असाध्य रोग है। फाइलेरिया संक्रमण का पता लोगों को वर्षों बाद चलता है। जब रोग का लक्षण संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर स्पष्ट तौर पर दिखने लगता है। संक्रमण के प्रभाव से रोगी के हाथ, पांव, अंडकोष सहित शरीर के अन्य अंग में अत्यधिक सूजन उत्पन्न होने लगती है। समय-समय पर रोगियों को प्रभावित अंगों में दर्द, लालपन व तेज बुखार की शिकायत होती है। शुरुआत में सूजन अस्थायी होती लेकिन बाद में ये स्थायी व लाइलाज हो जाती है। ऐसे हालात में रोग प्रभावित अंग की समुचित देखभाल जरूरी होती है। जिले में फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में रोग से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करते हुए रोग प्रबंधन व दिव्यांगता रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। पिछले 45 वर्षों से फाइलेरिया संक्रमण के शिकार 62 वर्षीय रविन्द्र साह वर्ष 2022 के अक्टूबर में जिले के केनगर प्रखंड के परोरा ग्राम में फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को एकत्रित कर उनके स्वास्थ्य में सपोर्ट करने के लिए महादेव पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़े। वे न सिर्फ स्वयं बल्कि फाइलेरिया रोग के प्रति समाज में लगातार जागरूकता अभियान का आयोजन कर रहे हैं।

नाइट ब्लड सर्वे एवं सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम में पेशेंट नेटवर्क का रहा अहम योगदान :

सिविल सर्जन डॉ.अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि माह जून में हुए नाइट ब्लड सर्वे एवं माह सितम्बर में हुए एमडीए अभियान में कसबा,केनगर एवं पूर्णिया पूर्व प्रखंडों के नेटवर्क मेंबर की भूमिका काफी सराहनीय है। पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्यों ने अपने आसपास के लोगों को जागरूक कर अपने अनुभवों को साझा किया। सभी संभावित मरीजों को नाइट ब्लड सर्वे एवं एमडीए अभियान में जागरूक कर दवा खिलायी गयी है। साथ ही अपनी सामाजिक जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं।

रोग से बचाव के प्रति कर रहे हैं लोगों को जागरूक :

रविन्द्र साह बताते हैं कि वे केनगर प्रखंड के परोरा ग्राम पंचायत सहित आसपास के इलाकों में फाइलेरिया मुक्त भारत अभियान को मजबूत बनाने के प्रयास में जुटे हैं। स्थानीय क्षेत्र के 13 फाइलेरिया ग्रसित मरीजों वाले महादेव पेशेंट सपोर्ट ग्रुप  में वे सक्रिय  सदस्य की भूमिका में हैं । गांव में संचालित फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़ने के बाद उनके इस अभियान को बेहद मजबूती मिली है। समूह की बैठकों में रोग से संबंधित विभिन्न मसलों पर विस्तृत चर्चा की जाती है। नजदीकी पीएचसी से उन्हें लिंक किया जाता है। इसकी मदद से उन्हें जरूरी चिकित्सकीय सुविधा व सुझाव आसानी से उपलब्ध हो पाता है। वह समूह की  विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से आसपास के ग्रामीणों को फाइलेरिया से बचाव व इसके प्रबंधन संबंधी उपायों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। वहीं संक्रमितों को भी प्रभावित अंगों की देखरेख, जरूरी व्यायाम, मच्छरदानी का प्रयोग व आसपास के माहौल को स्वच्छ बनाये रखने के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही फाइलेरिया रोग के प्रति  विद्यालयों व आंगनबाड़ी केन्द्रों में  गोदभराई, अन्नप्राशन दिवस,किशोरी दिवस,माता बैठक एवं ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं।इसी क्रम में नेटवर्क मेंबर के सहयोग से फाइलेरिया रोधी स्लोगन के साथ दिवाल लेखन तथा जागरूकता रैली का आयोजन किया गया है। इसमें लोगों से सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की जा रही है। 

उपयोगी साबित हो रहा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. राजेंद्र प्रसाद मंडल ने बताया कि भारत सरकार एवं बिहार सरकार लिम्फेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) के उन्मूलन को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। जिले में अब तक कुल 6450 फाइलेरिया मरीज की पहचान हुई है। फाइलेरिया ग्रसित अंगों का पर्याप्त उपचार नहीं किया जा सकता लेकिन उसे नियंत्रित रखा जा सकता है। फाइलेरिया को नियंत्रित करने के लिये प्रभावित अंग की समुचित देखरेख व व्यायाम जरूरी है। इसके प्रति आम रोगियों को जागरूक करने के उद्देश्य से ग्रामीण स्तर पर फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट समूह गठित की गयी। मासिक रूप से इसकी नियमित बैठकों में मरीज को जरूरी व्यायाम व साफ-सफाई के तकनीक के बारे में बताया जाता है। रोग के विभिन्न चरणों के  आधार पर रोगियों को जरूरी सुझाव दिया जाता है। ताकि रोग को नियंत्रित किया जा सके।