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प्रवाह 2025 का समापन कवि सम्मेलन और पुरस्कारों के साथ

महेंद्रगढ़:हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में दो दिवसीय आयोजन ‘प्रवाह 2025’ का समापन शुक्रवार को कवि सम्मेलन और पुरस्कार वितरण के साथ हुआ। आयोजन का संचालन छात्र कल्याण अधिष्ठाता कार्यालय और कोडिंग क्लब, कम्प्यूटर विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने मिलकर किया।

कवि सम्मेलन में हास्य रस, श्रृंगार रस, वीर रस और व्यंग्य की कविताओं ने श्रोताओं को खूब प्रभावित किया। कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार ने कवियों और विशिष्ट अतिथियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन विद्यार्थियों में नई ऊर्जा भरते हैं। उन्होंने आयोजकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि कवियों ने विभिन्न रसों में अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर प्रतिभागियों को कुछ नया सीखने का अवसर दिया।

इस अवसर पर समकुलपति प्रो. पवन कुमार शर्मा और विश्वविद्यालय की प्रथम महिला प्रो. सुनीता श्रीवास्तव भी मौजूद रहीं। समकुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि कवि मनोरंजन के साथ संवेदनशील विषयों को भी अनोखे अंदाज में प्रस्तुत करते हैं। यह आयोजन आनंद और सीख दोनों का अवसर बना।

कार्यक्रम संयोजक डॉ. सुनील बैफलावत ने बताया कि कवि सम्मेलन में हास्य कवि सुरेश अलबेला, श्रृंगार रस की कवियत्री सपना सोनी, गीतकार अशोक दीप और राम राज राजस्थानी ने अपनी रचनाएं सुनाईं। डॉ. सुनील ने अपनी कविता की पंक्तियों से भी श्रोताओं को भावुक किया – “ख्वाहिशों में रखते हो तमन्ना फूलों की, तो कांटों को देखकर रास्ते बदलते क्यों हो, अगर ख्वाहिशों को चाहते हो हकीकत में बदलना, तो इन दर्द भरे रास्तों से गुजरते क्यों नहीं हो।”

कोडिंग क्लब के समन्वयक डॉ. सुनील ने बताया कि प्रवाह 2025 के अंतर्गत कोडिंग प्रतियोगिता, ट्रेजर हंट, ई-गेमिंग, वाद-विवाद प्रतियोगिता और इंस्ट्रूमेंटल ऑवर का आयोजन किया गया। वाद-विवाद प्रतियोगिता का विषय था – “क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव विकास के लिए आवश्यक है?” इसमें निर्णायक की भूमिका डॉ. देवेंद्र सिंह राजपूत, धर्मेंद्र कुमार मीना और राजेंद्र यादव ने निभाई।

आयोजन के अंत में छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. आनंद शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। आयोजन को सफल बनाने में डॉ. जितेंद्र कुमार, डॉ. नीरज कर्ण सिंह, प्रो. केशव सिंह रावत, डॉ. विकास सिवाच और डॉ. नितिन गोयल का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। इस अवसर पर प्रो. अन्तरेश कुमार सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शोधार्थी और शिक्षक उपस्थित रहे।