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शिशुओं को कराएँ पूरक आहार, सुपोषित होगा उनका संसार

  • बाल कुपोषण को खत्म करने के लिए पूरक आहार महत्वपूर्ण
  • शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बेहतर पोषण जरूरी
  • सेविका देती है पोषण सम्बंधित जानकारी

पूर्णियाँ(बिहार)शिशु के जन्म से छह माह पश्चात उन्हें पोषण देना शुरू कर दिया जाता है. अगर शिशु को सही समय पर सही पोषण न मिल सके तो वह कुपोषण का शिकार हो सकता है. शिशुओं में कुपोषण की मात्रा को कम करने के लिए सरकार द्वारा पूरे सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है. पूरे माह के दौरान लोगों को विभिन्न क्रियाकलापों के माध्यम से शिशुओं में कुपोषण से होने वाली खतरों की जानकारी देने के साथ साथ सही पोषण सम्बंधित जानकारियाँ दी जाती है. सही पोषण के मिलने से ही शिशुओं में कुपोषण की सम्भावना खत्म हो सकती है. इसलिए बाल कुपोषण को दूर करने के लिए पोषण की सही जानकारी का होना जरूरी है.

शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बेहतर पोषण जरूरी :
आईसीडीएस जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शोभा सिंह ने बताया कि शिशुओं की उम्र बढ़ने के साथ ही उनके शरीर में भी वृद्धि का होना जरूरी है. उम्र के साथ शिशु की लंबाई, वजन के साथ साथ उनकी मष्तिष्क व तंत्रिका तंत्र का भी विकास जरूरी होता है. इसके लिए शिशु को स्तनपान के साथ सही पूरक का दिया जाना जरूरी है. छह माह के बाद से शिशुओं को माँ के दूध के साथ पौष्टिक आहार देना चाहिए. आहार के रूप में दलिया, खिचड़ी, हलवा, दाल इत्यादि का उपयोग किया जा सकता है. पूरक आहार के लिए घर में मौजूद खाद्य पदार्थों जैसे गेहूँ का आटा, सूजी, चावल, बाजरा, दाल ज्यादा उपयुक्त होगा. इसके अलावा भोजन में घी या तेल का भी उपयोग करना चाहिए. अंडा, मछली, फल, सब्जी इत्यादि भी शिशु को सुपाच्य बना कर दिया जा सकता है. सही पोषण के मिलने से ही बढ़ती उम्र के साथ साथ शिशुओं के मानसिक व शारीरिक क्षमता का विकास हो सकता है.

सेविका देती है पोषण सम्बंधित जानकारी :
राष्ट्रीय पोषण अभियान की जिला समन्वयक निधि प्रिया ने बताया कि पोषण सम्बंधित जानकारी के लिए लोग अपने क्षेत्र के आंगनवाड़ी केन्द्रों पर जा सकते हैं. आंगनवाड़ी सेविका द्वारा अपने क्षेत्र के शिशुओं के पोषण के लिए नियमित कार्य किया जाता है. प्रत्येक माह के 19 तारीख को आंगनवाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है जहां छह माह के शिशुओं के अन्नप्राशन करने के साथ ही शिशुओं को कैसे भोजन दिए जाएं इसकी जानकारी माताओं को दी जाती है, परन्तु कोरोना काल को देखते हुए आंगनवाड़ी सेविकाएँ घर-घर जाकर अन्नप्राशन करवाने के साथ ही लोगों को पोषण सम्बंधित जानकारी पहुंचा रही है. पोषण माह के दौरान सभी प्रखंडों में पोषण परामर्श केंद भी खोला गया है जहां से लोगों को पोषण सम्बंधित जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकती है.

जिले की यह है वर्तमान स्थिति :
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में पूर्णियाँ जिला में 60 प्रतिशत शिशु छह माह तक केवल स्तनपान करते हैं. 6 माह से 8 माह के केवल 18.6 प्रतिशत शिशुओं में ही स्तनपान के साथ पूरक आहार की शुरुआत हो पाती है. छह माह से 23 माह के बीच 11.7 प्रतिशत बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल रहा है.